सारंडा के जंगलों की कटाई के मास्टरमाइंड को है राजनीतिक संरक्षण

आनंदपुर प्रखंड कांडी गांव से चल रहा है जंगल कटाई का नेटवर्क

जमशेदपुर : सारंडा वन प्रमंडल क्षेत्र अंकुवा कम्पार्टमेंट संख्या – 48 स्थित कोलभंगा गांव से लगभग 3 किलोमीटर आगे जंगलों को काटकर मैदान, खेत और घर बनाकर बाहरी लोगों को कब्जा दिलाने का मास्टरमाइंट आनंदपुर प्रखंड अंतर्गत हरता पंचायत अन्तर्गत कांडी गांव निवासी एक वृद्ध है। साथ ही इसी गांव से इस अवैध जंगल कटाई का पूरा नेटवर्क भी चल रहा है। वहीं वृद्ध के संरक्षण और आदेश पर ही सारंडा के हरे-भरे जंगलों को काटकर न सिर्फ मैदान बनाकर पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचाया जा रहा है। बल्कि वन भूमि पर अवैध रूप से कब्जा जमाने का काम भी किया जा रहा है। जबकि वन विभाग, पुलिस और सीआरपीएफ की संयुक्त कार्यवाही के बाद काम अभी बंद है। मगर सूत्रों का कहना है कि यह स्थाई विराम नहीं है। बताया जा रहा है कि कांडी गांव निवासी उक्त वृद्ध को एक बडे़ और प्रभावशाली राजनीतिक नेता का संरक्षण भी प्राप्त है। जिसके कारण उसे ऐसा करने पर कानून का थोड़ा सा भी भय नहीं है। बताते चलें कि सरकार ने वर्ष 2005 से जंगल काटकर बसे लोगों को वनाधिकार कानून के तहत वन भूमि का पट्टा जीविकोपार्जन के लिए देने का प्रावधान किया है। मगर उसके बाद अगर कोई जंगल काटकर वन भूमि पर कब्जा करता है तो उसे इसका लाभ नहीं मिलेगा। बल्कि वन विभाग के कडे़ कानूनों के तहत ऐसे लोगों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही करने का प्रावधान है। वन अधिकार अधिनियम में यह भी प्रावधान किया गया है कि वर्ष 2005 से पहले जंगल काटकर बसे गांव के ग्रामीण और वनों की कटाई नहीं करेंगे। वे आस-पास के जंगलों की खुद रक्षा कर बाहरी माफियाओं से जंगलों को काटने से बचाकर उन्हें भगायेंगे। अगर वे ऐसा नहीं करते हैं तो उनके खिलाफ भी जबाबदेही तय करते हुये उन्हें दी गई वन भूमि का पट्टा रद्द करने की कार्यवाही वन विभाग कर सकती है। हालांकि सारंडा में दर्जनों इन्क्रोचमेंट गांव वर्ष 2005 से बसे हैं। जिनको सरकार आज तक वनाधिकार का पट्टा नहीं दे पाई है।

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