पोस्टमार्टम हाउस में भी लिए जा रहे हैं पैसे, पूरी व्यवस्था का भगवान ही है मालिक
– अस्पताल प्रबंधन ने साध रखी है चुप्पी, गरीबों को चुकानी पड़ रही है कीमत
कालीचरण
जमशेदपुर : कोल्हान के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल एमजीएम में मुर्दों से भी पैसे वसूले जा रहे हैं। सिर्फ यही नहीं अस्पताल को प्राइवेट एंबुलेंस का अड्डा भी बना रखा है। और तो और अस्पताल के एम्बुलेंस यूनिट प्रभारी सह स्थाई कर्मचारी गौरी महाली अस्पताल से अपनी टाटा सूमो एंबुलेंस संख्या जेएच 05 बीजे – 0607 से एंबुलेंस के नाम पर गरीबों को लूटने का धंधा भी चला रहे हैं। मगर उनका वाहन एंबुलेंस के नाम पर रजिस्टर्ड ही नहीं है। बावजूद इसके अस्पताल प्रबंधन के नाक के नीचे वे खुलेआम अपना धंधा चल रहे हैं। जिसपर अस्पताल प्रबंधन ने चुप्पी साध रखी है और जिसके चलते इसका खामियाजा गरीबों को भुगतना पड़ रहा है। वहीं एंबुलेंस के नाम पर गरीबों को लूटा भी जा रहा है। सिर्फ इतना ही नहीं पोस्टमार्टम हाउस में चिरफाड के लिए भी वहां के कर्मचारी गरीबों से पैसा उगाही भी कर रहे हैं। इस खेल में एनओसी फाउंडेशन के अंतर्गत चलने वाले सरकारी मोक्ष वाहन के कर्मचारी की पूरी मिली भगत भी है। जिससे ऐसा लगता है कि अस्पताल की पूरी व्यवस्था का भगवान ही मालिक है।
चौका बनसा के पास सड़क दुर्घटना में व्यक्ति की हो गई थी मौत :-
बीते सोमवार की सुबह लगभग 9 से 10 बजे के बीच चौका थाना अंतर्गत बनसा गांव के पास सड़क पार कर रहे सरायकेला खरसावां जिले के कुंचाई जोजो हातु राजा टोली निवासी 45 वर्षीय बेने मछुआ को अज्ञात वाहन ने टक्कर मार दी थी। जिससे वे गंभीर रूप से घायल हो गए थे। बताया जा रहा है कि वे मजदूरी का काम करते थे और घटना के वक्त बनसा गांव में गाड़ी में धान लोड करने के लिए गए थे। घटना के बाद घायल को साथियों ने वाहन से एमजीएम अस्पताल पहुंचाया। जहां चिकित्सकों ने जांच कर उसे मृत घोषित कर दिया। उसकी मौत रास्ते में आने के दौरान ही हो गई थी। जिसके बाद शव को अस्पताल के शीतगृह में रखवा दिया गया।
बीपीएल कार्ड धारी था मृतक बेने मछुआ :-
वहीं सड़क दुर्घटना मृत बेने मछुआ बीपीएल (लाल) कार्ड धारी था। जिसके कारण राज्य सरकार से उसे कई सारी सुविधाएं भी मिल रही थी। घटना के दूसरे दिन मंगलवार को चौका थाने के पुलिस अस्पताल पहुंची और शव का पंचनामा कर पोस्टमार्टम के लिए एमजीएम मेडिकल कॉलेज भेज दिया।
मोक्ष वाहन के कर्मचारी ने शव को पोस्टमार्टम हाउस ले जाने के लिए मांगे पैसे :-
