आया सावन झूम के …

  संजय सागर झमाझम बरस रही है बदरिया सावन की जैसे रुत आई है ,मनभावन की। भीनी खूशबू के साथ खिल उठी हैं कलियां, बारिश की भी बढ़ गई है सरगोशियां। सावन झूमकर आई है। सावन आने से आकाश बादल एवं धरा भी झूम उठी है. वर्षा रानी भी पायल जैसी आवाज करती छम छम बरसने लगी है। बारिश के बंदे से धारा भी तृप्त होती है। पेड़ पौधे और फूल भी झूम उठे है. शीतल हवा भी इतराने लगी है। बादल बौराने लगे हैं। बच्चे बूढ़े और जवान मत…

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ग्लोबल वार्मिंग, संभलने की वार्निंग

उमाशंकर पाण्डेय मनुष्य का जल-जंगल-जमीन से रिश्ता आदिकाल से है। बिना इनके जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती। आज सबसे बड़ा संकट ग्लोबल वार्मिंग का है। इससे सारी दुनिया चिंतित है। ग्लोबल वार्मिंग ने कई तरह की दुश्वारियां पैदा की हैं। पृथ्वी का तापमान बढ़ने (ग्लोबल वार्मिंग) और उसकी वजह से होने वाला जलवायु परिवर्तन आज प्रकृति की तबाही की सबसे महत्वपूर्ण कारक है। पृथ्वी के औसत तापमान में बढ़ोतरी या ग्लोबल वार्मिंग मुख्यतः कार्बन उत्सर्जन की तेजी से बढ़ती दर और कम होते जंगलों का परिणाम है। उत्तर…

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मैट्रिक टॉपर छात्रों को किया गया सम्मानित

मेदिनीनगर : हरिहरगंज प्रखंड के ढाब कला ओवर ब्रिज स्थित द कॉन्सेप्ट क्लासेस में रविवार को मोटिवेशनल सेमिनार सह सम्मान समारोह का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में संस्थान के निदेशक मुकेश आर्यन, मुख्य अतिथि चंदन सिंह, पीयूष कुमार, रोहित शर्मा, मनोज शर्मा, आधीका कुमारी ने मैट्रिक के परीक्षा में बेहतर प्रदर्शन करने वाले छात्र-छात्राओं को सम्मानित करते हुए मोटिवेट किया गया. सम्मानित होने वालो में जहां दिलीप गंझू 91.6, रिचा 88, प्रकाश व अमित 87, लव, मुकेश तथा आंचल 86, सोनू 85, अंकित 84, मंजीत व विकाश 83, कैलाश व…

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देशी उत्पादों का उपयोग करें, केमिकल के कारण अच्छे दिखने वाले खाद्य पदार्थों का नहीं

मैं जब भी गेहूँ पिसवाने जाता हूँ तो जो सबसे मोटे चमकीले गेहूँ होते हैं, उन्हें नहीं लेता क्योंकि मुझे पता है कि इनके उत्पादन में अत्यधिक chemical खाद का प्रयोग किया गया है , insecticide और weedicide इसमें भर भर कर डाला गया होगा । इनके प्रयोग से कैंसर और तमाम तरह मैं ऐसे गेहूं का चुनाव करता हूँ जो बहुत साधारण होता है जिसे कहीं कोने में पड़ा होता है । मैं जब भी टमाटर लेने जाता हूँ तो जो लाल लाल मोटे चमड़े के चमकीले टमाटर दिखते…

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22 अप्रैल, विश्व पृथ्वी दिवस

उद्देश्य: पर्यावरण सुरक्षा के बारे लोगों के बीच जागरुकता बढ़ाना इतिहास: 1969 मे सेन फ्रांसिस्को मे यूनेस्को की सभा मे जान मेकानल ने पृथ्वी पर शाँति बनाए रखने का प्रस्ताव रखा। पहली बार विश्व पृथ्वी दिवस, 1970 मे मनाया गया । जिसमे लगभग 2000 लोग शामिल थे। अब दुनिया मे 192 देश इसे मनाते है। जान मेकानल ने पृथ्वी दिवस का एक झंडा भी तैयार किया है , जिसे पृथ्वी दिवस झण्ड़ा कहा गया। ‘अर्थ’ शब्द 8 वीं सदी के एंग्लो सेक्शन वर्ड ‘एर्डा’ से आया, जिसका अर्थ है ‘…

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विश्व स्वास्थ्य दिवस, 07 अप्रैल, पहला सुख-निरोगी काया

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के बैनर तले प्रतिवर्ष 07 अप्रैल को एक खास थीम के साथ ‘विश्व स्वास्थ्य दिवस’ मनाया जाता है। इस दिवस को मनाए जाने का प्रमुख उद्देश्य स्वास्थ्य को लेकर विश्व में प्रत्येक व्यक्ति को बीमारियों के प्रति जागरूक करना, लोगों के स्वास्थ्य स्तर को सुधारना और हर व्यक्ति को इलाज की अच्छी स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराना ही है। पूरी दुनिया इस साल ‘मेरा स्वास्थ्य, मेरा अधिकार’ विषय के साथ 74वां विश्व स्वास्थ्य दिवस मना रही है। यदि पिछले कुछ वर्षों की स्वास्थ्य दिवस की थीम पर…

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कौन सी धातु के बर्तन में भोजन करने से क्या क्या लाभ और हानि होती है?

