अदबी संसार का 32वीं तरही नातिया मुशायरा एक शाम, शाहिद अनवर के नाम संपन्न

  • आप नबियों के सुल्तान हैं या नबी रब ने बख़्शा है वो मर्तबा आपका

मेदिनीनगर। अदबी संसार ने 32वीं तरही नातिया मुशायरा में बुधवार को एक शाम, शाहिद अनवर के नाम राहत नगर स्थित मो. सलीम के आवास पर आयोजित कराया गया।इस कार्यक्रम की अध्यक्षता शाहिद अनवर जबकि संचालन हाजी शमीम रज़वी, क़ारी गु़फ़रान रज़ा व मो. यूनुस रज़वी, ने संयुक्त रूप से किया। अतिथियों का स्वागत अदबी संसार के संस्थापक एम.जे. अज़हर ने किया।

मौके़ पर समाजसेवी सैय्यद मो. कलाम ने क्रमशः शायर शाहिद अनवर, मुख्य अतिथि वरिष्ठ कांग्रेसी नेता शमीम अहमद राईन, शौकत अंसारी को अंग वस्त्र व माला पहनकर सम्मानित किया।शाहिद अनवर: हो करम या हबीब ए ख़ुदा आपका, बाद रब है बड़ा मर्तबा आपका।मौ. महताब आलम ज़ियाई: मुस्तफ़ा की चौखट पर जाने वाला हर मंगता, लौटता नहीं ख़ाली आज भी मदीने से।क़ारी मो. जसीमुद्दीन शमीमी: हो जिस दिल में पिन्हा मुहब्बत नबी की, वो पाएगा बेशक शफा़अत नबी की।शमीम रज़वी: चमका नूर मक्का में पहुंचा फिर मदीने को, फैलने लगी हर सू रौशनी मदीने से।क़य्यूम रूमानी: मौत का ख़ैर मक़दम न हम क्यों करें, होने वाला नबी का जो दीदार है।अमीन रहबर: है तख़लीक़ ए आलम भी सदका़ उन्ही का, दो आलम है क़ायम बदौलत नबी की।

एम.जे.अज़हर: आप नबियों के सुल्तान हैं या नबी, रब ने बख्शा है वो मर्तबा आपका।डॉ. इंतेख़ाब असर: रौनकें ज़माने में आपकी बदौलत हैं, दो जहां में खुशबू है आपके पसीने से।अलाउद्दीन शाह चिराग़: वही सुरखुरू होगा दोनों जहां में, है अपनाई जिसने भी सीरत नबी की।
अदनान काशिफ़: कूए नबी से आ न सके हम राहत ही कुछ ऐसी थी, याद रही ये जन्नत हमको जन्नत ही कुछ ऐसी थी।सैय्यद मोहम्मद हारिस: आज अश्क मेरे नात सुनाएं तो अजब क्या, सुनकर वो मुझे पास बुलाएं तो अजब क्या।डॉ. अतहर मोबिन कु़रैशी, मंसूर रज़वी, फ़ारूक़ अहमद, मो. यूनुस रज़वी, मो.मेराज आलम शम्सी के द्वारा भी नातिया कलाम पेश किया गया।देर रात तक चले 32वीं तरही नातिया मुशायरा में नौशाद अहमद खां, मो. हिसामुद्दीन, शौकत अंसारी, सैयद मतीन अहमद, मो. रिज़वान कु़रैशी, आरिफ़ जमाल, रज़ीउल्लाह रज़ी, तस्लीम अख़्तर सहित काफी़ संख्या में लोग उपस्थित थे।

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