हजारीबाग के बड़कागांव में भेड़ पालन से आत्मनिर्भर बन रहे हैं ग्रामीण

संजय सागर

बड़कागांव: बड़कागांव प्रखंड भेड़ पालन के लिए हजारीबाग में प्रसिद्ध है. यहां भेड़ पालन व्यवसाय के साथ-साथ गांव की संस्कृति से भी जुड़ा हुआ है. बड़कागांव प्रखंड के विभिन्न गांवो में भेड़ पालन आर्थिक आमदनी का जरिया बन गया है. भेड़ से उन्नी निकाल कर भेड़ पालक व्यापारियों के पास बेचकर मुनाफा कमाते हैं. भेड़ का पालन बड़कागांव प्रखंड के खैरातरी, जमनीडीह, महटिकरा, मिर्जापुर, सिकरी, चमगढ़ा चोरका, पंडरिया, आंगों आदि गांवो में भेड़ पालन किया जाता है. अर्जुन महतो ने बताया कि एक भेड़ का कीमत 8,000 से लेकर ₹16,000 तक होती है यह आर्थिक आमदनी का मुख्य पैसा बन गया है. सरकार अगर भेड़ पालकों को सहयोग करती है तो गांव से कभी पलायन नहीं होगा. चमगढ़ा में दिनेश महतो के घर में 50 भेड़, गेना महतो के घर में 55, जगदीश महतो के घर में 25, हरीनाथ महतो के घर में 25, बुंदिया देवी के घर में 25 भेड़ का पालन किया जा रहा है.

भेड़ पालन व्यापार व संस्कृति से है जुड़ा
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आदर्श मध्य विद्यालय के शिक्षक जमीनीडीह निवासी का कहना है की भेड़ पालन से आर्थिक आमदनी होती हैं . इससे लोग आत्मनिर्भर हो रहे हैं. गांव का पलायन कम हो गया है. क्योंकि भेड़ पालन करने से लोगों को रोजगार मिल जा रहा है. शादी विवाह में भी भेड़ का महत्व बढ़ जाता है. क्योंकि शादी विवाह में ग्वांट में भेड़ की बलि दी जाती है . गोतिया और समाज उसे प्रसाद समझ कर उपभोग करते हैं. हम लोग का ग्वांट बड़कागांव के तेलियतरी में है. यहां शादी विवाह के दिनों में भेड़ की बलि दी जाती है. ग्वांट में पूजा करने से हम लोगो को सुरक्षा मिलती है. ग्वांट गांव का देवता होता है. इनका पूजा करने से किसी प्रकार की बीमारी व दुःख तकलीफ नहीं होती है.

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