सोना :- सोना एक गर्म धातु है। सोने से बने पात्र में भोजन बनाने और करने से शरीर के आन्तरिक और बाहरी दोनों हिस्से कठोर, बलवान, ताकतवर और मजबूत बनते है और साथ साथ सोना आँखों की रौशनी बढ़ता है। चाँदी :- चाँदी एक ठंडी धातु है, जो शरीर को आंतरिक ठंडक पहुंचाती है। शरीर को शांत रखती है इसके पात्र में भोजन बनाने और करने से दिमाग तेज होता है, आँखों स्वस्थ रहती है, आँखों की रौशनी बढती है और इसके अलावा पित्तदोष, कफ और वायुदोष को नियंत्रित रहता…

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रोटी, चार प्रकार की होती है

पहली “सबसे स्वादिष्ट” रोटी “माँ की “ममता” और “वात्सल्य” से भरी हुई। जिससे पेट तो भर जाता है, पर मन कभी नहीं भरता। दोस्त ने कहा, सोलह आने सच, पर शादी के बाद माँ की रोटी कम ही मिलती है।” उन्होंने आगे कहा “हाँ, वही तो बात है। दूसरी रोटी पत्नी की होती है जिसमें अपनापन और “समर्पण” भाव होता है जिससे “पेट” और “मन” दोनों भर जाते हैं।”, क्या बात कही है यार ?” ऐसा तो हमने कभी सोचा ही नहीं। फिर तीसरी रोटी किस की होती है?” एक…

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10 वर्षीय छात्र की हार्ट अटैक से मृत्यु डॉक्टरों ने बताये 10 कारण..

संवाददाता: बच्चों के जन्म लेते ही हर माता पिता को एक उम्मीद होता है कि उसका बच्चा अपने समाज या रिश्तेदारी के बच्चों से हर चीज में अव्वल आए। और इसी अव्वल दिखाने के चक्कर में हर माता पिता अपने बच्चों को बड़े स्कूल में दाखिला करवा देते है। साथ ही दो चार ट्यूशन, डांस क्लास, गिटार, म्यूजिक, कंप्यूटर क्लास आदि देकर पूरा दिन व्यस्त रखते हैं और हर बच्‍चे से यही उम्‍मीद की जाती है कि वो पढ़ाई में अच्‍छा परफॉर्म करे क्‍योंकि सोसायटी में बच्‍चों की पढ़ाई को…

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भारतीय वैज्ञानिकों ने एंटीबायोटिक-प्रतिरोधी बैक्टीरिया का पता लगाने के लिए तकनीक विकसित की

चेन्नई: पूरे विश्व में एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस की चुनौती जिस तरह से बढ़ रही है उससे एंटीबायोटिक दवाइयों के प्रयोग पर प्रश्नचिन्ह लग रहा है। अस्पतालों में एंटीबायोटिक दवाओं के उपयोग को लेकर डॉक्टर चिंतित हैं। एक अध्ययन में पाया गया है कि 6 फीसदी रोगियों को ही केवल उनकी बीमारी के लिए जिम्मेदार बैक्टीरिया की पुष्टि के बाद एंटीबायोटिक्स दवाएं दी जाती है। जबकि 45 प्रतिशत मामलों में पूरी तरह लक्षणों के आधार पर और 55 फीसदी लोगों को संक्रमण की सांकेतिक जानकारी के आधार पर दी जाती है। कुल…

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खुश कैसे रहे ?

खुश रहने के लिए हमे हमेशा Positive सोचना चाहिए। अच्छे लोगों के साथ रहना चाहिए, अपने जीवन में एक सटीक लक्ष्य  बनाना चाहिए। Negative चीज़ों से खुदको दूर रखना चाहिए और भी कई सारी बातें है जिससे हम अपने आपको खुश रख सकते है| क्या आपको पता है ? खुश रहने के कारण stress, anxiety  और  depression जैसी मानसिक बिमारियां दूर भाग जाती है, हमारा मन शांत रहता है और साथ ही साथ हम अपने जीवन को ज्यादा से ज्यादा खुलकर जी पाते है| खुश रहने के फायदे 1) खुश रहने से आप दिल की बीमारियों से दूर रहते हो | 2) आपका ब्लड प्रेशर नार्मल रहता है | 3) आपकी Immune system बढ़ती है | 4) आप तनाव (stress), चिंता (anxiety) और अवसाद (Depression) जैसी मानसिक बीमारोयों से दूर रह पाते हो| 5) खुश रहने से हमारी उम्र बढती है | 6) आप किसी भी काम को अच्छी तरीके से कर पाते हो | 7) आपके सोचने समझने का तरीका और भी अच्छा हो जाता है | 8) आप कौनसा भी फैसला (decision) ज्यादा अच्छी तरीके से ले पाते हो | 9) आपके रिश्ते अच्छे हो जाते है | 10) आप मानो या ना मानो पर खुश रहने से आपको जीवन में जल्दी सफलता (Success) मिल जाती है | 11) आपका खुश मिज़ाज अंदाज़ देखकर लोग आपको पसंद करने लगते है | खुश रहने के मूल मंत्र खुश रहने के फायदे तो आपने जान लिए और अब जिंदगी में हर पल खुश कैसे रहे ?  और खुश रहने के तरीके क्या है ? इसके बारे में जान लेते है | 1) अच्छे दोस्त बनाओ (Make good friends): खुशरहने के लिए आप अच्छे दोस्त बना सकते हो जो आपको हसाये, आपकी help करे, आपको support करे,  जिनसे आप अपनी कोई भी problem share कर सके इससे आपको  एक  mental support महसूस होगा और आप खुश और positive महसूस करोगे।…

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सेहत के मूलमंत्र, खानपान, व्यायाम और विश्राम पर पर्याप्त ध्यान देना जरूरी

स्वस्थ जीवन का मूल मंत्र है नियमित योग प्रणायाम।  गंभीर एवं सामान्य बीमारियों से बचने का सही एवं कारगर उपाय है पोषक एवं संतुलित खान-पान, सही जीवनचर्या और नियमित योग-प्रणायाम। व्यायाम योग का असर केवल शरीर पर ही नहीं पड़ता, यह दिमागी, मानसिक और भावनात्मक रुप से भी असर दायक है।स्वस्थ रहकर ही आप स्वयं व परिवार के लिए साथ ही समाज के लिए सार्थक जीवन जी सकते हैं। चुस्त-दुरुस्त रहने के लिए सभी लोगों को कुछ संकल्प लेकर उन पर अमल जरूर करना चाहिए । सेहत  एक स्वस्थ जीवन…

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किसी से बात करने का तरीका, नए लोगों से कैसे बात करें?

