एमजीएम सरकारी अस्पताल में उड़ रही है सरकारी नियमों की धज्जियां

– ठेका कंपनी जेना इंटरप्राइजेज कर रहा कर्मचारियों का शोषण

जमशेदपुर : एमजीएम सरकारी अस्पताल में महिनों से ठेका कंपनी द्वारा श्रम कानून नियमों की धज्जियां उड़ाई जार ही है। जिसके तहत अस्पताल के किचन में कार्यरत कर्मचारियों का ठेका कंपनी जेना इंटरप्राइजेज द्वारा शोषण भी किया जा रहा है। जहां सुपरवाइजर और कर्मी की संख्या लगभग 19 से 20 है। वहीं श्रम नियमों के अनुसार प्रतिदिन 410 रुपए के हिसाब से कर्मियों को महीने में वेतन का भुगतान किया जाना है। जिसमें उनका पीएफ और ईएसआई भी सम्मिलित रहता है। जिसके कटने के बाद कर्मियों के खाते में लगभग 10 हजार रुपए बतौर वेतन आना चाहिए। इसी तरह सुपरवाइजर के खाते में भी कट-छंट कर लगभग 12 हजार रुपए आने चाहिए। मगर यहां सबकुछ उल्टा है। क्योंकि ठेका कंपनी द्वारा श्रम नियमों को ठेंगा दिखाते हुए इन्हें खाते में वेतन न देकर सीधे हाथों में नगद पकड़ा दिया जाता है। सिर्फ यही नहीं अस्पताल में मरीजों के झूठे बर्तन उठाने वाली तीन महिला कर्मचारियों को वेतन के नाम पर सिर्फ नगद 5000 रुपए ही दिया जाता है। जबकि किचन में खाना बनाने वाले और मरीजों तक खाना पहुंचाने वाले पुरुष कर्मचारियों को भी श्रम कानूनों के अनुसार वेतन नहीं दिया जाता है। साथ ही उन्हें भी हाथों में ही नगद वेतन दिया जाता है। ठेका कंपनी द्वारा यह खेल महिनों से खेला जा रहा है। मगर आज तक अस्पताल प्रबंधन ने इस ओर ध्यान देना जरूरी नहीं समझा। अस्पताल में खुलेआम नियमों को ताक पर रखकर मनमाने तरीके से ठेका चलाया जा रहा है। मगर इससे किसी को कोई लेना-देना नहीं है। सभी अपने में ही मगन है। सरकारी अस्पताल में कर्मचारियों का शोषण हो रहा है। लेकिन इसे देखने की फुर्सत किसी के पास कहां है। इस संबंध में अधीक्षक डॉ रविंद्र कुमार ने कहा कि वेतन खाते में मिलना चाहिए। हाथ में नगद देना बिल्कुल गलत है। मामला संज्ञान में आया है और इसे देखकर ही बता पाएंगे।

Related posts