बीपीएल कार्ड धारी होने के बावजूद मृतक के परिजनों से अस्पताल में एनओसी फाउंडेशन के अंतर्गत चलने वाले मोक्ष वाहन के कर्मचारी ने पोस्टमार्टम हाउस पहुंचाने के लिए पैसों की मांग की। इस दौरान एक पत्रकार को इसकी भनक लगी तो उसने मामले की शिकायत अस्पताल अधीक्षक डॉ रविंद्र कुमार से की। जिसके बाद उनके कहने पर कर्मचारी बिना पैसे लिए ही शव लेकर पोस्टमार्टम हाउस जाने लगा। मगर आगे जाकर मानगो बस स्टैंड गोल चक्कर के पास उसने वाहन रोक दिया और दूसरी जगह जाने की बात कहकर दूसरे मोक्ष वाहन को बुलाया। जिसके बाद उसने शव को पोस्टमार्टम हाउस तक पहुंचाया। जहां से मोक्ष वाहन का चालक बोड़ाम जाने की बात कहकर निकल गया और फिर वह वापस नहीं आया। बताते चलें कि बीपीएल कार्ड धारी मृतक को अस्पताल से पोस्टमार्टम हाउस और फिर वहां से घर तक मोक्ष वाहन द्वारा निःशुल्क पहुंचाने का सरकारी प्रावधान है।
पोस्टपार्टम हाउस के कर्मचारी ने चीरफाड़ के लिए 500 रुपए लिये :-
वहीं मृतक बेने मछुआ के परिजन मंगल मछुआ ने बताया कि पोस्टमार्टम हाउस में चीरफाड़ के बाद वहां के कर्मचारी ने इसके लिए 500 रुपए की मांग की। साथ ही उसने कहा कि यहां चीरफाड़ के पैसे लगते हैं। इस दौरान मृतक के परिजनों ने खुद को गरीब बताते हुए कर्मचारी से पैसे ना लेने के लिए काफी मिन्नतें भी की। मगर वह नहीं माना। अंततः परिजन दुखी मन से कर्मचारी को 500 रुपए देने के लिए मजबूर हो गए। यह पैसे मंगल मछुआ के जीजा रतिलाल मछुआ ने दी। उनके पास सिर्फ 700 रुपए ही थे। जिसका सत्यापन मंगल मछुआ के मोबाइल नं – 7294020177 पर बात कर की जा सकती है।
मृतक के शव को घर पहुंचाने के लिए एंबुलेंस प्रभारी ने लिए 4000 रुपए :-
वहीं बोड़ाम जाने की बात कहकर मोक्ष वाहन का कर्मचारी पोस्टमार्टम हाउस से वाहन लेकर भाग गया। इस दौरान काफी इंतजार करने के बाद परिजनों ने एंबुलेंस यूनिट प्रभारी सह स्थाई कर्मचारी गौरी महाली को फोन किया। चुंकि पुलिस द्वारा पंचनामा के दौरान ही एंबुलेंस प्रभारी ने परिजनों से अस्पताल से पोस्टमार्टम हाउस और फिर वहां से घर तक पहुंचाने के लिए 4000 रुपए की बात पहले ही कर ली थी। जिसमें मोक्ष वाहन के चालकों की मिली-भगत भी शामिल है। इसीलिए मृतक के परिजनों ने उसको कॉल किया। जिसके बाद वह अपना बिना रजिस्टर्ड एंबुलेंस संख्या जेएच 05 बीजे – 0607 लेकर पोस्टमार्टम हाउस पहुंचा। जिसके बाद शव लेकर संध्या 6 से 7 के बीच कुंचाई जोजो हातु राजा टोली स्थित मृतक के घर पहुंचा। वहां पहुंचने पर परिजनों ने उसे तय मुताबिक नगद 4000 रुपए भाड़ा भी दिया।
माल महाराज का मिर्जा खेले होली :-