क्या आप किसी से बात करते समय हिचकिचाते हैं या आपको बात करते समय समझ नही आता कि क्या आप सही तरीके से बात कर रहे हैं या नही। कई बार यह देखने को मिलता हैं कि आप किसी से बात तो करना चाहते हैं लेकिन सही तरीके से बात नही कर पाने के कारण वह बात ज्यादा लंबी नही चल पाती हैं। ऐसे में क्या आप किसी से सही तरीके से बात करने के तरीके के बारे में जानना चाह रहे हैं तो आप बिल्कुल सही जगह पर आये हैं। किसी से बात करने का तरीका  अब चाहे आप किसी अनजान व्यक्ति से बात करने जा रहे हैं या किसी ऑफिस की मीटिंग में या किसी ऐसे व्यक्ति से जिस पर आपका क्रश हो या जिस पर आपका दिल आ गया हो, सभी के साथ बात करते समय आपको अलग अलग तरह का व्यवहार रखना पड़ता हैं लेकिन जो एक चीज़ सामान्य होती हैं वह होती हैं आपके बात करने का ढंग। अब यदि आपकी बातचीत का ढंग ही सही नही हुआ तो फिर क्या फायदा। फिर सामने चाहे कोई भी खड़ा हो वह आपको नापसंद ही करने वाला है। ऐसे में यदि आप चाहते हैं कि जिससे भी आप बात कर रहे हैं वह आपसे बात करके एकदम इम्प्रेस हो जाये तो आपको नीचे दिए गए पॉइंट्स पर ध्यान देना चाहिए। आइए जाने किसी से बातचीत करते समय आपको किन किन बातों को ध्यान में रखना चाहिए। 1. सबसे पहले अपने अंदर आत्म विश्वास जगाएं अब यदि आप किसी से बात करने जा रहे हैं और उस चीज़ को लेकर आपके अंदर ही विश्वास की कमी हैं तो फिर आप कैसे ही किसी दूसरे के साथ बात कर पाएंगे। इसलिए यदि आप चाहते हैं कि आपकी बातचीत दूसरों के साथ अच्छी रहे तो आप सबसे पहले अपने अंदर आत्म विश्वासको जागृत करने का काम करें। बहुत से लोग इसी चीज़ में मात खा जाते हैं क्योंकि उन्हें लगता हैं कि वे सही बोल भी रहे हैं या नही। तो यदि आपके मन में भी कुछ ऐसे ही ख्याल आते हैं तो आज से ही इस ख्याल को अपने दिमाग से निकाल कर बाहर कर दे। जब भी आप किसी के साथ बात करें तो पूरे विश्वास के साथ बात करें। इसी कारण ही आपकी बातचीत सही ढंग से हो पायेगी और सामने वाला भी आपसे प्रभावित हुए बिना नही रह पाएगा। 2. आँखों में आखें मिलाकर बात करना अब जब आप किसी से बात कर रहे हैं तो यह बहुत जरुरी हैं कि आप उनकी आँखों में देखकर बात करे। अब यदि आप उनसे बात करते समय उनसे आखें चुराते हैं तो इससे सामने वाले को शक होता हैं कि आप उनसे कुछ छुपा रहे हैं या फिर झूठ बात बोल रहे हैं। ऐसा करने पर वह आपसे बात करना पसंद नही करता हैं या आपको झूठा भी साबित करता हैं। इसलिए यदि आप किसी के साथ बातचीत कर रहे हैं तो इस बात का हमेशा ख्याल रखें कि आप उनकी आँखों में आँखें डालकर ही बात करें। हालाँकि यदि आप कई जानो से बात कर रहे हैं तो आप कुछ कुछ सेकंड में किसी ना किसी की आँखों में ही देखें ना कि किसी अन्य चीज़ को। 3. बोलने के साथ सुने भी आपको कैसा लगेगा जब बातचीत में कोई आपको बोलने का मौका ही ना दे और केवल खुद ही खुद बोलता रहें। कहने का अर्थ यह हुआ कि यदि आपको दूसरों के साथ बात करने के सही तरीका जानना हैं तो उससे पहले सुनने की कला को अपनानना सीखें। यदि आप दूसरों के विचार या उनकी बात को सुन ही नही सकते हैं तो कैसे आप उनसे यह अपेक्षा कर सकते हैं कि वे भी आपकी बात को सुने। यह बात तो बहुत बड़े बड़े विद्वानों के द्वारा भी कही जा चुकी हैं तो हमें बोलना कम चाहिए और सुनना ज्यादा चाहिए। इससे हमारा ही भला होता हैं। इसलिए यदि आप किसी के साथ अच्छी बातचीत करना चाहते हैं तो उन्हें सुनने की आदत भी डाल ले। यह आपके लिए भी बेहतर रहेगा और सामने वाले को भी आपसे बात करके अच्छा लगेगा। 4. चेहरे पर मुस्कान बनाए रखे अब यदि आप किसी के साथ अच्छी तरह से या अच्छे तरीके से बात करना चाहते हैं तो अपने चेहरे को अजीब सा ना बनाए और हमेशा अपने चेहरे पर एक हलकी सी मुस्कान बनाए रखे। यह बातचीत को लंबा चलने और सकारात्मक बनाने में आपकी बहुत मदद कर सकता हैं। किंतु यह मत सोचिये कि आपको हमेशा ही मुस्कान के साथ ही बात करनी हैं। कहने का अर्थ यह हुआ कि आप बातचीत के आधार पर ही मुस्कान बनाए रखे। यदि कोई हंसी मजाक वाली बात हो रही हैं या सामान्य शिष्टाचार या सामान्य बातचीत हो रही हैं तभी आप अपने चेहरे पर स्माइल बनाए। यदि वे आपसे अपना दुःख, दर्द, पीड़ा या कोई परेशानी शेयर कर रहे हैं तो उस समय स्माइल बिल्कुल भी ना करे। क्योंकि उन्हें लगेगा कि आप उनके दर्द पर हंस रहे हैं जो आपका उनके साथ रिश्ते को भी तोड़ सकता हैं। 