Md Mumtaz
खलारी: ब्रह्माकुमारी गीता पाठशाला डकरा सुभाष नगर की नियमित ब्रह्माकुमारी प्रीति बहन ने होली का आध्यात्मिक रहस्य बताया। उन्होंने कहा कि आध्यात्मिक ज्ञान के रंग से आत्मा रूपी चोला को रंगना ही वास्तविक होली मनाना है। कहा कि माया का रंग तो हर एक मनुष्य पर चढ़ा हुआ है। अब ईश्वरीय संग के रंग में आत्मा को रंगना ही आध्यात्मिक होली है। होली का उत्सव हमें आपसी भेदभाव, मन मुटाव, अहंकार व तमाम सामाजिक बंधनों को तोड़कर अपनी अंदर की भावना उमंग उल्लास को प्रकट करने का अवसर देता है। होली भी भगवान द्वारा आत्माओं को अपने संग के रंग में और ज्ञान के रंग में रंगने के कर्तव्य का एक माध्यम है। ज्ञान को सच्ची पूंजी, अविनाशी खजाना, परम औषधि, अमृत, अंजन, प्रकाश भी कहा गया है। कहा कि प्रभु के संग से आत्मा में जो अलौकिक निखार आता है, उसे ज्ञान का रंग चढना कहा जाता है। परमपिता परमात्मा शिव ने हमें होली शब्द के तीन अर्थ बताये हैं। होली अर्थात बीती सो बीती, जो हो गया उसकी चिन्ता न करो तथा आगे के लिए जो भी कर्म करो योगयुक्त होकर करो, होली अर्थात हो गई। मेरी आत्मा अब ईश्वर अर्पण हो गई, अब जो भी कर्म करना है वह ईश्वर के लिए ही करना है, होली अर्थात पवित्र। दुनिया की होली तो कपड़ों और मुंह को रंग देती है लेकिन ईश्वरीय ज्ञान व शक्तियों की अलौकिक होली जो जीवन को पवित्र बनाते हुए खुशियों से रंग देती है। वही प्रीति बहन ने आगामी होली को देखते हुए कोयलांचल सहित क्षेत्र के लोगों से नशे से दूरी रखने की अपील किया है। साथ ही यह संदेश दिया हैं कि, नशे से मानव जीवन बेकार होता है और परिवार का विनाश होता है। उन्होंने कहा कि अगर नशा करना ही है तो सच्चे ज्ञान का नाश करें। जिससे मानव जीवन का उद्धार होता है। उन्होंने कहा कि प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के तमाम सेवा केंद्र पर राजयोग परमपिता परमेश्वर पिता द्वारा निःशुल्क सिखाया जाता है, जिससे मुक्ति और जीवनमुक्ति मिलती है। साथ ही पूरी सृष्टि चक्र एवं प्रत्येक त्योहारों के आध्यात्मिक रहस्यों की विस्तृत जानकारी दी जाती है।