झारखंड में राष्ट्रपति शासन लागू करने की साजिश विफल : झामुमो

मुख्यमंत्री से ईडी की पूछताछ के दौरान सीआरपीएफ आईजी की भूमिका की जांच हो, नहीं तो झामुमो करेगा आंदोलन

रांची, 21 जनवरी (हि. स.)। झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से ईडी की पूछताछ के दौरान उतारे गए 500 से अधिक सीआरपीएफ के जवानों को लेकर सवाल उठाया है। झामुमो ने कहा कि एक सोची समझी रणनीति के तहत केंद्र सरकार ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की साजिश रची थी। अगर झामुमो कार्यकर्ता संयम न बरते तो हिंसक परिस्थिति उत्पन्न हो सकती थी। रविवार को झामुमो के महासचिव विनोद पांडेय और सुप्रियो भट्टाचार्य ने संयुक्त रुप से प्रेस विज्ञप्ति जारी कर जानकारी दी।

विज्ञप्ति में कहा गया है कि यह सूचना मिली है कि यह कृत्य एक सोची समझी साजिश थी। इसमें सीआरपीएफ आईजी भी शामिल थे। वे चाहते थे कि सीआरपीएफ और झामुमो कार्यकर्ता के बीच मारपीट हो जाये। झामुमो कार्यकर्ता उग्र होकर सीआरपीएफ पर हमला कर दे तो राज्य सरकार पर संवैधानिक तंत्र की विफलता का आरोप लगाकर राष्ट्रपति शासन के हालात पैदा किया जा सके। पार्टी ने राज्य सरकार से सीआरपीएफ आईजी की भूमिका की जांच की मांग की है, नहीं तो आंदोलन की चेतावनी भी दी है।

ईडी के अनुरोध पर ही राज्य सरकार की ओर से विधि-व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए रांची जिला प्रशासन ने ईडी के अधिकारियों की सुरक्षा, उनके कार्यालय की सुरक्षा, उनके परिवार की सुरक्षा एवं विधि-व्यवस्था संभालने के लिए करीब 2000 पुलिस एवं वरीय दंडाधिकारियों की प्रतिनियुक्ति की थी। इस दौरान आम जनता और झामुमो कार्यकर्ताओं के जरिये केंद्र की जांच एजेसियों के पक्षपातपूर्ण कार्रवाई के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे। इसे देखते हुए पुन: जिला प्रशासन ने त्वरित कदम उठाते हुए सीएम हाउस के 500 मीटर की दूरी पर धारा-144 लगा दिया। लेकिन इसी बीच अचानक सीआरपीएफ के सैकड़ों जवानों को बस में भरकर बिना किसी अनुमति या सूचना के मुख्यमंत्री आवास में प्रवेश कराने का प्रयास किया गया।

झामुमो ने राज्य सरकार से मांग किया है कि सीआरपीएफ आईजी, कमांडेट एवं उनके अन्य वरीय पदाधिकारियों पर इस असंवैधानिक कार्य के लिए सख्त कानूनी कारवाई करते हुए एक उच्च स्तरीय जांच करा कर पूरे साजिश का भांडा फोड़ किया जाये, अन्यथा झामुमो आंदोलन के लिए बाध्य होगा।

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