5. सामने वाले के व्यक्तित्व को पहचाने अब जब आप किसी से बात करने जा रहे हैं या बात कर रहे हैं तो सामने वाला व्यक्ति कैसा है या आपसे क्या चाहता है या उसका आचरण कैसा है, यह भी बहुत मायने रखता है। उदाहरण के तौर पर सामने वाला व्यक्ति किसी एक पक्ष का मजबूत समर्थक हैं तो आप उसके सामने उस पक्ष की बुराई ना करे। यह आपकी उनके साथ हुई बातचीत के साथ साथ आपके रिश्तों को भी बिगाड़ सकता है। इसी के साथ सामने वाला ज्यादा क्रोधित स्वभाव का है या वह जल्दी उदास हो जाता है या उसका व्यवहार कैसा है, इत्यादि कई कारको पर आपकी उसके साथ हुई सार्थक बातचीत के कारण पता चलता हैं। ऐसे में आप यदि सामने वाले के व्यक्तित्व को समझ कर ही उनके साथ बातचीत को आगे बढ़ाएंगे तो यह आपके लिए बहुत बढ़िया रहेगा। 6. सामने वाला का अभी का मूड कैसा है यह भी देखे अब जब आप किसी के साथ बात करने का सही तरीका जानना चाह रहे हैं तो आपको यह भी देखना चाहिए कि जिसे आप बात करने जा रहे हैं उस व्यक्ति का मूड उस समय कैसा है। कहने का अर्थ यह हुआ कि आप सामने वाले का व्यक्तित्व देखकर तो बात कर सकते हैं लेकिन इसके साथ के साथ यदि आप उनका मूड भी जान लेंगे तो बात करने में आसानी होगी। उदाहरण के तौर पर यदि आपको अपने पिताजी से पैसे मांगने हैं और कहीं जाने के लिए अनुमति चाहिए लेकिन यदि वे किसी चीज़ को लेकर बहुत गुस्से में हैं या आपसे किसी बात को लेकर नाराज़ हैं तो आपको उस समय उनके साथ इस बारे में बात नही करनी चाहिए। इसलिए जब भी आप किसी के साथ कोई बातचीत करें तो आप उनके मूड का आंकलन अवश्य कर ले। 7. स्वयं के मूड का भी रखे ध्यान अब जब आप सामने वाले के मूड को देख रहे हैं तो खुद के मूड का भी उतना ही ध्यान रखे। कहने का अर्थ यह हुआ कि  कभी कभार आपको पता नही चलता लेकिन आपका मूड ख़राब होता है या आप किसी बात को लेकर परेशान रहते हैं। अब ऐसे मूड में आप उनके साथ बात करेंगे तो अवश्य ही आप सही से उत्तर नही देंगे या बात को गलत दिशा में मोड़ देंगे। तो यदि आप सामने वाले के साथ सार्थक बात करना चाहते हैं तो पहले आपको अपने मूड को ठीक करना होगा। इसके लिए आप पहले कुछ समय के लिए प्रतीक्षा कर सकते हैं और जब आपको लगे कि अब आप बात करने के मूड में हैं तभी आप उनके साथ बात करे। ख़राब मूड में की गयी बात का सामने वाले पर भी बुरा असर होता हैं। 8. सही समय पर बात करे अब कई बार ऐसा होता हैं कि हम सामने वाले से बात तो करना चाहते हैं लेकिन यह भूल जाते हैं कि वे उस समय हम से बात कर भी पाएंगे या नही। कहने का अर्थ यह हुआ कि आप शायद ही उस समय फ्री हो और उनसे बात करना चाहते हो लेकिन क्या पता सामने वाला उस समय फ्री ना हो और कुछ काम कर रहा हो। अब ऐसे समय में आप उनसे बात करने का दबाव बनायेंगे तो अवश्य ही उन्हें खीझ महसूस होगी। उदाहरण के तौर पर आपने अपने किसी दोस्त को फोन मिलाया और उस समय वह खाना खा रहा हैं या बाहर हैं या किसी अन्य काम में व्यस्त हैं और आप तब भी उससे बात किये जा रहे हैं तो यह आपकी गलत आदत है। आप उनसे यह कह सकते हैं कि आप उन्हें कुछ समय बाद कॉल कर लेंगे या फिर यह भी कह सकते हैं कि जब भी वे फ्री हो जाए तो आपको कॉल बैक कर ले। यह उनके सामने आपकी छवि को ही सकारात्मक और प्रभावी बनाएगा। 9. अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल ना करें अपमानजनक शब्दों का अर्थ हुआ गालियाँ या तिरस्कृत करने वाले शब्द। यह आप सामने वाले को नही कह रहे होते हैं बल्कि बात करते समय यूँ ही बोल देते हैं। उदाहरण के तौर पर आपकी किसी से किसी बात को लेकर बातचीत हो रही हैं और किसी मुद्दे पर दोनों ही सहमत हैं। जैसे कि आप दोनों रूस व अमेरिका को लेकर बात कर रहे हैं और आप दोनों का ही मानना हैं कि अमेरिका एक ख़राब देश हैं जो युद्ध को भड़काता हैं। अब ऐसे में चाहे आप दोनों की राय एक जैसी हो लेकिन आप इसे मजबूती देने के लिए अमेरिका या अमेरिका के राष्ट्रपति के लिए गालियाँ या अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल करेंगे तो यह सामने वाले के मन में आपका नकारात्मक प्रभाव डालेगी। उसे तो यही लगेगा कि आप एक घटिया किस्म के इंसान हैं जो किसी भी बात पर गालियाँ देना जानता हैं। इसलिए बातचीत करते समय कभी भी गालियों इत्यादि का इस्तेमाल करने से बचे। 10. बात करते समय कहीं और ध्यान ना दे यदि आज की पीढ़ी की बात की जाए तो उनकी एक बहुत ही बुरी आदत है। जब वे अपने 3 दोस्तों के साथ होते हैं तो वे अलग 3 दोस्तों के साथ चैट कर रहे होते हैं और जब वे उन 3 दोस्तों के साथ होते हैं तो वे अपने पहले वाले 3 दोस्तों के साथ चैट कर रहे होते हैं। कहने का अर्थ यह हुआ कि आजकल ज्यादातर सभी लोग और मुख्यतया अभी की पीढ़ी के लोग वास्तविक दुनिया में जीने की बजाए आभासी दुनिया में जीने लगे हैं। अब यदि आप किसी के साथ बात कर रहे हैं और आपका ध्यान उनसे बात करने में कम और अपने मोबाइल के मैसेज पर ज्यादा हैं तो यह आपके साथ उनकी बातचीत पर बहुत ही बुरा असर डाल सकता हैं। इससे सामने वाले के मन में यह अहसास आएगा कि आपके मन में उनके लिए कोई क़द्र ही नही हैं। आप तो केवल अपने मोबाइल में ही व्यस्त हैं और उनकी बात को तवज्जो तक नही दे रहे हैं। इसलिए बात करते समय केवल उन्हीं पर ध्यान देंगे तो अवश्य अच्छा रहेगा। 