बड़कागांव वन क्षेत्र में कोयले का उत्खनन जोरों पर

जर्जर कोयले का खदान कभी भी ढह सकता है

बड़कागांव : बड़कागांव वन क्षेत्र के विभिन्न जंगलों के निकट कोयले का उत्खनन जोरों पर हो रही है. जिससे सरकार के लाखों रुपए की राजस्व की हानि हो रही है . कोयला माफिया मालामाल हो रहे हैं. कोयल का उत्खनन होने से पेड़ पौधे, वन्य छोटे-छोटे जीव जंतु का आवासीय नुकसान हो रहा है .वहीं पर्यावरण पर इसका बुरा असर पड़ रहा है. बड़कागांव के लौकुरा चंदौल के हथिया पत्थर के पास, इंदिरा जंगल, तिलैया लूंरगा, चानो, रिकवा कुरहा, खपिया, पसरिया, मलडीह घाटी, कुंदरू, पलान्डु,पोटंगा, गोंडलपुरा, अम्बा झरना, राउत पारा, भेलवा, टोंगरी, गोबदातरी, रुद्दी, कर्मा टांड में दर्जनों कोयला खदान संचालित हो रहा है. इन खदानों से प्रति बैलगाड़ी 1000 से 1200, प्रति ट्रैक्टर ₹3500 कोयले की बिक्री की जाती है.कोयले का उत्खनन रुकने का नाम नही ले रहा है. इन क्षेत्रों में 100 से ज्यादा अवैध रूप से कोयला खदान संचालित हो रहे हैं. कई खदान सुरंग नुमा गुफा का रूप ले लिया है, तो कई खदान अत्यंत जर्जर होने चली है. इसके बावजूद भी कोयले काटने वाले मजदूर जान पर हथेली रखके कोयले काटते हैं. इन खदानों में कभी भी बड़ी घटना घट सकती है. जिससे एक साथ दर्जनों लोगों की जान जा सकती है. इन खदानों पर प्रशासन द्वारा नियंत्रण करने की आवश्यकता है.

 

क्या कहना है रेंजर का

बड़कागांव वन क्षेत्र के रेंजर कमलेश कुमार सिंह का कहना है कि वन विभाग द्वारा कोयला खनन के विरुद्ध कार्रवाई जारी है. चार बार पहले भी खदानों को डोजरिंग किया जा चुका है. जिन जिन स्थानों में कोयला खदान चलाया जा रहा है, वहां भी जेसीबी से डोजरिंग किया जाएगा . कोयल का उत्खनन कार्य को रोकने में पुलिस प्रशासन का भी सहयोग की आवश्यकता है.

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