पीएम मोदी पर मालदीव के मंत्रियों की आपत्तिजनक टिप्पणी पर वहाँ के मीडिया में क्या छपा है और लोग क्या कह रहे हैं?

मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज़्ज़ू अपनी पत्नी साजिदा अहमद के साथ जब रविवार रात चीन रवाना हो रहे थे, तब देश में भारत से संबंधों पर एक अलग ही बहस छिड़ी हुई थी.

मोहम्मद मुइज़्ज़ू राष्ट्रपति बनने के बाद पहली बार चीन के औपचारिक दौरे पर हैं. चीनी राष्ट्रपति के न्योते पर मोहम्मद मुइज़्ज़ू अपनी सरकार के शीर्ष प्रतिनिधिमंडल के साथ चीन पहुंचे हैं.

चीन में दोनों देशों के बीच कई समझौतों पर आधिकारिक बातचीत होगी.

मोहम्मद मुइज़्ज़ू राष्ट्रपति बनने के बाद सबसे पहले 27 नवंबर को तुर्की के दौरे पर गए थे. इससे पहले मालदीव के राष्ट्रपति पहला विदेश दौरा भारत का करते थे.

ताज़ा बहस मुइज़्ज़ू सरकार के मंत्रियों और नेताओं के पीएम मोदी और भारत पर की विवादित टिप्पणी के बाद शुरू हुई है.

इस कहानी में जानेंगे कि मालदीव का मीडिया इस बहस को कैसे देख रहा है और मालदीव के अहम लोग क्या कह रहे हैं?

लक्षद्वीप बनाम मालदीव की बहस

पीएम मोदी ने चार जनवरी को लक्षद्वीप के दौरे की तस्वीरें सोशल मीडिया पर साझा की थीं.

इन तस्वीरों पर काफ़ी लोगों ने ये कहा कि अब भारतीयों को मालदीव नहीं, लक्षद्वीप जाना चाहिए. पीएम मोदी ने भी भारतीयों से लक्षद्वीप घूमकर आने की बात अपने ट्वीट में की थी.

पीएम मोदी की तस्वीरों पर मुइज़्ज़ू सरकार में मंत्री मरियम शिउना ने आपत्तिजनक ट्वीट किए थे. शिउना ने पीएम मोदी को इसराइल से जोड़ते हुए निशाने पर लिया था.

इसके अलावा वो लक्षद्वीप का भी मज़ाक उड़ाते हुए दिखी थीं. मालदीव के नेता मालशा शरीफ़ और महज़ूम माजिद भी भारत को घेरते हुए नज़र आए थे.

ज़ाहिर रमीज़ मालदीव सीनेट के सदस्य हैं और प्रोग्रेसिव पार्टी ऑफ मालदीव के सदस्य हैं.

वो सोशल मीडिया पर पीएम मोदी की लक्षद्वीप वाले तस्वीरों पर कहते हैं, ”बढ़िया क़दम है, पर हमसे मुक़ाबला करने की बात भ्रामक है. भारतीय इतने साफ़ कैसे हो सकते हैं. उनके कमरों से कभी ना जाने वाली बदबू बड़ी रुकावट है.”

सोशल मीडिया पर एक अभियान भी मालदीव में शुरू किया था, जिसमें लोगों से मालदीव आने की बात कही जा रही थी और वहाँ की ख़ूबसूरती को बताया जा रहा था.

ऐसे में जब मालदीव सरकार के नेताओं की ओर से पीएम मोदी के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणी या प्रतिक्रिया आईं तो इसके जवाब में भारतीयों की ओर से भी ग़ुस्से का इज़हार सोशल मीडिया पर किया गया.

बॉलीवुड अभिनेता अक्षय कुमार, सलमान ख़ान, सचिन तेंदुलकर, श्रद्धा कपूर समेत कई हस्तियों ने भारत के समंदर में घूमने की बात की. अक्षय कुमार समेत कई लोगों ने मालदीव की ओर से आई प्रतिक्रियाओं पर कड़ी आपत्ति जताई.

ये मामला बढ़ता देख मालदीव की सरकार को सफ़ाई देनी पड़ी. मालदीव सरकार ने बयान जारी कर कहा, ”जो बातें सोशल मीडिया पर कही जा रही हैं, वो हमें पता हैं. ये निजी बयान हैं. इनका सरकार से कोई नाता नहीं. आगे ऐसा किसी ने बयान दिया तो हम कार्रवाई करने से हिचकेंगे नहीं.”

