मेदिनीनगर: पड़वा चातुर्मास व्रत करने और कराने वाला के साथ-साथ इस में शामिल हो जाने से ही अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। उक्त बातें जीयर स्वामी जी ने रविवार को सिंगरा स्थित चातुर्मास व्रत प्रवचन में कही। कहा की शास्त्रों में तीन तरह के चातुर्मास व्रत का प्रमाण है। पहला आषाढ़ से आश्विन तक चार महीने एक स्थान पर रहकर जप, तप, तपस्या करना जिससे मनुष्य, जीव सहित प्रकृति का कल्याण हो वही चातुर्मास है। इसी चार महीने श्री राम ने भी चातुर्मास व्रत किया था जिसका प्रमाण रामायण में है। दूसरा चातुर्मास आषाढ़ शुक्ल एकादशी से देव उठान कार्तिक शुक्ल एकादशी तक चार माह चातुर्मास का भी शास्त्रों में प्रमाण है।तीसरा चातुर्मास श्रवण मास का दो पक्ष और भादो मास का दो पक्ष भी चातुर्मास व्रत का प्रमाण शास्त्रों में है।सभी तीनों तरह के चातुर्मास में विद्वान, संत, साधक एक स्थान पर रहकर जप, तप, तपस्या करते है। जिससे संसार और प्रकृति का कल्याण होता है।इस व्रत को करने और कराने वाला सभी को अक्षय पुण्य प्राप्त होता है। मालूम हो की प्रतिदिन सुबह में सात से साढ़े सात बजे आरती होता है। सायं में छह बजे से स्वामी जी द्वारा प्रवचन दिया जाता है।
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