संजय सागर
बड़कागांव : हजारीबाग संसदीय क्षेत्र के बड़कागांव में सबसे बड़ी चुनावी मुद्दा विस्थापन है. यहां विस्थापन के विरुद्ध 2007 से आंदोलन किया जा रहा है. यहां के लोग जल, जंगल, जमीन बचाने को लेकर कर्णपुरा बचाओ संघर्ष समिति का गठन भी किया .इसके नेतृत्व में कई आंदोलन भी हुए. तत्कालीन मंत्री योगेंद्र साव के नेतृत्व में भी बड़कागांव केरेडारी में विस्थापन को लेकर आंदोलन भी किया गया. बड़कागांव के चेपाखुर्द तालाब में 2016 में विधायक निर्मला देवी द्वारा जल सत्याग्रह आंदोलन किया गया था .पूर्व विधायक लोकनाथ महतो द्वारा भी बड़कागांव आंदोलन किया गया .2016 में 1 महीने तक विधायक निर्मला देवी में जल ,जंगल ,जमीन को बचाने के लिए आंदोलन करती रही 1 अक्टूबर को पुलिस पब्लिक के बीच झड़प हुई थी . विधायक निर्मला देवी घायल भी हुई थी.पुलिस द्वारा गोलीबारी में चार युवकों की गोली लगने से मौत हो गई थी. मामला इन दोनों न्यायालय में है. बड़कागांव के गोंदलपुरा पंचायत में 1 वर्ष से विस्थापन को लेकर आंदोलन चल रहा है. यहां के लोगों का कहना की उपजाऊ जमीन में किसी प्रकार के खनन न हो. पर अभी तक विस्थापन का हल बड़कागांव में नहीं हुआ है.हालांकि तत्कालीन विधायक निर्मला देवी एवं वर्तमान विधायक अंबा प्रसाद द्वारा कई बार विधानसभा में आवाज उठाए जा चुका है. लेकिन अब तक विस्थापन का हल नहीं हो पाया. क्षेत्र की मतदाताओं का निगाह केंद्र सरकार पर है.केंद्रीय स्तर पर विस्थापन नीति ऐसा बने जिससे यहां के लोगों को प्रति एकड़ डेढ़ करोड़ रुपए मुआवजा,उपजाऊ जमीन के बदले जमीन मिले .घर व पेड़ के बदले घर, पेड़ मिले. वहां के लोगों को ऐसा विस्थापन हो जहां पर बड़कागांव की लोग एक साथ बसाया जा सके .नौकरी, अच्छे स्कूल ,बिजली, पानी सारी सुविधा मिले. 2016 में यहां कोयलवारी खुली. लेकिन यहां के लोगों के अनुकूल मुआवजा ,नौकरी, घर पेड़ पौधे, स्कूल, बिजली, पानी अस्पताल नहीं मिला. फिलहाल बड़कागांव क्षेत्र में विस्थापन का आंदोलन चल रहा है.
क्या कहना है मतदताओ का
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समाजसेवी मनोज गुप्ता का कहना है कि लोकसभा में विस्थापन नीति को लेकर कानून बने. और खेती योग्य जमीन को बचाया जा सके. लोगों को नौकरी मिले. विस्थापित लोगों को एक साथ बसाया जा सके. कोयलवरी खुलने से कृषि जमीन, जंगल,नदी तालाब नष्ट हो जाता है. प्रदूषण फैल जाता है. इसका उदाहरण बड़का गांव में देखने को मिल रहा है. डाड़ी कलां निवासी जागेश्वर महतो का कहना है कि विस्थापन से हमारा गांव उजड़ रहा है. इसे बचाया जाए. गुरु चट्टी निवासी सिकंदर महतो का कहना है कि इस क्षेत्र का विस्थापन बड़ी मुद्दा है. क्योंकि विस्थापन से हमारा उपजाऊ जमीन में कोयला खदान खुला है. इससे प्रदूषण फैल रहा है. नियमित बिजली और पानी नहीं मिल रहा है. समाजसेवी लखिंद्र ठाकुर का कहना है कि विस्थापन की लड़ाई में चार लोग गोली का शिकार हो गए . यहां पर कोयला बालू पर माफियाओं का नजर है.कुछ जनप्रतिनिधियों का भी कोयला पर गिद्ध दृष्टि लगे हुए हैं .उपजमीन बचाने के लिए विस्थापन मुख्य चुनावी मुद्दा बने.