– कर्मचारी स्वयंसेवा के माध्यम से खुशियां बांटने का प्रयास
जमशेदपुर : कड़ाके की ठंड के मद्देनजर टाटा स्टील फेरो अलॉयज एंड मिनरल्स डिवीजन (एफएएमडी) के कर्मचारियों ने सोमवार स्थानीय स्कूली बच्चों के बीच स्वेटर का वितरण किया। इस दौरान कर्मचारियों ने अपनी कर्मचारी स्वयंसेवा पहल के माध्यम से परोपकारी कार्यक्रम में भाग लेकर आवासीय ब्रिज कोर्स (आरबीसी) केंद्र के छात्रों को स्वेटर प्रदान किए। वहीं समुदाय के युवाओं के जीवन पर सार्थक प्रभाव डालने के उद्देश्य से कर्मचारी स्वयंसेवा पहल कर्मचारियों को सामुदायिक सेवा में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करती है। साथ ही उनका समर्थन भी करती है। स्थानीय समुदायों की जरूरतों को पूरा करने के महत्व को समझते हुए कर्मचारियों ने सामाजिक कल्याण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के साथ स्वेटर दान अभियान आयोजित करने का बीड़ा उठाया। वहीं बच्चों को स्वेटर भेंट करने के दौरान अपनी प्रसन्नता व्यक्त करते हुए टाटा स्टील एग्जीक्यूटिव इंचार्ज पंकज सतीजा ने कहा कि हम उन समुदायों को वापस देने में विश्वास करते हैं, जो हमारा पोषण करते हैं और इससे कहीं बढ़कर हम कार्यस्थल से बाहर सकारात्मक प्रभाव डालने के लिए प्रतिबद्ध हैं। ये स्वेटर न केवल आराम और खुशी के लिए भौतिक वस्तुएं हैं। बल्कि छात्रों के लिए एक संदेश भी हैं कि उनके सपनों को पूरा करने के लिए मदद के हाथ मौजूद हैं। यह आयोजन न केवल सर्दी के खिलाफ गर्मजोशी का प्रतीक है। बल्कि एकता और करुणा की भावना को भी उजागर करता है और जो टाटा स्टील की कॉर्पोरेट संस्कृति को परिभाषित भी करती है। यह पहल सस्टेनेबल और जिम्मेदार व्यावसायिक अभ्यासों के प्रति कंपनी की व्यापक प्रतिबद्धता के अनुरूप है। स्वयंसेवा की संस्कृति को बढ़ावा देकर कंपनी न केवल सामुदायिक विकास में योगदान देती है। बल्कि कर्मचारियों और उन क्षेत्रों के बीच बंधन को भी मजबूत करती है। जहां वे काम करते है। विशेषकर कर्मचारियों ने हाल ही में फेरो अलॉयज प्लांट बामनीपाल परिसर में स्थित चार्ज क्रोम प्लांट यूपी (एमई) स्कूल में जूते दान अभियान का आयोजन किया था। टाटा स्टील उन पहलों का समर्थन करने के लिए समर्पित है। जो समुदाय के उत्थान और अगली पीढ़ी के लिए एक उज्जवल भविष्य का निर्माण करती हैं। जबकि सर्दियों के शुरू होते ही कंपनी के कर्मचारियों ने यह साबित कर दिया है कि गर्मी स्टील की सीमा से कहीं आगे तक फैलती है और उन लोगों के दिलों तक पहुंचती है। जिन्हें इसकी सबसे अधिक आवश्यकता है।