जमशेदपुर : टाटा स्टील फाउंडेशन द्वारा आयोजित आदिवासी कला और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए एक सप्ताह तक चलने वाले मासिक कार्यक्रम जोहार हाट के समारोह की धूमधाम से शुरुआत हुई। साथ ही यह माह जोहार हाट के एक साल पूरे होने का प्रतीक है। जिसके तहत पिछले एक साल में 15 जनजातियों के 120 से अधिक प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। इस दौरान 6000 से अधिक लोग इसमें शामिल भी हुए। जिसका उद्देश्य उस विविधता को प्रदर्शित करना है और जो जोहार हाट जमशेदपुर की बड़ी आबादी के लिए लेकर आता है। इस अवसर पर टाटा स्टील फाउंडेशन के सीईओ सौरव रॉय ने कहा कि जोहार हाट आज अपनी पहली वर्षगांठ मना रहा है। साथ ही लगातार आदिवासी कारीगरों और होम शेफ के लिए प्रतिभा के प्रदर्शन के मंच के रूप में उभरा है। हम जनजातीय समुदायों द्वारा हम पर निरंतर विश्वास के लिए उनके आभारी हैं। हम अपने साझेदारों के प्रति आभार व्यक्त करते हैं, जो इस यात्रा को आगे बढ़ाने के लिए हमारे साथ सहयोग कर रहे हैं। वहीं कार्यक्रम में आदिवासी कला, उपचार परंपराओं और स्वादिष्ट व्यंजनों की जीवंत दुनिया पर प्रकाश डाला गया। जिसमें आठ आदिवासी विक्रय केंद्रों का एक समूह शामिल था। इन मासिक विशेष कार्यक्रमों ने हर महीने की 14 से 20 तारीख तक कारीगरों, शिल्पकारों, चिकित्सकों और घरेलू रसोइयों के साथ बातचीत करने का अवसर प्रदान किया। कारीगरों से जुड़कर जनता के लिए आयोजित कार्यशालाएं और झारखंड के आदिवासी कलाकारों की कला से सजा माहौल उत्सव की प्रमुख विशेषताएं थीं। वहीं सप्ताह भर चलने वाले उत्सव के एक भाग के रूप में कार्यक्रमों की एक श्रृंखला की योजना बनाई गई है। जिसमें जनजातीय संगीत प्रस्तुति, फिल्म स्क्रीनिंग, टेराकोटा आभूषण बनाना और जनजातीय व्यंजनों की प्रस्तुति शामिल है। जनजातीय व्यंजन मेनू में नए कॉम्बो और थालियां शामिल हैं और जो सालगिरह के उत्सव में एक आनंददायक पाक आयाम जोड़ते हैं। तीन राज्यों झारखंड, पश्चिम बंगाल और नागालैंड के साथ साथ केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के प्रतिभागी, छह जनजातियों संथाल हो, मुंडा, ओरांव, रेंगमा और बॉट का प्रतिनिधित्व कर आदिवासी कला रूपों में अपना जादू दिखाएंगे। वहीं एक्सएलआरआई जमशेदपुर के वार्षिक आयोजन मैक्सी फेयर के सहयोग से जोहार हाट का जनवरी 2024 संस्करण उत्सव में आदिवासी कला, व्यंजन और उपचार विधियों के विविध पहलुओं को प्रस्तुत करेगा। जोहार हाट हाल ही में गोपाल मैदान में आयोजित जमशेदपुर कार्निवल का भी हिस्सा था। बताते चलें कि टाटा स्टील फाउंडेशन जोहार हाट के पीछे प्रेरक शक्ति के रूप में आदिवासी संस्कृति के संरक्षण और प्रचार प्रसार में सबसे आगे रहा है। साथ ही आदिवासी समुदायों को अपनी सांस्कृतिक विरासत प्रदर्शित करने के लिए सक्षम मंच उपलब्ध कराने के प्रति इसकी प्रतिबद्धता इस पहल की सफलता को दर्शाती है। आदिवासी कला, व्यंजन और उपचार पद्धतियों के मंच को बढ़ावा देकर टाटा स्टील फाउंडेशन आदिवासी पहचान के संरक्षण में महत्वपूर्ण योगदान देता है।
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