मलेरिया टाइफाइड से मुखिया का निधन 

संजय सागर

बड़कागांव : बड़कागांव सिंदूवारी पंचायत के मुखिया 55 वर्षीय करम राम का निधन टाइफाइड के कारण हो गई . मुखिया के पुत्र बाल्मीकि कुमार ने बताया कि मुखिया करम राम दो महीने से मलेरिया टाइफाइड से ग्रस्त थे. इनका इलाज हजारीबाग सदर अस्पताल से चल रहा था. इससे पहले से इनका टीवी बीमारी का इलाज चल रहा था. 20 मई की रात अपने घर सोनबरसा में आराम कर रहे थे . अचानक उनकी तबीयत बिगड़ गई . 3:00 बजे सुबह हजारीबाग सदर ले जाया गया. जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया. उनके निधन से बड़कागांव प्रखंड ही नहीं बल्कि हजारीबाग के आसपास क्षेत्र में भी शोक की लहर है. मृतक अपने पीछे मंजू देवी,दो पुत्री एवं एक पुत्र छोड़ गए. पुत्री सलोनी कुमारी प्रीति कुमारी एवं पुत्र बाल्मीकि कुमार अविवाहित हैं. इनकी दो पुत्री का विवाह कैसे होगा गांव वाले काफी चिंतित है. करम राम 2007 से जल जंगल जमीन बचाने को लेकर आंदोलन करते रहे. 2010 में पहली बार मुखिया चुने गए थे . 2016 में चुनाव हार गए थे. इसके बाद 2022 में पुन: मुखिया चुने गए थे.

 

शव यात्रा में शामिल हुए ग्रामीण

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गांव वालों ने इनका शव यात्रा निकाला. जिसमें मृतक के भाई झारखंड पुलिस प्रवीण कुमार राम,पंचायत समिति सदस्य सह रविदास महासभा के अध्यक्ष प्रभु राम, पंचायत समिति सदस्य निर्मला राम, मुखिया संघ के प्रखंड अध्यक्ष रंजीत मेहता सीकरी मुखिया प्रभु महतो , जिला परिषद सदस्य प्रतिनिधि मोहम्मद इब्राहिम, मुखिया संघ के सचिव मुखिया अनिकेत नायक, पूर्व मुखिया दीपक दास, अशोक राम आलोक रंजन पूर्व मुखिया भीखन प्रसाद , मुखिया प्रतिनिधि राजकुमार साव,पंकज कुमार, नेमधारी राम, गोविंद राम, अनुज कुमार दास,कालेश्वर राम, आदि मौजूद थे.

 

विधायक ने की शोक व्यक्त

 

विधायक अंबा प्रसाद मुखिया करम राम के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि सिंदवारी पंचायत ही नहीं बल्कि बड़कागांव प्रखंड एक जुझार नेता, आंदोलनकारी मुखिया को खो दिया .पूर्व विधायक लोकनाथ महतो ने कहा कि करम राम जन समस्याओं का समाधान करने के लिए हमेशा सजग रहते थे .ऐसा मुखिया को खोने से बड़कागांव को काफी क्षति हुई है. पूर्व मुखिया दीपक दास ने कहा कि करम राम बड़कागांव को बचाने के लिए काफी आंदोलन रत रहते थे. उनके निधन होने से विस्थापन के आंदोलन को प्रभाव पड़ेगा. पंचायत प्रतिनिधियों ने बताया कि करम राम केवल सिंदवारी पंचायत ही नहीं बल्कि पूरे बड़कागांव प्रखंड के जन समस्याओं का समाधान करते थे .इसलिए उनकी लोकप्रियता दूर-दूर तक फैली थी .यही कारण है कि उनके निधन होने पर आज ग्रामीणों की अपार भीड़.

 

सोनबरसा घाट में किया गया अग्नि संस्कार

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इनका अग्नि संस्कार सोनबरसा नदी घाट में किया गया. मुखाग्नि पुत्र वाल्मीकि द्वारा दी गई. इनके अग्नि संस्कार में बड़कागांव केरेडारी हजारीबाग, रामगढ़ सिमरिया, चतरा आदि गांव में शेरों के लोग पहुंचे हुए थे.

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