अत्याचारियों का नाश करने के लिए भगवान धरती पर लेते हैं अवतार – आशुतोष
– धर्म और मर्यादा के पालन के लिए आज की युवा पीढी को संस्कार की सीख जरूरी
जमशेदपुर : गोलमुरी टुइलाडुंगरी गाढ़ाबासा स्थित कम्युनिटी सेन्टर में चल रहे भागवत कथा में चौथे दिन रविवार को व्यास पीठ से कथावाचक आचार्य आशुतोष तिवारी शांडिल्य जी महराज ने भगवान श्रीराम व श्रीकृष्ण के जन्म का मनोरम वर्णन किया गया। इस दौरान भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव भी मनाया गया। कृष्ण जन्म के प्रसंग शुरू होते ही पंडाल में मौजूद श्रद्धालु नंद के घर आनंद भया जय कन्हैया लाल भजन के साथ झूम उठे। भागवत कथा में कृष्ण जन्म की बधाई सुन श्रोता नाचने लगे और वातावरण कृष्णमय हो गया। उन्होंने धर्म और मर्यादा के पालन के लिए आज की युवा पीढी को भगवान श्री कृष्ण से संस्कार से सीख लेने की बात कही। भक्त भगवान सेवा समिति द्वारा आयोजित कथा के दौरान राम जन्म, राम चरित्र और कृष्ण जन्म की कथा सुनाते हुए महाराज ने कहा कि जब-जब धरती पर आसुरी शक्ति हावी हुईं, तब-तब परमात्मा ने धर्म की रक्षा के लिए अवतार लेकर पृथ्वी पर धर्म की स्थापना की। मथुरा में राजा कंस के अत्याचारों से व्यथित होकर धरती की करुण पुकार सुनकर नारायण ने कृष्ण रुप में देवकी के अष्टम पुत्र के रूप में जन्म लिया। धर्म और प्रजा की रक्षा कर कंस का अंत किया। महाराज ने कृष्ण जन्म की कथा के पूर्व भगवान राम के अवतार की लीला का वर्णन किया। उन्होंने रामकथा का संक्षिप्त में वर्णन करते हुए कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम ने धरती को राक्षसों से मुक्त करने के लिए अवतार धारण किया। साथ ही उन्होंने कहा कि जीवन में भागवत कथा सुनने का सौभाग्य मिलना बड़ा दुर्लभ है। जब भी हमें यह सुअवसर मिले, इसका सदुपयोग करना चाहिए। कथा सुनकर उसी के अनुसार कार्य करें। कथा का सुनना तभी सार्थक होगा। जब उसके बताए हुए मार्ग पर चलकर परमार्थ का काम करें। इस अवसर पर काफी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।