11. सामने वाले की बातों के पॉइंट्स पकड़े अब जब आप किसी से बात कर रहे हैं और आप चाहते हैं कि आपकी उनके साथ हुई बातचीत सार्थक रहे या इसका उन पर अच्छा प्रभाव पड़े तो आप केवल उनकी बात को सुने ही नही बल्कि उनकी कही हुई बात पर भी आगे बढ़ें। कहने का अर्थ यह हुआ कि जब भी आप किसी के साथ बात कर रहे होंगे तो आप सामने वाले की बात को सुनकर उस पर भी बात करेंगे तो यह उन्हें भी अच्छा लगेगा और वे आपको महत्ता भी देंगे। कहने का अर्थ यह हुआ कि आप खुद बात करते समय ऐसे शब्दों का इस्तेमाल करें जैसे कि आप कह रहे थे कि, आपने ऐसा कहा तो, आप ऐसा सोच रहे हैं तो इत्यादि इत्यादि। इससे सामने वाले को यह भी लगता हैं कि आप उनकी बात को महत्ता दे रहे हैं और वे आपसे बात करने को रूचिकर रहेंगे। इस तरह से आप अपनी उनके साथ हुई बातचीत को एक नया मोड़ दे सकते हैं। 12. एक ही विषय पर बात ना करें मनुष्य का स्वभाव होता हैं कि वह बहुत जल्दी ही बोर भी हो जाता है। ऐसे में यदि आप किसी के साथ बात कर रहे हैं और आप बस एक ही विषय को लेकर बैठ गए हैं और उसी पर ही बात किये जा रहे हैं तो यह सामने वाले के लिए उबाऊ वाली स्थिति उत्पन्न कर देता हैं। ऐसा करने से वह आगे से आपसे बात करने से हिचकिचाएगा या आपसे कन्नी काटेगा। तो यदि आप बातचीत को मजेदार रखना चाहते हैं तो उनके साथ अलग अलग विषय पर बात करेंगे तो यह आपके लिए भी अच्छा रहेगा। इससे आपको भी उबाऊ वाली स्थिति का सामना नही करना पड़ेगा और बात भी सही तरीके से हो जाया करेगी। इसलिए हमेशा अलग अलग विषयों पर बात करने का नियम बना ले और उसी के अनुसार ही बात करे। 13. दूसरों की बुराई ना करे अब जब आप सामने वाले के साथ बात कर रहे हैं तो आप उनके सामने किसी और की बुराई कम से कम करे। आजकल यह बात बहुत ही सामान्य हो गयी हैं कि हम किसी के सामने किसी की बुराई करते हैं तो किसी और के सामने किसी अन्य व्यक्ति की। किसी की बुराई करना मनुष्य का स्वभाव होता हैं लेकिन हमेशा ऐसा ही करने वाला मनुष्य अच्छी छवि वाला नही माना जाता है। इसलिए यदि आपकी भी यही आदत हैं कि आप हमेशा दूसरों की बुराई ही करते हैं तो आप अवश्य ही उनसे भी हाथ धो बैठेंगे जिनसे आप सकारात्मक बात कर रहे हैं। इसलिए अपने व्यवहार में परिवर्तन लाये और दूसरों की बुराई कम से कम करने का नियम बना ले। 14. सकारात्मक बातचीत करें आजकल का समय ही कुछ ऐसा ही गया हैं कि हर चीज़ बुरी चीज़े ही हावी रहती हैं या नकारात्मक खबर ही छाई रहती हैं। लोगों का ध्यान भी अक्सर इन्हीं ख़बरों पर ज्यादा राहत हैं और वे इनसे आकर्षित भी होते हैं। फिल्मे और सीरियल भी आजकल इन्हीं चीजों को ध्यान में रखकर बनने लगे हैं। तो यदि आप किसी से बात करने का सही तरीका जानना चाह रहे हैं तो इसके लिए आपको पहले खुद में बदलाव लाना होगा और खुद की बातचीत में भी। कहने का अर्थ यह हुआ कि आप जब भी दूसरों से बात करे तो अवश्य ही कुछ मुद्दों को लेकर नकारात्मक बात कर सकते हैं लेकिन यदि आपकी पूरी बात ही नकारात्मक होया हताशा भरी हो तो यह सामने वाले व्यक्ति को भी निराश कर देती हैं। उसे यही लगता हैं कि आप तो हमेशा नकारात्मक बात ही करते हैं और सामने वाले को भी हताश कर देते हैं। इसलिए अपने व्यवहार में परिवर्तन लाये और दूसरों के साथ सकारात्मक बातचीत करें। 15. सामने वाले की प्रशंसा करे अब यदि आप किसी के साथ बात करने का बेस्ट तरीका और सबसे उत्तम तरीका जानना चाह रहे हैं तो वह बात बात में सामने वाले की प्रशंसा करते रहना या उन्हें किसी चीज़ को लेकर महत्ता देना। किंतु इसमें इस बात का भी ध्यान रखे कि यह आवश्यकता से ज्यादा भी ना हो क्योंकि आवश्यकता से ज्यादा हुई प्रशंसा अच्छी बातचीत में ना बदल कर चेप होने में बदल जाती हैं। इसलिए आप बात में किसी ना किसी तरीके से सामने वाले की प्रशंसा अवश्य करे लेकिन इसे सही तरीके से करे। जैसे कि आप उनकी किसी बात को सही ठहरा सकते हैं या उनके विचारों की प्रशंसा कर सकते हैं या उनकी किसी पिछली बात का चीज़ का समर्थन कर सकते हैं इत्यादि। इससे सामने वाला व्यक्ति भी आपसे प्रभावित हुए बिना नही रह पाएगा। आप क्या करना चाहते हैं और आप क्या कर सकते हैं यह सिर्फ आपको ही पता होगा, और अगर आपको नहीं पता है तो आप एक कॉपी और कलम लेकर अपने माइंड के सारे विचार लिखकर और एनालाइज करके पता कर सकते हैं कि आप क्या कर सकते हैं और आपको क्या करना है और हां याद रहे अपनी लाइफ की पूरी जिम्मेदारी और अपनी लाइफ के सभी निर्णय खुद लो। जिससे आप बाद में किसी और को दोषी नहीं ठहराएंगे। और लाइफ में सफल होने का यही एकमात्र तरीका है। जीवन में सफल सिर्फ वही व्यक्ति हो पता है जिसने खुद से ये वादा किया होता है।

