एमजीएम अस्पताल में चल रहा टेंडर का खेल

 

चहेते निविदा दाता को टेंडर देने के लिए बदला नियम, पुराना टेंडर दर अब तक नहीं खुला

 

जमशेदपुर : बीते मंगलवार मानगो डिमना स्थित एमजीएम अस्पताल के नये भवन में मेडिकल ओटी इंस्ट्रुमेंट, गैस पाइपलाइन और फर्नीचर के लिए पत्रांक 210/24-25 और दिनांक 25.01.2025 के तहत अति अल्प निविदा प्रकाशित की गई थी। इसमें पहले ट्रेड लाइसेंस और लेबर लाइसेंस मांगा गया था। मगर बाद में ट्रेड लाइसेंस को हटा दिया गया। साथ ही लेबर लाइसेंस को हटाकर उसकी जगह पीएफ और ईएसआईसी की मांग निविदा दाता से की गई। साथ ही इसमें पहले टर्न ओवर 3 करोड़ रुपए था। जबकि टेंडर राशि का दो से ढाई गुणा होना चाहिए। साथ ही तीन सालों का एवरेज भी होना चाहिए। ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि अपने चहेते निविदा दाता को टेंडर दिलाने के लिए अन्य निविदा दाता की भागीदारी कम हो जाय। इसी तरह चहेते निविदा दाता के पास उपरोक्त दस्तावेज के अभाव में दूसरा दस्तावेज देने के लिए नियम ही बदल दिया गया। पहले टेंडर के लिए 15-20 दिनों का समय रहता था। मगर अब एक सप्ताह का शॉर्ट टाइम टेंडर निकाला जा रहा है। जिसका कारण नये अस्पताल भवन में जल्द से जल्द सामानों की पूर्ति कर उसे चालू करना बताया जा रहा है। वहीं सूत्रों से पता चला है कि विगत दो माह के अंदर जो भी टेंडर निकाला गया है, उसमें अस्पताल के उपाधिक्षक सह नोडल पदाधिकारी डॉ नकुल प्रसाद चौधरी और डॉ जुझार माझी से ना तो कोई चर्चा की गई और ना ही इसमें उनकी सहमति ही ली गई है। और तो और निकाले गए किसी भी टेंडर में उनका हस्ताक्षर तक नहीं है। सूत्रों से पता चला है कि इस पूरे खेल में अस्पताल प्रबंधन के साथ-साथ उनका खासमखास कर्मचारी, जिसे कुछ समय पहले ही एमजीएम कॉलेज से बुलाया गया है, के अलावा वर्षों से अस्पताल में जमा लिपिक भी शामिल हैं। इतना सबकुछ होने के बाद भी किसी भी उच्च अधिकारी का इस ओर ध्यान नहीं जा रहा है। अंततः गुरुवार ही इस टेंडर को खोल भी दिया गया। जबकि इसके उल्ट 2024-25 में एमजीएम अस्पताल के लिए औषधि-रसायन और विविध शल्य सामग्रियों के लिए कार्यालय के पत्रांक 5101 दिनांक 09.03.24 तथा शुद्धि पत्र संख्या 714/24-25 दिनांक 12.06.24 द्वारा ई-निविदा प्रकाशित की गई थी।, का अब तक दर ही नहीं खोला गया है और जिसे एक साल भी हो चुके हैं। वहीं राज्य सरकार और मंत्री तो स्वास्थ्य विभाग में सुधार लाना चाहते हैं। मगर क्या ऐसे अधिकारियों और कर्मचारियों के रहते ऐसा संभव हो पाएगा। बहरहाल इस संबंध में हमने अस्पताल अधीक्षक डॉ शिखा रानी से जानकारी लेनी चाही। मगर उन्होंने बात करने से इंकार कर दिया।

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