इस बयान के कुछ घंटों बाद ही ये रिपोर्ट्स आने लगीं कि मालदीव सरकार ने भारत को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी करने वाले मंत्रियों को निलंबित कर दिया है.

मालदीव का मीडिया क्या कह रहा है?

भारत और मालदीव के संबंधों में आई ताज़ा हलचल पर वहाँ के मीडिया में भी रिपोर्ट्स की जा रही हैं.

मालदीव के मीडिया समूह द एडिशन की रिपोर्ट के मुताबिक़, लक्षद्वीप में टूरिजम बढ़ाने की बात करने वाले भारतीय पीएम नरेंद्र मोदी के

फ़ैसले पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने वाले तीन डिप्टी मंत्रियों को मालदीव सरकार ने सस्पेंड कर दिया है.

इन लोगों को पीएम मोदी का अपमान और आलोचना के चलते सस्पेंड किया गया है. पीएम मोदी ने बीते हफ़्ते लक्षद्वीप में टूरिजम बढ़ाने को लेकर वीडियो पोस्ट किया था.

द एडिशन की रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार ने इन लोगों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की है. जनता की ओर से इन नेताओं पर एक्शन लिए जाने की मांग की जा रही थी. कहा जा रहा है इन लोगों के बयानों से मालदीव के पर्यटन पर असर हुआ और देश की छवि ख़राब हुई.

मालदीव के मीडिया में भारतीयों की ओर से यात्राओं को रद्द करने के फ़ैसले को भी जगह दी जा रही है. मालदीव जाने वालों में सबसे ज़्यादा तादाद भारतीयों की होती है

हर साल मालदीव कितने भारतीय जाते हैं?

विवार देर रात टूर एंड ट्रैवल कंपनी ‘इज़ माय ट्रिप’ की ओर से भी मालदीव की फ्लाइट बुकिंग रद्द करने का एलान किया गया.

‘इज़ माय ट्रिप’ के सीईओ निशांत ने सोशल मीडिया पर पोस्ट लिख कहा- हम अपने देश के साथ खड़े हैं और मालदीव की फ्लाइट बुकिंग हमने सस्पेंड कर दी हैं.

भारत से हर साल मालदीव बड़ी संख्या में लोग जाते हैं. बीते कुछ सालों में इस संख्या में इजाफा देखने को मिला है.

मालदीव जाने वालों में भारत की फ़िल्मी हस्तियों की भी बड़ी संख्या रहती है.

कुछ भारतीयों की ओर से रविवार को सोशल मीडिया पर बहिष्कार मालदीव का ट्रेंड भी चलाया गया था.

मालदीव के मीडिया में और क्या कुछ छपा

द प्रेस की रिपोर्ट में भी पीएम मोदी का अपमान करने वाले नेताओं को सस्पेंड किए जाने की ख़बर को प्रमुखता से छापा गया है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की सरकार लक्षद्वीप में सफ़ेद रेत बीच की ओर पर्यटकों को आकर्षित करने की कोशिश कर रही है.

ऐसा कहा जा जाता है कि मालदीव की सफ़ेद रेत वाले बीच काफ़ी सुंदर होते हैं. इन तटों की तस्वीरें, वीडियो भी सोशल मीडिया पर मशहूर हस्तियों समेत लोग शेयर करते रहे हैं.

भारत की इस कोशिश पर मालदीव सरकार समर्थक सोशल मीडिया एक्टिविस्टों ने टिप्पणी की, जिससे बाद में मालदीव सरकार ने किनारा किया.

इस रिपोर्ट में मालदीव सरकार के बयान को जगह दी गई.

इस बयान के मुताबिक़, ”विदेशी नेताओं और शीर्ष व्यक्तियों के ख़िलाफ़ सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर अपमानजनक टिप्पणी के बारे में मालदीव सरकार को जानकारी है. ये विचार निजी हैं और मालदीव सरकार के नज़रिए का प्रतिनिधित्व नहीं करते. सरकार का मानना है कि बोलने की आज़ादी का बर्ताव लोकतांत्रिक और ज़िम्मेदार तरीक़े से किया जाना चाहिए ताकि इससे नफ़रत, नकारात्मकता न बढ़े और अंतरराष्ट्रीय साझेदारों के साथ मालदीव के रिश्ते प्रभावित ना हों. सरकार के संबंधित विभाग ऐसे लोगों पर एक्शन लेने से हिचकेंगे नहीं, जो इस तरह की अपमानजनक टिप्पणी करते हैं.”