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सुबह उठने के लिए ये समय रहता है सबसे सही, बीमारियां रहेगी दूर

जल्दी उठने से तन और मन दोनों स्वस्थ रहते हैं. ऐसे में यह समझना बड़ा मुश्किल है कि आखिर जागने का सबसे अच्छा समय कौन सा है. चलिए जानते हैं. हमारे बुजुर्ग अक्सर कहते हैं कि सुबह जल्दी उठना चाहिए। जल्दी उठने से तन और मन दोनों स्वस्थ रहते हैं।  लेकिन हम इस बात को भी झुठला नहीं सकते है कि व्यक्ति प्रकृति या शरीर और मन की बनावट के अनुसार जाग सकता है। तो ऐसे में यह समझना बड़ा मुश्किल है कि आखिर जागने का सबसे अच्छा समय कौन सा है। चलिए जानते हैं। ब्रह्ममुहूर्त में जागना है अच्छा– हमारे बुजुर्ग हमेशा ब्रह्म मुहूर्त में जागने की सलाह देते थे।   वहीं ब्रह्म मुहूर्त एक शुभ मय हैं जो कि सूर्योदय…

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कैसे और कब सोएं ?

जीवन की हर हरकत, कर्म, संस्कार, रीति-रिवाज, दिनचर्या, समाज, रिश्ते, देश, समय, स्थान आदि को नियम, अनुशासन और धर्म से बांधा है। कहना चाहिए कि नियम ही धर्म है।  पर्याप्त नींद लेना क्यों जरूरी है और सोते समय किन नियमों का पालन करना चाहिए  जानते हैं नींद से जुड़े सामान्य नियम। पर्याप्त नींद लेना जरूरी :- पर्याप्त सोना या नींद लेना बहुत महत्वपूर्ण और जरूरी कार्य है। यदि आप 7 से 8  घंटे नहीं सोते हैं तो आपकी आयु घटती जाएगी या आपको मानसिक या शारीरिक रोग उत्पन्न होने लगेंगे। अत: कम से कम 7…

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व्रत या उपवास कितने प्रकार के होते हैं ?

