स्वार्थ की नहीं, कृष्ण और सुदामा जैसी मित्रता करो – पंडित विवेक महाराज

जमशेदपुर : सीतारामडेरा भुइयांडीह स्लैग रोड स्थित नीति बाग कॉलोनी में चल रहे सात दिवसीय भागवत कथा के सातवें और अंतिम दिन शुक्रवार को कथावाचक आचार्य बालव्यास पंडित विवेक महाराज ने सुदामा चरित्र, शुकदेव विदाई, परीक्षित मोक्ष समेत विभिन्न प्रसंगों पर प्रवचन दिया। इस दौरान उन्होंने कृष्ण के अलग-अलग लीलाओं का वर्णन करते हुए कहा कि परमात्मा बिना मांगे ही भक्तों को सब कुछ प्रदान कर देता है। कथा व्यास ने सुदामा चरित्र की कथा सुनाते हुए कहा कि परमात्मा में आसक्ति मनुष्य को सांसारिक मोह माया से मुक्त करने वाली है और जीव भवबंधन से पार पा जाता है। उन्होंने बताया कि मित्रता कैसे निभाई जाए, यह भगवान श्री कृष्ण और सुदामा से समझ सकते हैं। कथाव्यास ने कहा कि मित्रता करो तो भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा जैसी करो। सच्चा मित्र वही है, जो अपने मित्र की परेशानी को समझे और बिना बताए ही मदद कर दे। परंतु आजकल स्वार्थ की मित्रता रह गई है। जब तक स्वार्थ सिद्ध नहीं होता है, तब तक मित्रता रहती है और जब स्वार्थ पूरा हो जाता है तो मित्रता भी खत्म हो जाती है। कथाव्यास की वाणी से भगवान श्री कृष्ण और सुदामा की मित्रता की कथा सुनकर वहां मौजूद सभी श्रोता भाव विभोर हो गए। वहीं उन्होंने सातों दिन की कथा का सारांश बताते हुए कहा कि जीवन कई योनियों के बाद मिलता है और इसे कैसे जीना चाहिए इसके बारे में भी उपस्थित भक्तों को समझाया। उन्होंने श्रोताओं को भागवत को अपने जीवन में उतारने की अपील भी की। आचार्य ने गौ सेवा कार्य करने पर जोर भी दिया। अंत में कृष्ण के दिव्य लोक पहुंचने का वर्णन किया। आज महाआरती के बाद भोग का वितरण भी किया गया। कथा में मुख्य रूप से जिला मारवाड़ी सम्मेलन के अध्यक्ष मुकेश मित्तल, समाजसेवी बंटी सिंह, जुगुनू पाण्डेय आदि ने बांके बिहारी के दरबार में हाजरी लगाते हुए कथा का आनन्द भी लिया। साथ ही विवेक महाराज से आर्शीवाद लेकर झारखंड के विकास की प्रार्थना भी की। श्री हरि गोबिन्द सेवा समिति और जेके पांडा इकोसिटी गालुडीह द्धारा आयोजित सात दिवसीय भागवत कथा महोत्सव को सफल बनाने में मुख्य रूप से गोविन्द राम सरोज, अधिवक्ता श्रीराम सरोज, हरिओम सरोज, सरिता सरोज, नंदजी सिंह, दिलीप सिंह, रवि सिंह, आकाश पाठक, मनोज शर्मा, विकास शर्मा, संजय ठाकुर, रामेश्वर सिंह, विक्रम ठाकुर, अमृता अग्रवाल, महेश कुमार, रामेश्वर सिंह, परसुराम पोद्दार, एके श्रीवास्तव, शांति तिवारी, सोनी कुमारी, संजय सिंह, अल्पना मुखर्जी आदि का योगदान रहा। इस दौरान सभी दिन इस कथा का सीधा प्रसारण वैदिक व आस्था चेनल पर भी हुआ।

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