मालदीव में कहाँ से कितने लोग आते हैं?

मालदीव के मीडिया संस्थान एवीएएस ने देश में आने वाले पर्यटकों की संख्या पर रिपोर्ट की है. दिसंबर 2023 की इस रिपोर्ट में बताया गया है कि मालदीव आने वाले सबसे ज़्यादा पर्यटक भारतीय हैं.

इस रिपोर्ट के मुताबिक़, मालदीव में किस देश से आते हैं कितने लोग?

  • भारत: 2 लाख 5 हज़ार
  • रूस: 2 लाख 3 हज़ार
  • चीन: 1 लाख 85 हज़ार
  • यूके: 1 लाख 52 हज़ार
  • जर्मनी: 1 लाख 32 हज़ार
  • इटली: 1 लाख 11 हज़ार
  • अमेरिका: 73 हज़ार

रिपोर्ट में कहा गया है कि मालदीव में 1135 पर्यटन संबंधी सुविधाएं हैं. इनमें 175 रिसॉर्ट, 802 गेस्ट हाउस, 144 सफारी और 14 होटल हैं.

मालदीव के पूर्व नेताओं की आपत्ति

मालदीव के मीडिया संस्थान सन ने भी देश के पूर्व नेताओं के बयानों को जगह देते हुए इस मामले पर रिपोर्ट की है.

सन ने पूर्व राष्ट्रपति इब्राहिम सोलिह के रविवार को दिए बयान को जगह दी है.

सोलिह ने कहा था, ”भारत के ख़िलाफ़ मालदीव के सरकारी अधिकारियों द्वारा सोशल मीडिया पर नफ़रती भाषा इस्तेमाल किए जाने की मैं निंदा करता हूँ. भारत मालदीव का हमेशा से अच्छा दोस्त रहा है और हमारे दोनों देशों के बीच सालों पुरानी दोस्ती पर नकारात्मक असर डालने वाले इस तरह के संवेदनहीन बयान देने की हमें इजाज़त नहीं देनी चाहिए.”

सोलिह की पार्टी एमडीपी ने भी बयान जारी कर मुइज़्ज़ू सरकार के इन बयानों की निंदा की.

सोलीह के राष्ट्रपति रहते हुए भारत और मालदीव के संबंध क़रीबी रहे थे.

मालदीव के कुछ और नेताओं ने भी भारत को लेकर की गई टिप्पणियों का विरोध किया था.

मालदीव के पूर्व विदेश मंत्री अब्दुल्ला शाहिद ने लिखा था, ”मौजूदा मालदीव सरकार के उप मंत्रियों और सत्तारूढ़ गठबंधन के राजनीतिक दल के एक नेता की पीएम मोदी और भारतीय लोगों के ख़िलाफ़ सोशल मीडिया पर की गई अपमानजक टिप्पणी निंदनीय और नफ़रत से भरी है. सार्वजनिक पदों पर बैठे लोगों को मर्यादा बनाए रखनी चाहिए. उन्हें स्वीकार करना चाहिए कि सोशल मीडिया एक्टिविज़्म और नहीं होगा और लोगों को देश के हितों की रक्षा करने की ज़िम्मेदारी निभाएंगे.”

उन्होंने लिखा, ”हमारा संबंध आपसी सम्मान, इतिहास, संस्कृति और जनता के बीच मज़बूत रिश्तों की बुनियाद पर टिका है. भारत आजमाया हुआ और पक्का दोस्त है.”

मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद ने भी कहा था, ”मालदीव सरकार की मंत्री मरियम एक ऐसे प्रमुख सहयोगी देश के लिए भयावह भाषा बोल रही हैं, जो मालदीव की सुरक्षा और समृद्धि के लिए अहम हैं. मुइज़्ज़ू सरकार को ऐसे बयानों से दूर रहना चाहिए. साथ ही ये स्पष्ट करना चाहिए कि ये सरकार के विचार नहीं हैं.”

मालदीव के सोशल मीडिया पर क्या चल रहा है?

मालदीव की कई अहम हस्तियां इस मामले पर अपनी राय व्यक्त कर रही हैं.

