जमशेदपुर : घाटशिला प्रखंड अंतर्गत एचसीएल आइसीसी कंपनी की एक-एक कर तांबे की सभी खदानें बंद हो गई है। जिसके कारण हजारों लोग बेरोजगार हो गए। वहीं साल 2023 समाप्ति पर है। मगर यह साल अपने पीछे कई अच्छी बुरी यादें भी छोड़ जाएंगी। यह साल घाटशिला मऊभंडार और मुसाबनी प्रखंड के लिए बेरोजगारी का रहा। वहीं रोजगार के नाम पर यहां हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड की सुरदा माइंस, केंदाडीह माइंस, मुसाबनी स्थित कंसंट्रेटर प्लांट ही है। जिसमें लगभग 2000 लोगों को प्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिला था। जबकि अप्रत्यक्ष रूप से खदानों और प्लांट के चलने से कई हजार लोग कई तरह से रोजगार करते थे। मगर विभिन्न तकनीकी कारणों से ये सभी माइंस और प्लांट बंद हो चुके हैं। जिसके तहत सुरदा माइंस जुलाई 2022 में ही बंद हो चुकी है। वहीं मुसाबनी स्थित कंसंट्रेटर प्लांट भी बंद हो गया है। साथ ही केंदाडीह माइंस फरवरी 2023 में बंद हो गया। बताते चलें कि सूरदा माइन्स का लीज क्षेत्र 385 हेक्टेयर का है। जिसमें से 320 हेक्टेयर को पर्यावरण स्वीकृति मिल गई है। वहीं शेष 65 हेक्टेयर भूमि को स्वीकृति नहीं मिल पाई है। जिसके कारण अयस्क की ढुलाई के लिए चालान नहीं मिल रहा है। जबकि उत्पादन का आदेश होने के बावजूद डेवलपमेंट का कार्य करने के लिए रोटेशन पर माइंस में मात्र 600 मजदूर ही कार्य कर रहे हैं और जिन्हें महीने में 15 दिन ही काम मिलता है। जिससे प्रतिदिन 100 से लेकर 150 टन अयस्क निकल रहा है। जिस कारण इस समय सुरदा माइंस क्षेत्र में लगभग 50 हजार टन ताम्र अयस्क खुले में पड़ा हुआ है। इसी तरह सूरदा माइंस के तीन फेज का काम सुचारू रूप से चालू भी नहीं हो पाया है। जिसको लेकर कई प्रकार के तकनीकी कारणों का हवाला दिया जा रहा है। वहीं फरवरी 2023 में केंदाडीह माइंस का लीज खत्म होने के कारण यह बंद हो गई है। जिससे यहां काम करने वाले लगभग 250 मजदूर बेकार हो गए हैं। इसका क्षेत्रफल 1100 हेक्टेयर है। जिसमें से 700 हेक्टेयर भूमि को पर्यावरण से स्वीकृति मिल गई है। मगर शेष के लिए कागजी कार्रवाई की बात बताई जा रही है। बताया जा रहा है कि इन सभी माइंस के बंद होने से बेरोजगार हुए हजारों लोगों का पलायन भी बढ़ गया है। साथ ही काफी मजदूर यहां से पलायन कर दूसरे राज्यों में रोजगार के लिए चले भी गए हैं। वहीं माइंस के बंद होने से परिवार बिखर रहा है। बच्चों की पढ़ाई से लेकर बेटियों के विवाह के लिए भी काफी परेशानियां आ रही है। इसके अलावा परिवार के बुजुर्ग इलाज के अभाव में अपनी जिंदगी ईश्वर के भरोसे गुजार रहे हैं। इतना ही नहीं रोजगार नहीं होने से यहां के बाजार के साथ-साथ अन्य रोजगार पर भी बुरा असर पड़ रहा है। इससे मऊभंडार और मुसाबनी की आर्थिक स्थिति काफी दयनीय भी हो गई है। वहीं देखा जाए तो साल 2023 इस क्षेत्र के लिए मायूसी भरा रहा। जबकि लोगों को नववर्ष के आगमन के साथ कुछ बेहतर होने की उम्मीद नजर आ रही है।
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