जमशेदपुर : आंदोलनकारी सह पूर्व विधायक मंगल सिंह बोबोंगा और पूर्व विधायक बहादुर उरांव के नेतृत्व में लोगों ने रविवार अंग्रेजों के साथ लड़ाई के दौरान शहीद हुए नारा पोटो हो की शहीद स्मारक राजाबासा से खरसावां गोलीकांड शहीद स्थल के लिए रवाना हुए। वहीं 1 जनवरी को सभी खरसावां गोलीकांड के शहीदों को श्रद्धांजलि भी देंगे। जाने वालों में सन्नी सिंकू, नवाज हुसैन, धीरज गागराई, सीताराम लागुरी, सुहैल अहमद, जोलेन भुइंया, बामेश बेहरा, शाहिद आलम, कन्दर्प गोप, कृष्णा सिंकू के अलावा सैकड़ों लोग शामिल हैं। पूरा दल आज राजा बासा स्थित पोटो हो स्मारक से जगन्नाथपुर होते सेरेंगसिया शहीद स्थल पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए चाईबासा पहुचें। इस दौरान टाटा कॉलेज मोड़ स्थित शहीद स्मारक में श्रद्धांजलि भी दी। वहीं जाने के दौरान रास्ते के विभिन्न गांवों से लोग भी जुड़ते चले गए। साथ ही चाईबासा में रात्रि विश्राम के बाद 1 जनवरी को खरसावां में शहीदों को श्रद्धांजलि दिया जाएगा। वहीं खरसावां शहीद स्थल जाने के क्रम में आजसू पार्टी के केंद्रीय सदस्य डॉ अनंत कुमार महतो और गोपीनाथ गोप ने सभी आंदोलनकारी को किया माला पहनाकर उनका स्वागत भी किया। इस संबंध में पूर्व विधायक मंगल सिंह बोबोंगा ने कहा कि आजादी के पहले नारा पोटो हो ने अंग्रेजों के खिलाफ सबसे बडा़ विद्रोह छेड़ा था। मगर इसे आज तक इतिहास में कहीं जगह नहीं मिली और न हीं स्कूली पाठ्यक्रमों में ही शामिल किया गया। शहीदों को सम्मान देने का कार्य भी नहीं हुआ। जिसको लेकर आवाज उठाना है। उन्होंने कहा कि 1 जनवरी 1948 आजादी के बाद का पहला खरसावां का गोलीकांड था और जिसने पंजाब के जलियांवाला बाग गोलीकांड को भी पीछे छोड़ दिया। इस गोलीकांड में 2 हजार से अधिक लोग मारे गये थे। जिसके बाद मार्शल लॉ भी लागू किया गया था। इसको अंजाम देने वाली ओडिसा सरकार ने 32, बंगाल ने 35 तथा बिहार ने 48 आदिवासियों के मारे जाने की बात अपनी-अपनी रिपोर्ट में कही थी। जिसमें कहीं से भी समानता नहीं है। लेकिन पूर्व के सांसद केपी देव ने अपने किताब में दो हजार से अधिक आदिवासियों के मारे जाने की बात लिखी है और जो प्रत्यक्षदर्शियों की बातों से मेल भी खाता है। उन्होंने कहा हम चाहते हैं कि सरकार ने एक ट्रिब्यूनल रिपोर्ट बनाया है। मगर उसे सार्वजनिक नहीं किया गया। उस रिपोर्ट पर कमीशन गठित करते हुए जांच कर सार्वजनिक करना चाहिए।
खरसावां गोलीकांड को आजाद भारत का पहला गोलीकांड का दर्जा देते हुए शहीदों को सम्मान व उनके परिजनों से सार्वजनिक माफी मांगनी चाहिए। उन्होंने कहा कि खरसावां रियासत के राजा स्व. सिंहदेव द्वारा खरसावां को ओडिसा में शामिल करने का विरोध आदिवासी कर रहे थे।