मालदीव की संसद के स्पीकर मोहम्मद असलम ने सोशल मीडिया पर लिखा, ”कुछ उप-मंत्रियों की पीएम मोदी पर की गई आपत्तिजनक टिप्पणी मालदीव के लोगों की सोच नहीं है. भारत और मालदीव सम्मान, सहयोग साझा करते हैं, जिससे दोनों को फ़ायदा होता है. आइए इस रिश्ते को और मज़बूत करते हुए आपसी संबंध बेहतर बनाते हैं.”

अहमद अदीब मालदीव के पूर्व पर्यटन मंत्री हैं.

वो सोशल मीडिया पर लिखते हैं, ”शांति, सौहार्द, सहिष्णुता और आतिथ्य सत्कार के उसूलों पर हमने मालदीव की टूरिज़्म इंडस्ट्री को बनाया. वैश्विक ब्रैन्डस और निवेश के ज़रिए हम यहां तक पहुंचे, इनमें भारत से मिले सहयोग भी शामिल हैं. तब जाकर हमें सफलता मिली और हम मालदीव को लग्ज़री रिसॉर्ट डेस्टिनेशन में बदल पाए.”

अहमद अदीब कहते हैं, ”मालदीव के कुछ नेताओं की ओर से जो आपत्तिजनक और नस्लभेदी टिप्पणी पीएम मोदी और भारतीयों पर की गई, मैं उसकी निंदा करता हूं. मालदीव सरकार ने इन बयानों और नेताओं से दूरी बरती, ये फ़ैसला सराहनीय है. वैश्विक आर्थिक चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए ये ज़रूरी है कि हम सभी देशों से दोस्ताना संबंध रखें.”

मालदीव के सांसद हुसैन साहिम कहते हैं, ”भारत हमेशा मालदीव का दोस्त और क़रीबी सहयोगी रहा है. सरकार में शीर्ष पदों पर बैठे लोगों की टिप्पणी निंदनीय है.”

एक और सांसद कासिम इब्राहिम भी सोशल मीडिया पर लिखते हैं, ”जैसी टिप्पणी की गई, वो न सिर्फ़ राजनयिक उसूलों के ख़िलाफ़ है बल्कि ये दोनों देशों के पुराने संबंधों पर भी असर डालेगा. भारत मालदीव का दोस्त रहा है. ये अहम है कि हम दोस्ती और सदियों पुराने रिश्ते को बनाए रखें. हम ऐसे बयानों की इज़ाज़त नहीं देनी चाहिए जो हमारे संबंधों पर असर डाले.”

सफात अहमद वित्तीय सलाहकार हैं. वो सोशल मीडिया पर एक लंबी पोस्ट में दोनों देशों के संबंधों के बारे में बताती हैं.

वो कहती हैं, ”मालदीव और भारत पुराने दोस्त, सहयोगी और साझेदार हैं. 1965 से अब तक भारत और मालदीव के बीच संबंध हैं. हिंद महासागर क्षेत्र में स्थायित्व के लिए दोनों देशों के संबंध बेहद अहम हैं. सरकार के कुछ नेताओं की ओर से जो बयान दिए गए, वो दुर्भाग्यपूर्ण हैं. टूरिज्म हमारी अर्थव्यवस्था की जान है. महज़ राजनीतिक दबाव के लिए टूरिज्म इंडस्ट्री को ख़तरे में डालना देशभक्ति नहीं है. अफ़सोस कि इसकी क़ीमत मालदीव के लोगों को चुकानी होगी.”

अहमद महलूफ पिछली सरकार में युवा मामलों और खेल मंत्री थे.

वो सोशल मीडिया पर कहते हैं, ”पड़ोसी देश पर की टिप्पणी के बाद पैदा हुए विवाद से चिंतित हूं. भारतीयों के मालदीव का बहिष्कार करने का हमारी अर्थव्यवस्था पर बड़ा असर होगा. ऐसे किसी अभियान से उबर पाना हमारे लिए मुश्किल रहेगा. मैं सरकार से मांग करता हूं कि इस मसले को जल्द सुलझाएं. भारत सदैव हमारा क़रीबी पड़ोसी रहेगा. हम भारत और भारतीयों से प्यार करते हैं और मालदीव में हमेशा उनका स्वागत है. मालदीव का नागरिक होने के नाते मैं सभी मालदीव वासियों की ओर से पीएम मोदी और भारत पर की टिप्पणी के लिए माफ़ी मांगता हूं.”

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