जमशेदपुर : राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री सह सरायकेला विधानसभा क्षेत्र से भाजपा विधायक चंपई सोरेन ने बुधवार अपने पैतृक गांव झिलिंगगोड़ा में धूमधाम से बाहा पर्व का आयोजन किया। जिसमें उन्होंने आदिवासी रीति-रिवाजों के साथ प्रकृति के देवता की पूजा कर आदिवासी वेशभूषा में जाहेरथान पहुंचकर अपनी श्रद्धा भी अर्पित की। इस दौरान उन्होंने कहा कि बाहा पर्व आदिवासी समाज की धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान को प्रकट करने का एक अवसर है। इसमें आदिवासी समाज प्रकृति के देवताओं के प्रति आभार व्यक्त करते हैं। जिसका मुख्य उद्देश्य समुदाय के बीच सामंजस्य, सहयोग और एकता को बढ़ावा देना है। साथ ही उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज के लोग अपने पारंपरिक पुजारियों के मार्गदर्शन में देवताओं को अर्पित फूलों से पूजा कर समृद्धि की कामना करते हैं। इसी तरह उन्होंने कहा कि आदिवासियों का इतिहास समृद्ध और गौरवशाली रहा है। उनके धार्मिक स्थल देश-विदेश में प्रसिद्ध हैं। साथ ही उन्होंने 23 मार्च को संथाल की धरती से उलगुलान का आह्वान भी किया। जहां वे बांग्लादेशी घुसपैठ और धर्मांतरण जैसे मुद्दों को प्रमुखता से उठाएंगे। उन्होंने कहा कि इन मुद्दों ने झारखंड के आदिवासी समाज को लगातार ठगा है और अब वे जन आंदोलन के माध्यम से इन समस्याओं का समाधान करेंगे। अंत में विधायक चंपई सोरेन ने कहा कि जब उन्होंने मुख्यमंत्री की कमान संभाली थी, तब से उन्होंने राज्य के सभी पवित्र धार्मिक स्थलों को एक पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने की योजना बनाई थी। जिसका परिणाम यह है कि आज झारखंड के जाहेरथान और जाहेरगढ़ जैसे धार्मिक स्थल प्राकृतिक सौंदर्यता से भर गए हैं। वहीं उन्होंने आदिवासियों के इतिहास और उनके धार्मिक स्थलों की महत्ता पर जोर देते हुए कहा कि इन स्थलों की मान्यता केवल झारखंड ही नहीं, बल्कि पड़ोसी देशों बांग्लादेश और नेपाल में भी प्रचलित है।