भाजपा के कालीचरण सिह और कांग्रेस के के एन त्रिपाठी के बीच चतरा मे है जोरदार मुकाबला

 

टंडवा: 1899 बूथों पर 16 लाख 85 हजार 462 मतदाता चतरा लोकसभा सीट पर सांसद के 22 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला 20 मई को करेंगे। उम्मीदवारो के चुनाव चिन्ह मिलते ही चतरा लोकसभा मे तपती दोपहरी मे घर घर जाकर उम्मीदवार रिझाने मे लगे हुए है। 1899 बुथो पर उम्मीदवारो का झकझुमर जरूर चल रहा है पर मतदाता पूरी तरह खामोश है। इधर 11 मयी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चतरा के सिमरिया ब्लाक मे दौरे से भाजपाई पूरी तरह उत्साहित है। चुनावी चर्चाओ की माने तो 22 उम्मीदवार चुनावी मैदान मे जरूर ताल ठोक रहे है पर मुख्य मुकाबला भाजपा के सांसद उम्मीदवार कालीचरण सिह और कांग्रेस महागठबंधन के उम्मीदवार के एन त्रिपाठी के बीच है। वैसे डाक्टर अभिषेक कुमार भी इस मुकाबले मे शामिल होने के लिये जोरदार संघर्ष कर रहे है।जबकि बसपा उम्मीदवार नागमणि जेल मे बंद है। जानकारो की माने तो चतरा संसदीय सीट मे पांच विस आता है इसमे सिमरिया और पांकी विस मे भाजपा के विधायक का कब्जा है जबकि लातेहार, मनिका मे जेएमएम का तथा चतरा मे राजद विधायक का कब्जा है। पिछले चुनाव परिणाम को देखे तो भाजपा के निवर्तमान सासद सुनील सिंह ने अपने प्रतिद्वंदी को साढे तीन लाख वोटो से हराया था। सबसे चौकाने वाली बाते है कि भाजपा ने 18 वी लोकसभा चुनाव मे पहली बार चतरा के लाल कालीचरण सिह को टिकट देकर अधिकांश मतदाताओ का दिल जीत लिया है। इसीलिए सिमरिया विधायक किसुन कुमार दास दावा कर रहे है कि इस बार पांच लाख वोट से अधिक कालीचरण सिह चुनाव जीतेंगे। वही महागठबंधन उम्मीदवार के एन त्रिपाठी भाजपा पर जमकर हमला कर रहे है। और विकास के मुद्दे पर भाजपा को घेर रहे है।जबकि तीन विस मे महागठबंधन का वर्चस्व होने के कारण के एन त्रिपाठी का हौसला बुलंद है। इधर पूर्व विधायक जयप्रकाश भोक्ता ने भाजपा के पक्ष मे अपना नामांकन वापस लेने से कालीचरण सिह समेत भाजपाईयो का हौसला सातवे आसमान पर है।

सिमरिया विस मे कुल बूथ संख्या 419, मतदाता 3 लाख 73 हजार 781, चतरा बूथ संख्या 475, कुल मतदाता 4 लाख 24 हजार 563, मनिका विस कुल बूथ संख्या 321 कुल मतदाता 2 लाख 59 हजार 391, लातेहार बूथ संख्या 358, कुल मतदाता 3 लाख 5 हजार 799, पांकी बूथ संख्या 326 कुल मतदाता 3 लाख 21 हजार 931 है। बहरहाल भाजपा इस बार तीसरी बार चतरा से हैट्रिक लगायेगी या फिर कांग्रेस का हाथ मजबूत होगा। यह तो चार जून को मतगणना के बाद पता चलेगा पर इतना तय है कि जीत हार का अंतराल एक बार फिर ज्यादा रहने की संभावना है।

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