बिस्टुपुर बाजार में बिना अनुमति के 12 फीट की दुकान को बना दिया 20 फीट

– जमशेदपुर अक्षेस के अंतर्गत सैरात बाजारों के आने से बढ़ा अतिक्रमण और अवैध निर्माण

जमशेदपुर : टाटा स्टील द्वारा लगभग 6 माह पहले ही शहर के 10 सैरात बाजारों को जमशेदपुर अक्षेस विभाग के सुपूर्द कर दिया गया था। जिसके बाद से लगातार बाजारों में अवैध निर्माण और अतिक्रमण का दौर जारी है। वहीं बाजार के दुकानदार अपनी मनमर्जी से दुकानों को अवैध तरीके से दो तल्ला तक बना दे रहे हैं। साथ ही सैरात की जमीन पर अतिक्रमण कर अवैध दुकानों का निर्माण भी किया जा रहा है। बावजूद इसके विभाग मूकदर्शक बनी हुई है। जिसके कारण दुकानदारों का मनोबल बड़ा हुआ है और वे लगातार अवैध निर्माणों को अंजाम देते जा रहे हैं। इसी क्रम में शुक्रवार भी बिस्टुपुर बाजार में अवैध निर्माण देखने को मिला। जिसके तहत दुकान संख्या 38 व 39 जो कि दुकान मालिक सज्जाद अख्तर और इफत आरा के नाम पर है, के द्वारा धड़ल्ले से दिन के उजाले में अवैध निर्माण को अंजाम दिया जा रहा था। इस दौरान 12 फीट की दीवार को 20 फीट का निर्माण किया जा रहा था। जिससे ऐसा प्रतीत होता है कि 12 फीट के गारमेंट्स की दुकान को दो ताला बनाया जा रहा है। वहीं जब हमने मौके पर पहुंचकर मालिक से दुकान बनाने की अनुमति लेने के बारे में पूछा तो उन्होंने विभाग के अधिकारी जॉय गुड़िया और किसी तिवारी से अनुमति लेने की बात कही। जिसके बाद मौके से ही हमने मामले को लेकर संबंधित अधिकारी जॉय गुड़िया से बात की तो उन्होंने अनुमति देने की बात से साफ इंकार किया। साथ ही उन्होंने दुकानदार को बिना अनुमति के निर्माण कार्य जारी रखने के लिए नोटिस देने की बात भी कही। इस दौरान दुकानदार ने खुद को घिरता हुआ देख मौखिक रूप से अनुमति लेने की बात भी स्वीकार की। जो कहीं से भी उचित नहीं है। बताते चलें कि कदमा बाजार में कुछ माह पहले आगजनी की घटना घटी थी और जिसमें कई दुकानें जल का राख हो गई थी। वहीं घटना के बाद उक्त जगह पर अवैध रूप से दुकानदारों द्वारा दुकान का निर्माण कर लिया गया। मगर आज तक उनके विरुद्ध विभाग के द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई और जो विभाग के उदासीन रवैये को दर्शाता है। शहर के सैरात बाजारों में लगातार अतिक्रमण और अवैध निर्माण किया जा रहा है। मगर विभाग निद्रा में सोई हुई है। जबकि गुरुवार को हुई बैठक में जिले के डीसी मंजूनाथ भजंत्री ने अवैध अतिक्रमण पर सख्त रुख अपनाते हुए अधिकारियों से कार्रवाई करने की बात भी कही है। अब देखना यह है कि कब तक इन अवैध निर्माणों पर विभाग का डंडा चलता है।

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