एमजीएम कैदी वार्ड में इलाज के नाम पर मौज ही मौज, सारी सुख-सुविधाओं का कैदी उठा रहे भरपूर आनंद 

– कईयों की यहीं से हो चुकी है जमानत, पूर्व में भी लगते रहे हैं आरोप

 

जमशेदपुर : चोर चोरी से जाए, मगर हेरा-फेरी से न जाए। यह कहावत एमजीएम अस्पताल के कैदी वार्ड में इलाजरत कैदियों के लिए एकदम सटीक बैठती है। माजरा कुछ ऐसा ही है। एमजीएम अस्पताल के कैदी वार्ड का हमेशा से विवादों से नाता रहा है। यहां पूर्वी सिंहभूम जिले के घाघीडीह सेंट्रल जेल समेत चाईबासा और सरायकेला जेल से इलाज के लिए लाए गए कैदियों को रखा जाता है और जिन्हें वार्ड में सारी सुख सुविधा भी मुहैया कराई जाती है। इसका कैदी भरपूर फायदा भी उठा रहे हैं। छोटी सी बिमारी का बहाना बनाकर कैदी यहां इलाज के नाम पर महिनों तक ऐश मौज करते रहते हैं। इस दौरान कैदियों की यहीं से जमानत भी हो जाती है। जिससे उन्हें जुर्म करने के बाद भी सजा मिलने का एहसास ही नहीं होता। ऐसा ही एक मामला प्रकाश में आया है। बताया जा रहा है कि बीते 30 मई 2023 की संध्या लगभग 6 बजे मानगो थाना अंतर्गत सहारा सिटी कॉलोनी में फ्लिपकार्ट के डिलीवरी बॉय मानगो बैकुंठ नगर निवासी रिशु का बिल्डर दीपक चौधरी से पार्सल लेने को लेकर विवाद हो गया था। जिसके बाद बिल्डर ने अपने लाइसेंसी रिवाल्वर से रिशु पर फायरिंग कर दी थी। मगर ऐन वक्त पर उसके झुक जाने से वह गोली पीछे खड़े बिल्डर के साथी अभिषेक मिश्रा के सीने में जा लगी। जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गया था। घटना के बाद उसे इलाज के लिए टीएमएच में भर्ती कराया गया। जहां से बेहतर इलाज के लिए पहले कोलकाता और फिर रांची के रिम्स अस्पताल में उसे भर्ती कराया गया। जहां इलाज के क्रम में 62 दिनों बाद उसकी मौत हो गई थी। इस मामले में पुलिस ने घटना के दो दिनों बाद ही बिल्डर दीपक चौधरी और उसके चालक भूषण महतो को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। साथ ही पुलिस ने घटना में प्रयुक्त हथियार भी जब्त किया था। जिसके बाद से दोनों जेल में ही बंद थे। वहीं इसी साल 17 फरवरी 2024 को घाघीडीह सेंट्रल जेल में चेस्ट पेन और कफ की शिकायत होने के बाद आरोपी दीपक चौधरी को इलाज के लिए एमजीएम कैदी वार्ड में भर्ती कराया गया। जहां वह पांच माह से इलाजरत है। उसका इलाज मेडिसिन विभाग के डॉ पी सरकार वन के यूनिट में चल रहा है। जबकि पूर्व से वे डायबिटीज बिमारी से ग्रसित भी है। इस दौरान उन्हें हाइपरटेंशन की शिकायत भी हुई। वहीं 13 जून को उन्होंने उल्टी होने के साथ-साथ कमजोरी की शिकायत भी की थी। मगर 15 जून को उन्होंने कोई शिकायत नहीं की। साथ ही 17 जून को डॉक्टर ने आरोपी दीपक चौधरी को अपनी रिपोर्ट में पेसेंट इज बेटर बताया है। वहीं जिस बीमारी की शिकायत पर उन्हें अस्पताल के कैदी वार्ड में भर्ती कराया गया था, वह कब का ठीक भी हो चुकी है। बावजूद इसके वे पांच माह से कैदी वार्ड में ठसक जमाए हुए हैं और यहां ऐशो आराम की जिंदगी भी जी रहे हैं। हत्या जैसा जुर्म करने के बाद भी उन्हें इसका एहसास तक नहीं हो रहा है। सूत्रों से पता चला है कि पूर्व में इसी कैदी वार्ड में पांच माह से इलाजरत आर्म्स एक्ट के आरोपी टोनी सिंह की जमानत भी हो चुकी है।

वहीं वर्तमान में यहां 12 कैदी इलाजरत है। अब सवाल यह उठता है कि क्या सचमुच ये कैदी बीमार है या फिर बीमारी का बहाना बनाकर यहां टिके हुए हैं। इससे पूर्व भी कई मामलों में कैदी वार्ड विवादों में रह चुका है

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