हजारीबाग का ऐसा गांव जहां पैसरा धान को सिरक कर बनाया जाता है महाप्रसाद

आज भी देहातो में जाता व ढेंकी से अरवा चावल कुटकर बनाया जाता है ठेकुआ

संजय सागर

बड़कागांव : लोक आस्था का महापर्व छठ पर भले ही झारखंड-बिहार के अन्य शहरों में दुकानों से खरीदे गये रेडिमेड चावल से खरना एवं ठेकुआ प्रसाद बनाया जाता हो, लेकिन झारखंड के हजारीबाग जिले के बड़कागांव प्रखंड में खेतों से उपजे पैसरा धान को सिरककर सुखाने के बाद उसके चावल से खरना का प्रसाद बनाया जाता है. झारखंड के हजारीबाग जिले के बड़कगांव में पैसरा धान से आज भी छठ में खरना का प्रसाद बनाया जाता है. इसके लिए नये धान के चावल को पहले पानी में फुला कर जांता एवं लोढ़ा सिलवट में पिसते हैं. बड़कागांव के खैरातरी, होरम , चोरका, पंडरिया, गोंदलपुरा, आंगों, पलांडू समेत अन्य गांवो में अरवा चावल को ढेंकी में कूट कर आटा बनाकर छठ महा पूजा को लेकर ठेकुआ का प्रसाद बनाया जाता है. जिसे छठ घाट पर प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता है. बड़कागांव के तुरी मोहल्ला निवासी छठ व्रती सीमा बादल कहती हैं कि उनके घर में 1982 से छठ पूजा हो रही है. वे जब मायके बोकारो से बड़कागांव आईं, तो यहां की संस्कृति उन्हें सबसे अलग दिखी. भले ही अन्य शहरों या राज्यों में रेडिमेड चावल से प्रसाद बनाया जाता है, लेकिन यहां नये धान की फसल के चावल से खरना का प्रसाद बनाया जाता है. इतना ही नहीं नए धान की बाली को छठ घाट में चढ़ाया जाता है.

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