भोपाल में बिना अनुमति चल रहे बालिका गृह से 26 बच्चियां गायब, हिंदू बच्चियाें का करवाया जा रहा था मतांतरण
भोपाल : मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में बिना अनुमति के चल रहे बालिका गृह से 26 बच्चियों के गायब होने का मामला सामने आया है। बालिका गृह में 68 बच्चियों के रहने की एंट्री मिली, लेकिन मौके पर सिर्फ 42 बच्चियां ही मिलीं। ये बच्चियां गुजरात, झारखंड, राजस्थान के अलावा मध्य प्रदेश के सीहोर, रायसेन, छिंदवाड़ा, बालाघाट के रहने वाली हैं। अवैध होने के चलते परवलिया पुलिस ने हॉस्टल संचालक और पदाधिकारियों के खिलाफ केस दर्ज किया है। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने मामले को लेकर मध्य प्रदेश की मुख्य सचिव वीरा राणा को पत्र लिखकर सात दिन में जांच रिपोर्ट मांगी है। इधर पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी सरकार से मामले को संज्ञान में लेने का आग्रह किया है।
दरअसल गुरुवार देर रात भोपाल के तारासेवनिया में ‘आंचल चिल्ड्रन होम्स’ में एनसीपीसीआर और राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एससीपीसीआर) की टीमें अचानक पहुंची थीं और वहां का हाल देखकर दोनों टीमें हैरान थीं। छापामारी में इस एनजीओ के पास से सभी चाइल्ड लाइन संबंधी दस्तावेज़ मिले हैं। साथ ही आंचल चिल्ड्रन होम्स के अधीक्षक (जो चाइल्ड लाइन के डारेक्टर भी हैं) तथा इनके साथी निशा तिरकी, नमिता एवं अन्य पाए गए, जो मतांतरण के खेल में लगे थे। यह जरूरतमंद बच्चों की रेकी कर इन्हें ईसाई मिशनरी से जुड़ी संस्था में भर्ती कराकर उनके मतांतरण का काम कर रहे थे। इस दौरान प्रियंक कानूनगो ने जब रजिस्टर चेक किया तो पाया कि उसमें 68 बच्चियों की एंट्री थी, लेकिन उनमें से 26 बच्चियां गायब थीं। जब चिल्ड्रेन होम के संचालक अनिल मैथ्यू से गायब बच्चियों के बारे में पूछताछ की गई तो वो संतोषजनक जवाब नहीं दे पाये। इसके बाद पुलिस को सूचना दी गई। एफआईआर के मुताबिक बालिकाओं के लिए संचालित इस चिल्ड्रेन होम्स में कई अनियमितताएं मिली हैं। एक बच्ची से लड्डू गोपाल की मूर्ति विसर्जित करवाने की बात भी सामने आई है। इस संस्था को जर्मनी से फंड मिलने की बात का भी खुलासा हुआ है।
एनसीपीसीआर के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने एक्स पोस्ट में लिखा कि भोपाल में राज्य बाल आयोग अध्यक्ष और सदस्यों के साथ संयुक्त रूप से एक मिशनरी द्वारा संचालित अवैध बालगृह का निरीक्षण किया, जो बच्चे सड़कों से रेस्क्यू किए गए उनकी जानकारी सरकार को दिए बगैर और बिना लाइसेंस लिए गुपचुप ढंग से बालिका गृह को चलाया जा रहा था। यहां उनसे ईसाई धार्मिक प्रैक्टिस करवाई जा रही थी। इस बालिका गृह में 6 साल से 18 साल तक की 40 से ज़्यादा लड़कियों में अधिकांश हिंदू हैं। प्रियंक कानूनगो ने मामले को लेकर मध्य प्रदेश की मुख्य सचिव वीरा राणा को पत्र लिखा है।
शिवराज के ट्वीट पर कानूनगो ने दिया जवाब-
पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने मामले की जांच कराये जाने की मांग की है। उन्होंने अपने एक्स पोस्ट में लिखा कि भोपाल के परवलिया थाना क्षेत्र में बिना अनुमति संचालित बालगृह से 26 बालिकाओं के गायब होने का मामला मेरे संज्ञान में आया है। मामले की गंभीरता और संवेदनशीलता को देखते हुए सरकार से संज्ञान लेने और त्वरित कार्रवाई करने का आग्रह करता हूं। इस पर प्रियंक कानूनगो ने लिखा कि केंद्र की गाइडलाइन को ताक पर रखकर आपकी ही कैबिनेट ने चाइल्ड लाइन का काम एनजीओ को दिया था। आपकी संवेदनशीलता के लिए मनपूर्वक धन्यवाद भाई साहब। ये सभी बच्चियां सड़क व रेलवे स्टेशन से रेस्क्यू कर के लाई गयीं थीं। इनमें अनाथ बच्चियां भी थीं। जो एनजीओ सरकारी एजेंसी चाइल्ड लाइन के रूप में बच्चों को रेस्क्यू कर रही थीं, उसी ने बच्चों को गुपचुप ढंग से अवैध बालगृह में रखा था। ऐसी संस्थाओं को चाइल्डलाइन का काम सौंपा जाना ख़तरनाक है। चुनाव के पहले कुछ अकर्मण्य अधिकारियों ने इन्हीं संस्थाओं के हाथ में बच्चों के संरक्षण के लिए चाइल्ड लाइन संचालित करने का काम देने का आदेश कैबिनेट से स्वीकृत करवा लिया था। मुझे विश्वास है कि आप उसको भी वापस लेने के लिए सरकार से आग्रह करेंगे।