Md Mumtaz
खलारी: जामडीह स्थित नीलाम्बर पीताम्बर सनसाईन इंग्लिश मीडियम स्कूल के बच्चों ने सावित्रीबाई फुले और शेख फातिमा को शिक्षा की तस्वीर पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी और उन्हें शिक्षा की देवी के रूप में याद किया। साथ ही 14 फरवरी को पुलवामा में शहीद हुए जवानों को नमन कर मोमबत्ती जलाई तथा उनको श्रद्धांजलि दी गई। मौके पर विद्यालय निदेशिका अनिता गंझू ने कहा कि देश की पहली महिला शिक्षिका सावित्रीबाई फुले एवं मुस्लिम शिक्षिका फातिमा शेख , ज्योतिबा फुले ने साथ मिलकर लड़कियों में शिक्षा की मशाल जलाने वाली पहली भारतीय महिला शिक्षिका है फातिमा शेख ने ही घर-घर जाकर मुस्लिम समुदाय और दलित समुदाय के लिए स्वदेशी पुस्तकालय में सीखने के लिए प्रोत्साहित किया था। शेख फातिमा मियां उस्मान शेख की बहन थी । यह बात बहुत कम लोग जानते होंगे कि फातिमा शेख ने भी बालिका सावित्रीबाई के साथ में ही शिक्षा ग्रहण की थी और पुणे में उन्ही के साथ अध्यापक प्रशिक्षण विद्यालय में ट्रेनिंग भी ली थी। जिनके घर पर ज्योतिबा फुले और सावित्रीबाई फुले निवास रह कर शिक्षा का अलख जगाने के साथ ज्योतिराव फुले और सावित्रीबाई फुले के साथ मिलकर 1848 में स्वदेशी पुस्तकालय की स्थापना की जो लड़कियों के लिए भारत के पहले स्कूलों में से एक है। शेख फातिमा ने सावित्रीबाई फुले को स्कूल में पढ़ाने की ली ज़िम्मेदारी उस ज़माने में अध्यापक मिलने मुश्किल थे, ऐसे में शेख ने ही सावित्रीबाई के स्कूल में पढ़ाने की ज़िम्मेदारी संभाली। इसके लिए उन्हें समाज के विरोध का भी सामना करना पड़ा था। फातिमा शेख ने शिक्षा के क्षेत्र में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया, जिसे देश हमेशा याद रखेगा। बताया जाता है कि फातिमा तमाम बच्चों को अपने घर में पढ़ने बुलाने के लिए लोगों के घर- घर तक जाती थी। सावित्रीबाई फुले ने महिलाओं को पुरुषों के ही सामान अधिकार दिलाने की बात की थी. सावित्रीबाई ने न सिर्फ महिला अधिकार पर काम किया बल्कि उन्होंने कन्या शिशु हत्या को रोकने के लिए प्रभावी पहल भी की. उन्होंने न सिर्फ अभियान चलाया बल्कि नवजात कन्या शिशु के लिए आश्रम तक खोले. जिससे उनकी रक्षा की जा सके। इस अवसर पर उपस्थित महिला शिक्षिकाओं ने भी अपने विचार रखे। वही पुलवामा के शहीदो को भी श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि आज ही के दिन पुलवामा में आरडीएक्स से उड़ा दिया गया था इस दिन सारा देश मातम मना रहा था सभी की आंखे नम थी लेकिन आज लोग हमारे देश के वीर शहीदों को भूल गए हैं। हालांकि इस दिन को देश में काले दिन के रूप में याद किया जाता है। मौके पर अनिता टोप्पो अनिता तिग्गा शबा रहमत कुलवंती उरांव सुमन कुमारी निराशो देवी विमल उरांव सहित अन्य स्कली बच्चे उपस्थित थे।