व्रत रखने के नियम दुनिया को हिंदू धर्म की देन है।  व्रत रखना एक पवित्र कर्म है और यदि इसे नियम पूर्वक नहीं किया जाता है तो न तो इसका कोई महत्व है और न ही लाभ बल्कि इससे नुकसान भी हो सकते हैं। आप व्रत बिल्कुल भी नहीं रखते हैं तो भी आपको इस कर्म का भुगतान करना ही होगा। राजा भोज के राजमार्तण्ड में 24 व्रतों का उल्लेख है। हेमादि में 700 व्रतों के नाम बताए गए हैं। गोपीनाथ कविराज ने 1622 व्रतों का उल्लेख अपने व्रतकोश में किया है। व्रतों के प्रकार तो मूलत: तीन है:- 1. नित्य, 2. नैमित्तिक और 3. काम्य। 1. नित्य व्रत उसे कहते हैं जिसमें ईश्वर भक्ति या…

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शास्त्रों में पूजा करने के क्या हैं नियम, जानिए घर में पूजा कैसे करनी चाहिए

नियमित रूप से पूजा, साधना और मंत्रों के जाप से व्यक्ति का मन और शरीर दोनों ही स्वस्थ रहता है.  इसी कारण से घर में मंदिर बनाने और पूजा-करने की परंपरा काफी पुराने समय से चली आ रही है. आइए जानते हैं घर के मंदिर में पूजा करने के कुछ नियम… सनातन धर्म में हर एक घर में नियमित रूप से भगवान की पूजा-पाठ करने का विधान होता है. रोज सुबह- शाम के समय नियमित रूप से पूजा-पाठ करने पर घर में सकारात्मकता का वास होता है. इसके अलावा नियमित…

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शास्त्रों में स्नान करने के भी हैं कुछ विशेष नियम, जानें किस तरह होती है शरीर की शुद्धि

शास्त्रों में स्नान करने के कई नियम बताए गए हैं, जो स्वच्छता, शुद्धता व स्वास्थ्य तीनों ही कारणों से महत्वपूर्ण होते है  नित्य प्रात: काल स्नान करने से रूप, तेज, बल की प्राप्ति होती है.  मनुष्य के जीवन में सुबह जागने से लेकर रात को सोने तक के दैनिक कार्यक्रमों का पर्याप्त महत्व है.  शास्त्रों में इसे दैनंदिन सदाचार कहा गया है. इसके कई नियम भी तय किए गए हैं, जिनका उल्लेख मनुस्मृति, आचार रत्न, विश्वामित्र स्मृति और विभिन्न पुराणों में किया गया है. आज हम आपको शास्त्रों में बताए गए स्नान यानी नहाने के प्रकार और विधि के बारे में बताने जा रहे हैं. जिसे शास्त्रों में स्वच्छता, शुद्धता व स्वास्थ्य तीनों ही कारणों से महत्वपूर्ण माना…

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ज्‍यादातर लोग नहीं जानते पानी पीने का सही तरीका? जानिए आयुर्वेद के हिसाब से क्‍या हैं नियम

जब हमें प्यास लगती है, हम फ्रिज से पानी की बोतल निकालकर ठंडा पानी मिनटों में पी लेते है. प्यास तो बुझ जाती है, पर ये हमारे शरीर को काफी नुकसान पहुंचाता है. जानिए आयुर्वेद के हिसाब से क्‍या है पानी पीने का सही तरीका. पानी पीना हमारे शरीर के लिए बहुत ज़रूरी होता है, ये हमारे शरीर को डिटॉक्‍सीफाई करने का काम करता है. ज्‍यादातर एक्‍सपर्ट्स दिनभर में 3 से 4 लीटर पानी पीने की सलाह देते हैं. लेकिन पानी कब पीना चाहिए और कैसे पीना चाहिए, इसके बारे में बात नहीं की जाती. जबकि गलत तरीके से पानी पीना आपकी सेहत का खराब कर सकता है. आयुर्वेद में पानी पीने के सही तरीके और नियम के बारे में बताया गया है. आइए आपको बताते हैं कि पानी पीने…

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खाना खाने के पहले और बाद जरूर बोलना चाहिए मंत्र, स्वास्थ्य के लिए हितकर होगा भोजन

मंत्र बोलने में आप असमर्थ हैं तो भोजन से पहले अपने गुरु या इष्ट देवता का स्मरण करें. भोजन से पूर्व और पश्चात मंत्र बोलने से भोजन स्वास्थ्य के लिए काफी हितकर होता है भारतीय परंपरा के अनुसार भोजन करने से पहले और बाद के कुछ नियमों के बारे में बताया गया है.  प्राचीन काल में लोग भोजन करने से पहले और बाद इन नियमों का पालन किया करते थे. आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में लोगों के पास सही समय पर खाना खाने का भी वक्त नहीं होता. लोग हड़बड़ी में भोजन करते हैं या फिर खाते समय उनका ध्यान मोबाइल और टीवी जैसी चीजों पर भटका रहता है. घर के बड़े-बुजुर्ग भी अक्सर इन कार्यों के लिए टोका करते हैं.…

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अच्छे विद्यार्थी के गुण

हमारे देश का कल का भविष्य आज के युवा पीढ़ी पर आधारित है। आज का विद्यार्थी ही कल का युवा बनेगा,  जो देश को ऊंचाई तक पहुंचाने की काबिलियत रखता है। विद्यार्थी जीवन सबका अलग अलग होता है। कई प्रकार के विद्यार्थी होते हैं जो भविष्य में आगे बढ़ने के लिए पढ़ाई करते हैं, माता-पिता का नाम रोशन करने के लिए और उनके सपने पूरे करने के लिए मेहनत करते हैं और साथ ही साथ कुछ इस प्रकार के विद्यार्थी भी होता है जो केवल स्कूल में मौज़ मस्ती करने…

