जमशेदपुर : प्रारंभिक साक्षरता और गणना कौशल का अर्थ है शुरुआती शिक्षा के दौरान बच्चों में पढ़ने, लिखने (साक्षरता) और गणना (संख्यात्मकता) के सबसे बुनियादी कौशलों का विकास करना। नई शिक्षा नीति 2020 के तहत इस विषय पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। गुलमोहर हाई स्कूल और तारापुर स्कूल ने इस दिशा में अपने अनुभव और यात्रा को साझा करने के लिए स्वेच्छा से आगे बढ़कर पहल की है। वहीं टाटा एजुकेशन एक्सीलेंस प्रोग्राम ने 12 अगस्त को एक साझा सत्र का आयोजन किया। जिसमें 14 प्रतिभागी स्कूलों के 39 सदस्यों ने भाग लिया। जिनमें लीडरशिप और प्राथमिक स्कूल के शिक्षक शामिल थे। यह सत्र गुलमोहर स्कूल के प्राइमरी इकाई में स्थित टाटा ऑडिटोरियम में आयोजित किया गया। सत्र की शुरुआत दीप प्रज्वलन और प्रार्थना के साथ हुई। इस तरह स्कूल की प्राचार्या प्रीति सिन्हा ने स्कूल में लागू करने के लिए उठाए गए कदमों पर प्रकाश डाला। साथ ही उन्होंने रिसर्च और योजना बनाने से लेकर क्रियान्वयन और शिक्षकों को प्रशिक्षण तक के सभी चरणों की जानकारी भी दी। उन्होंने बताया कि कैसे कला, नृत्य, संगीत और खेल को पाठ्यक्रम में शामिल किया जा सकता है। उन्होंने कक्षा में टेक्नोलॉजी के उपयोग को भी छात्रों और शिक्षकों के लाइव उदाहरणों और डेमो के माध्यम से समझाया। रिसोर्स पर्सन के रूप में इशिता डे प्राचार्य तारापुर स्कूल ने जटिल अवधारणाओं को रोचक कहानियों और व्यावहारिक उदाहरणों के साथ आसानी से समझाया। उन्होंने शिक्षकों को एस, फॉर और ऑफ लर्निंग प्रकारों की स्पष्ट जानकारी भी दी। प्रारंभिक और अनुकूल मूल्यांकन पर चर्चा को आगे बढ़ाया। इशिता ने तारापुर स्कूल के मूल्यांकन तरीकों को नेशनल एजुकेशन पॉलिसी और एफएलएन दिशानिर्देशों के अनुरूप प्रस्तुत किया। दोनों स्कूलों के शिक्षकों ने अपनी नवीनतम शिक्षण सामग्री प्रदर्शित की और कक्षा में इन अवधारणाओं के व्यावहारिक उपयोग को दर्शाया। प्रतिभागियों ने सत्र से सीखी गई नई चीजों को अपने स्कूलों में लागू करने की योजना बनाई। जिससे एनईपी कार्यान्वयन की उनकी यात्रा को तेजी से आगे बढ़ाया जा सके।