परमवीर अल्बर्ट एक्का के सर्वोच्च बलिदान को परिषद ने किया शौर्यमयी नमन

जमशेदपुर : अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद झारखंड द्वारा परमवीर चक्र से सम्मानित शहीद लांस नायक अल्बर्ट एक्का की 52 वीं जयंती पर उनके पैतृक निवास गुमला ग्राम जारी में बलिदान दिवस मनाया गया। इस शौर्यमयी अवसर पर प्रदेशाध्यक्ष कर्नल अखौरी रंजन सिन्हा, प्रदेश संगठन मंत्री सिद्धनाथ सिंह, महामंत्री अखिलेश मिश्रा के नेतृत्व में जमशेदपुर, रांची, बोकारो, लोहरदगा, कोडरमा की जिला इकाइयों के अध्यक्ष एवं महामंत्री के प्रतिनिधिमंडल ने सैन्य परंपरा के अनुसार श्रद्धा सुमन अर्पित किए। इस दौरान प्रदेशाध्यक्ष ने स्कूली बच्चों और एनसीसी कैडेट्स को परमवीर शहीद लांस नायक अल्बर्ट एक्का की बहादुरी के किस्से भी सुनाए। साथ ही बच्चों को उनके जीवन से प्रेरणा लेने का आवाहन भी किया। वहीं प्रदेश संगठन मंत्री सिद्धनाथ सिंह ने 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में भारतीय सेना की वीरता, अदम्य साहस, शौर्य, पराक्रम एवं सर्वोच्च बलिदान की परंपरा के संस्मरणों को याद करते हुए कहा कि समस्त विश्व के सैन्य इतिहास में भारतीय सेना द्वारा लड़ा गया यह युद्ध दुनिया में सबसे कम समय में लड़कर जीतने वाला युद्ध है। जिसके परिणाम स्वरूप विश्व मानचित्र पर बांग्लादेश नामक राष्ट्र का अभ्युदय हुआ। वहीं जूलियस एक्का और मरियम एक्का के पुत्र एलबर्ट एक्का 27 दिसंबर 1962 को ब्रिगेड ऑफ द गार्ड्स की 14 वीं बटालियन में शामिल हुए। जब 1971 का भारत-पाक युद्ध छिड़ा तो लांस नायक अल्बर्ट एक्का की इकाई गंगासागर की लड़ाई में शामिल हो गई और जो बांग्लादेश में अपने लक्ष्य की ओर भारतीय सशस्त्र बलों की उन्नति का मार्ग प्रशस्त करने में बहुत महत्वपूर्ण थी। वहीं 14 गार्ड्स ने 3 दिसंबर 1971 की रात को दुश्मन के ठिकानों पर हमला शुरू कर दिया। लांस नायक अल्बर्ट एक्का हमले में बटालियन की लेफ्ट फॉरवर्ड कंपनी के साथ गए। इस दौरान लांस नायक एक्का ने दुश्मन की लाइट मशीन गन को एक बंकर से फायरिंग करते हुए देखा। जिससे भारी जनहानि भी हो रही थी। उन्होंने अपनी परवाह न करते हुए बंकर पर हमला करते हुए दो सैनिकों पर संगीन वार कर बंकर चौकी पर कब्जा कर लिया। बदले में वे गंभीर रूप से घायल हो गए। जिससे वे वीरगति को प्राप्त हुए। गंगासागर की लड़ाई में उनकी वीरतापूर्ण कार्रवाई ने भारत के पक्ष में युद्ध का रुख बदल दिया। वहीं लांस नायक अल्बर्ट एक्का को उनके अदम्य साहस, दृढ़ता पूर्वक लड़ाई की भावना और सर्वोच्च बलिदान के लिए देश का सर्वोच्च वीरता पुरस्कार, “परम वीर चक्र” दिया गया। इस अवसर पर उपस्थित ग्रामीणों एवं अतिथियों ने अपने माटी के लाल की गौरवगाथा व बलिदान के गीत गाते हुए मांदर ढोल की थाप पर पारंपरिक नृत्य भी प्रस्तुत किया। मौके पर लेफ्टिनेंट एपी पांडे, कैप्टन डीडी त्रिपाठी, कैलाश कुमार, सूबेदार ललन कुमार ठाकुर, रविन्द्र कुमार, सूर्य नारायण उरांव, कुमार नायक, जयप्रकाश समेत अन्य मौजूद थे।

Related posts