“मेरे बाजां वाले वरगा कोई होर न सानी ए, दूजा कौण जहान अंदर पुत्रां दा दानी ए”

 सीजीपीसी के इतिहास में पहली बार सदस्यों ने स्वयं निभायी शाम के दीवान की प्रक्रिया

शहीदी सप्ताह पर सोदर पाठ, कविता, कथा, सबद-कीर्तन का लगा दरबार

जमशेदपुर : साकची स्थित सेंट्रल गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी (सीजीपीसी) के इतिहास में पहली बार सदस्यों ने चार साहिबजादों की शहीदी को समर्पित शाम के दीवान की पूरी प्रक्रिया स्वयं निभाकर एक उदाहरण पेश किया है। वहीं मानगो गुरुद्वारा सिंह सभा में मंगलवार देर शाम तक चले दीवान में प्रधान सरदार भगवान सिंह रहरास साहिब का पाठ पढ़ शहीदों को नमन किया। साथ ही शाम 6 बजे रहरास साहिब के पाठ से दीवान की शुरुआत की गई। सीजीपीसी प्रधान सरदार भगवान सिंह ने स्वयं पाठ करने की इच्छा जताकर काफी शालीन और गुरमत अनुसार पाठ पूरा भी किया। सदस्यों द्वारा सोदर का पाठ भी किया गया। इस दौरान धार्मिक कविता और कथा का आयोजन भी किया गया। जिसमें महासचिव गुरचरण सिंह बिल्ला, उपाध्यक्ष चंचल सिंह, सुखविंदर सिंह राजू, गुरमीत सिंह और हरचरण सिंह ने कथा वाचन किया। जबकि सह सचिव परमजीत सिंह काले ने “संगते नि मेरा नां गुजरी, मैं गोबिंद दी मां गुजरी, मैं गुजर गुजर के गुजरी हां, संगते नि मेरा नां गुजरी” तथा “मेरे बाजां वाले वरगा कोई होर न सानी ए, दूजा कौण जहान अंदर पुत्रां दा दानी ए” कविता पाठ कर संगत की आंखें नम कर दी। इसके अलावा हुकमनामा भी सीजीपीसी सदस्यों द्वारा ही लिया गया। सबद-कीर्तन की सेवा बच्चियों द्वारा की गई। अंत में समाप्ति की अरदास सीजीपीसी के महासचिव अमरजीत सिंह ने की। इस दौरान सीजीपीसी सदस्यों द्वारा शाम के दीवान की प्रक्रिया पूरी करने पर हर्ष जताते हुए सरदार भगवान सिंह ने कहा कि यह प्रेरित करने करने वाला वाकया है। साथ ही उन्होंने कहा कि शहर में सीजीपीसी के इतिहास में यह पहली बार हुआ है, जब सदस्यों ने स्वयं शाम के दीवान की प्रक्रिया पूरी की हो।

Related posts