बड़ा सवाल – क्या निरसा थानेदार नपेंगे ? कब तक कोयले के अवैध उत्खनन में मरते रहेंगे लोग और मामले की होती रहेगी लीपापोती

* प्राथमिकी तो होती है लेकिन कोयला तस्कर गिरफ्तार नहीं होते !

संजय सिन्हा

निरसा: सवाल एक नहीं कई है। अब यहां बड़ा सवाल यह उठता है कि खनन क्षेत्र प्रतिबंधित क्षेत्र है ,यहां लोगों का प्रवेश कैसे हो जाता है, क्या ईसीएल, बीसीसीएल और सीआईएसएफ की कोई जवाबदेही नहीं है कि निषेध क्षेत्र में उन्हें जाने से रोका जाए, क्या इलाके की फेंसिंग की गई है, पुलिस भी इस मामले में कहीं ना कहीं भागीदार होती है. नतीजा होता है कि पुलिस तभी पहुंचती है जब गोली -बम चलते है.

बाकी तो पुलिस सबकुछ देखकर भी कुछ नहीं देखती है. कोयला चुराने के लिए हर दिन भारी भीड़ होती है. साइकिल ,बाइक छोटे वाहन परियोजना में ले जाए जाते है. पुरुष, महिलाएं और बच्चे कोयला उठाने के लिए जाते हैं और उसके बाद घटनाएं हो जाती है. जिन चार लोगों की मौत हुई है, उनका दाह संस्कार कर दिया गया है. लेकिन पुलिस रिकॉर्ड में यह सब दर्ज नहीं है. मतलब साफ है कि अवैध उत्खनन के काम में चाहे पुलिस हो, सीआईएसएफ या ईसीएल व बीसीसीएल मैनेजमेंट हो, सबकी भागीदारी है और यही वजह है कि अवैध उत्खनन के साथ कोयला चोरी और तस्करी यहां धड़ल्ले से चल रहा है। कोयले के काले खेल में अब तक जा चुकी है कई लोगों की जान, पुलिस की संरक्षण में चल रहा है अवैध धंधा।
तीन चरणों में चलता है अवैध कोयला खनन का काला खेल

कोयले का यह काला खेल तीन चरणों में होता है। पहले चरण में बंद पड़े खदान या चालू खनन क्षेत्रों से गिरोह के सदस्य कोयला को एक स्थान पर एकत्रित करते है। दूसरे गिरोह के सदस्य एक निश्चित स्थान पर एकत्रित कोयले को साइकिल या मोटरसाइकिल पर लोड कर गिरोह के संचालक के पास पहुंचते हैं। जहां से गिरोह का संचालक ट्रकों पर लोड कर इसे बिहार, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश भेजता है। राज्य के बाहर अवैध कोयला को वैद्य तरीके से भेजने के लिए फर्जी चालान भी तैयार किया जाता है या एक ही चालान के माध्यम से कई वाहन अवैध तरीके से बाहर भेजे जाते है। हालांकि, इसकी जानकारी पुलिस को भी भली भांति होती है। यह भी कहा जा सकता है कि पुलिस की देख -रेख में ही यह सारा खेल होता है। धनबाद में अभी कोयले के इस अवैध कारोबार में 50 हजार से अधिक लोग प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रुप से जुड़े है।

कहने को तो धनबाद के कुल 52 थाना और ओपी में प्राय हर कोयला तस्करों के खिलाफ मामले दर्ज है. लेकिन यह केवल रिकॉर्ड दुरुस्त करने के लिए किया गया है. किसी भी एफआईआर पर दमदार कार्रवाई नहीं होती. नतीजा है कि कोयला कटवाने वाले गैंग के मुखिया स्वच्छंद रहते हैं और कोयले की तस्करी से अपनी गोटीलाल करते रहते है।

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