एमजीएम अस्पताल में “माल महाराज का मिर्जा खेले होली” वाली कहावत चरितार्थ भी हो रही है। ऐसा इसलिए क्योंकि बीते बुधवार एंबुलेंस यूनिट प्रभारी सह स्थाई कर्मचारी गौरी महाली को सुबह 9 बजे ड्यूटी पर उपस्थित होना था। मगर वह दोपहर 12 से 1 बजे के बीच बिना रजिस्टर्ड वाला एंबुलेंस लेकर अपने यूनिट के पास पहुंचा। जिसका कारण ड्यूटी के दौरान वह एंबुलेंस लेकर मरीज को छोड़ने रांची गया था। वहीं यहां पहुंचने के बाद उसने अपने एंबुलेंस से अस्पताल में इस्तेमाल होने वाले जम्बो ऑक्सीजन सिलेंडर को भी उतारा। जिसका प्रमाण अस्पताल में लगे सीसीटीवी कैमरे के फुटेज में देखने पर साफ-साफ पता चल जाएगा। सूत्रों से यह भी पता चला है कि उसने सरकारी एंबुलेंस के नाम पर अस्पताल प्रबंधन से दो जम्बो ऑक्सीजन सिलेंडर आवंटित करा लिया है। जिसमें से एक का इस्तेमाल वह ऑक्सीजन की जरूरत पड़ने वाले मरीज ले जाने के लिए अपने प्राइवेट एंबुलेंस में करता है। वहीं रांची जाने के दौरान भी उसने इसी सिलेंडर का इस्तेमाल किया था। इसी तरह मरीज को ले जाने के लिए वह अस्पताल में आने वाले छोटे सिलेंडरों का भी उपयोग करता है।
अस्पताल परिसर बना प्राइवेट एंबुलेंस का अड्डा :-
वहीं एमजीएम प्रबंधन की उदासीनता के कारण पूरा अस्पताल परिसर प्राइवेट एंबुलेंस का अड्डा बन चुका है। जहां से रोजाना चालक आने वाले मरीजों से हजारों रुपए की वसूली भी कर रहे हैं। महिनों से यह धंधा चल आ रहा है। मगर आज तक किसी ने भी इसे रोकने की कोशिश नहीं की। जिसकी कीमत गरीब मरीजों को चुकानी पड़ रही है। अस्पताल परिसर स्थित प्रशासनिक भवन के पीछे रोजाना प्राइवेट एंबुलेंस को खड़े हुए देखा जा सकता है। मगर यह देखने की फुर्सत किसे है। वहीं अस्पताल की सुरक्षा में तैनात होमगार्ड जवान भी अपनी ड्यूटी इमानदारी से नहीं करते और अगर करते तो बाहरी एंबुलेंस परिसर में खड़ी नहीं रहती।
कई बार की गई अस्पताल प्रबंधन से शिकायत, नहीं की कार्रवाई :-
ऐसा नहीं है कि इन जैसे मामलों की शिकायत अस्पताल से नहीं की गई है। कई बार शिकायत करने के बाद भी अस्पताल प्रबंधन ने इसपर कोई कार्रवाई नहीं की। जबकि अधीक्षक डॉ रविंद्र कुमार मामले पर सिर्फ देखते हैं करते हैं की बात कहने तक ही सीमित रह गए। जिसके कारण इनका मनोबल बढ़ा और आज भी ये धंधा करने से बाज नहीं आ रहे हैं। वहीं गौरी महाली ने तो अपने एंबुलेंस का धंधा चमकाने के लिए अस्पताल की दीवारों पर भाड़े पर ले जाने के लिए एंबुलेंस रेट का पोस्टर तक चिपका रखा है। साथ ही अपना मोबाइल नंबर भी उसमें अंकित कर रखा है।
अधिकारियों ने रिसीव नहीं किया कॉल :-
मामले को लेकर हमने जिले के डीसी मंजुनाथ भजंत्री और एसडीएम सह एमजीएम अस्पताल के प्रशासनिक अधिकारी पीयूष सिन्हा से दो-दो बार बात करने की कोशिश भी की। मगर दोनों ही अधिकारियों ने व्यस्तता के कारण कॉल रिसीव नहीं किया।