वन और विद्युत विभाग एक दूसरे पर दोषारोपण करना छोड़ डीप फॉरेस्ट की करें व्यवस्था, तभी रुकेगी हाथियों के मौत का सिलसिला – पूर्व आयुक्त

जमशेदपुर : बीते दिनों मुसाबनी वन क्षेत्र में करंट की चपेट में आकर पांच हाथियों की हुई दर्दनाक मौत से कोल्हान के पूर्व आयुक्त सह भाजपा नेता विजय सिंह मर्माहत है। वहीं उन्होंने गुरुवार एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि वन और विद्युत विभाग एक दूसरे पर दोषारोपण बंद करें। साथ ही उन्होंने जिले के उपायुक्त और राज्य सरकार को एक ठोस नीति बनाने की बात भी कही। जिससे हाथियों की हो रही मौत का सिलसिला थमेगा। उन्होंने कहा कि हाथियों के लिए घने जंगल की व्यवस्था होनी चाहिए और तब हाथी रिहायशी इलाकों में नहीं आयेंगे। ताकि लोगों को नुक्सान भी न हो। उन्होंने विज्ञाप्ति के माध्यम से बताया कि पांच हाथियों की मौत के बाद आस-पास के ग्रामीणों से बात की तो पता चला कि हाथियों का झुंड ओड़िशा की ओर से घाटशिला मुसाबनी की ओर आया था। चुंकि घने जंगल का क्षेत्रफल बहुत कम है। जिस कारण हाथी रिहायशी इलाकों में घूम रहे थे। इस दौरान ग्रामीणों ने फटाका फोड़कर उन्हें पुनः जंगल की ओर भेज दिया। जबकि वन विभाग ने भी उन हाथियों को ओड़िशा की ओर भेजने का प्रयास किया। जिससे हाथी पैनिक हो गए और उड़ीसा की जगह वह गलत दिशा की ओर मुड़ गए। जिससे हाथियों का झुंड 33 हजार हाई वोल्टेज टेंशन तार की चपेट में आ गया और जिससे पांच हाथियों की मौत हो गई। जो काफी दुखद है। यह घटना तभी संभलेगा जब आम लोग जंगलों की कटाई नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि जिले के उपयुक्त को चाहिए कि वे वन और विद्युत विभाग के अधिकारियों को एक साथ बैठकर हाथियों को बचाने के लिए रणनीति बनाएं। इसके लिए राज्य सरकार को भी ठोस पहल करते हुए नीति बनाने की आवश्यकता है। हालांकि राज्य सरकार ने जंगली हाथियों के लिए अपने नीतिगत फैसले में उनके आहार के लिए बहुत से भोजन की व्यवस्था की है। मगर यह सब कागजों तक ही सीमित रह गया है। घने जंगल समाप्त हो रहें हैं और हाथियों की संख्या अधिक है। जिसके तहत वे बार-बार आबादी की तरफ जा रहे हैं और जिससे हाथियों का मौत का सिलसिला जारी है। वहीं आवश्यकता है कि राज्य सरकार और जिला प्रशासन अपने स्तर पर एक नीतिगत फैसला लेते हुए उनके रहने की व्यवस्था करें।जिससे हाथियों की जान बचाई जा सके। अगर इसपर जल्द ठोस निर्णय नहीं लिया गया तो यह घटनाएं लगातार होती रहेगी। उन्होंने कहा कि वे अपने स्तर से एक लाख पौधे लगाने का काम कर रहे हैं और अब तक बीस हजार पौधे लगा भी चुके हैं। वे चाहते हैं कि अन्य लोग भी पौधे लगाए। जिससे प्रदूषण नियंत्रण होगा और घने जंगल लगने से हाथी रिहायशी इलाकों में नहीं जाएंगे।

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