झारखंड के पारंपरिक भोजन का हिस्सा है फुटकल साग, मिलता है औषधीय लाभ

खलारी: खलारी सहित आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में बहुतायत से पाया जाने वाला फुटकल वृ़क्ष से इन दिनों औषधियों गुणों से भरपुर उसकी कोमल पत्तों और कोंपलों को तोड़ा जा रहा है। वहीं इसे साग के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम फिक्स जेनीकुलाटा है। जानकार बताते है कि बसंत ऋतु की शुरुआत में फुटकल वृ़क्ष पर कोंपलों उग आती है। जिसे लोग वृ़क्ष पर चढ़ कर तोड़ते है। वहीं इस फुटकल साग को पुरे साल उपयोग करने के लिए सूखा कर भी रख लिया जाता है। खाने में हल्का खट्टापन लिए हुए फुटकल साग को कई व्यंजनों में उपयोग में लाया जाता है। जैसे माड़ झोर, चटनी, आचार सहित अन्य व्यंजन शामिल है। यह सेहत के लिए भी काफी फायदेमंद होता है। फुटकल साग में कैल्शियम, आयरन, जिंक और फाइबर यानी रुक्षांश का बहुत अच्छा स्त्रोत है। ग्रामीण बताते है कि फुटकल साग दांत और हड्डी को मजबूत और रक्त बढ़ाने के लिए अत्यंत उपयोगी है। वहीं दस्त, उल्टी, पेचिश, पेट दर्द के उपचार में घरेलू नुस्खे के रूप में भी फुटकल साग बहुत उपयोग किया जाता है। फुटकल साग झारखण्ड में पारंपरिक तौर पर यह हमेशा से उपयोग में लिया जाता रहा है।

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