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बच्चों के विकास और परवरिश

माता-पिता बनना एक विचित्र अनुभव है। आप कुछ ऐसा करने की कोशिश करते हैं जो आज तक कोई नहीं जान पाया कि उसे अच्छी तरह कैसे किया जाए। चाहे आपके बारह बच्चे हों, तब भी आप सीख ही रहे होते हैं। हो सकता है कि आपने ग्यारह बच्चे अच्छी तरह पाले हों, मगर बारहवें में आपको परेशानी हो सकती है।   सही माहौल बनाएं:- जरूरी माहौल तैयार करना बच्चों के पालन-पोषण में एक बड़ी भूमिका निभाता है।   आपको सही तरह का माहौल तैयार करना चाहिए, जहां खुशी, प्यार, परवाह और…

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बच्चों को संस्कारी कैसे बनाए 

बच्चों को अच्छा संस्कार कैसे प्रदान करें? उन्हें कैसे संस्कारी बनाए, 10 अच्छे संस्कार. (How to Explain Culture to a Child) आज के इस भाग दौड़ भरी जिंदगी में हम बहुत से जरूरी कामों को करने के लिए पीछे छोड़ देते हैं. उनमें से सबसे महत्वपूर्ण कार्य यह है, जी अपने बच्चों को सही संस्कार कैसे दें ? यदि बच्चे के अंदर शुरुआत से ही अच्छे संस्कार होंगे तो,  उसके आने वाले भविष्य में वह अपनी पहचान एवं अपनी कामयाबी अपने अच्छे संस्कार के दम पर ही हासिल कर सकता है. जितने की शिक्षा आज के जमाने में जरूरी है ,…

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सनातन धर्म के संस्कार

हिन्दू धर्म में सोलह संस्कारों (षोडश संस्कार) का उल्लेख किया जाता है जो मानव को  उसके गर्भाधान संस्कार से लेकर अन्त्येष्टि क्रिया तक किए जाते हैं। इनमें से विवाह, यज्ञोपवीत इत्यादि संस्कार बड़े धूमधाम से मनाये जाते हैं। वर्तमान समय में सनातन धर्म या हिन्दू धर्म के अनुयायी में गर्भाधन से मृत्यु तक १६ संस्कारों होते है। इतिहास  हिन्दू संस्कार का इतिहास संस्कार गर्भाधान हमारे शास्त्रों में मान्य सोलह संस्कारों में गर्भाधान पहला है।  गृहस्थ जीवन में प्रवेश के उपरान्त प्रथम क‌र्त्तव्य के रूप में इस संस्कार को मान्यता दी गई है। गृहस्थ जीवन का प्रमुख उद्देश्य श्रेष्ठ सन्तानोत्पत्ति है। उत्तम संतति की इच्छा रखनेवाले माता-पिता को गर्भाधान से पूर्व अपने तन और मन की पवित्रता के लिये यह संस्कार करना चाहिए। वैदिक काल में यह संस्कार अति महत्वपूर्ण समझा जाता था। पुंसवन गर्भस्थ…

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शिक्षा और संस्कार हमारे जीवन का आधार

शिक्षा अगर स्तम्भ है तो नींव है संस्कार। सद्गुण सुख की खान है जिसपर टिका संसार।।   शिक्षा और संस्कार एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। शिक्षा मनुष्य के जीवन का अनमोल उपहार है जो व्यक्ति के जीवन की दिशा और दशा दोनों बदल देती है और संस्कार जीवन का सार है जिसके माध्यम से मनुष्य के व्यक्तित्व का निर्माण और विकास होता है। जब मनुष्य में शिक्षा और संस्कार दोनों का विकास होगा तभी वह परिवार, समाज और देश के विकास की ओर अग्रसर होगा। शिक्षा का तात्पर्य सिर्फ किताबी ज्ञान ही नहीं बल्कि चारित्रिक ज्ञान भी होता है जो आज के इस भागदौड़ वाली जिंदगी में हम भूल चुके हैं। हम अपने बच्चों को अच्छे स्कूलों में दाखिला दिलाकर संतुष्ट हो जातें हैं परन्तु ये हमारी लापरवाही है जो हमारे बच्चों को गुमराह कर रही है। आज के अधिकांश बच्चे संभ्रांत तो हैं पर विवेकशील नहीं। समाज के बदलाव के लिए व्यक्ति में अच्छे गुणों की आवश्यकता होती है और उसकी नींव हमें हमारे बच्चों के बाल्यावस्था में ही रखनी पड़ती है। बच्चों को तीन गुण आत्मसात करवाने की आवश्यकता है। ज्ञान, कर्म और श्रध्दा। इन्हीं तीन गुणों से उनके जीवन में बदलाव आएगा और वे परिवार, समाज, और देश  सेवा में आगे बढ़ेगा। आज जो राष्ट्रव्यापी अनैतिकवाद प्रदूषण हमारे समाज और देश को दूषित कर रहा है उसका कारण सिर्फ बच्चों में संस्कार और शिक्षा का अभाव है जिसका दोषी हम हैं। हम अपनी झूठी दिखावे के लिए अपने भारतीय अमूल्य संस्कारों के प्रति उदासीन होते जा रहे हैं। पाश्चात्य सभ्यता का आँख मूंद कर अनुसरण करना ही हमें और हमारे बच्चों को पथभ्रष्ट कर रहा है। शिक्षा का अंतिम लक्ष्य सुंदर चरित्र है। शिक्षा मनुष्य के व्यक्तित्व के सभी पहलुओं का पूर्ण और संतुलित विकास करता है। बच्चों में सांसारिक और आध्यात्मिक शिक्षा दोनों की नितांत आवश्यता है क्योंकि शिक्षा हमें जीविका देती है और संस्कार जीवन को मूल्यवान बनाती है। शिक्षा में ही संस्कार का समावेश है। अगर हम अपने बच्चों में भारतीय संस्कृति, भारतीय परम्पराएँ, भाईचारा,…

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