समस्या समाधान के दो महत्वपूर्ण मंत्र धैर्य पूर्वक सुनना और समस्या से प्यार करना – पारितोष आनंद

जमशेदपुर : बिस्टुपुर सर्किट हाउस स्थित एक्सएलआरआई में पीजीडीएम (जीएम) की ओर से बुधवार को सीएक्सओ सीरिज का आयोजन किया गया। जिसमें बतौर मुख्य वक्ता रिलायंस इंडस्ट्रीज के चीफ डेटा साइंटिस्ट सह डिजिटल प्लेटफॉर्म हेड पारितोष आनंद ने हिस्सा लिया। इस दौरान उन्होंने “समस्या-समाधान के लिए एक डमी गाइड – कुछ सिद्धांत, जिन्होंने मेरे करियर में मेरी मदद की” विषय पर अपनी बातों को प्रस्तुत भी किया। इस सत्र में 100 से अधिक छात्रों के अलावा प्रबंधन के सदस्यों ने भी हिस्सा लिया। इससे पूर्व प्लेसमेंट के संयोजक प्रो. डॉ ए कनगराज ने वक्ता पारितोष आनंद का स्वागत भी किया। वहीं अपने संबोधन के दौरान पारितोष आनंद ने व्यापार जगत में डिजिटलीकरण समेत कई प्रमुख बिंदुओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि तेल और गैस उद्योग, जो अपनी कठोरता के लिए जाना जाता है। डीजिटलीकरण के माध्यम से महत्वपूर्ण परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है। पिछले दशक में डिजिटल प्रौद्योगिकियों में प्रगति ने रिलायंस जामनगर रिफाइनरी में प्रक्रियाओं से क्रांति ला दी है। साथ ही संचालन को सुवास्थित कर मूल्य श्रृंखला में दक्षता बढ़ाई है। उन्होंने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के बढ़ते प्रभाव पर भी बात की। उन्होंने व्यवसायों पर कृत्रिम बुद्धिमत्ता के परिवर्तनकारी प्रभाव को रेखांकित किया। आपूर्ति श्रृंखलाओं को अनुकूलित करने से लेकर पूर्वानुमानित रखरखाव तक एआई इस बात को नया आकर दे रहा है कि रिलायंस इंडस्ट्रीज जैसी कंपनियां अपने संचालन का प्रबंधन कैसे करती है। जिससे उच्च उत्पादकता और कम डाउनटाइम सुनिश्चित होता है। उन्होंने समस्या-समाधान के लिए दो महत्वपूर्ण मंत्र भी दिए। जिसमें पहला मंत्र है धैर्यपूर्वक सुनना। उन्होंने कहा कि सूचना की अधिकता के युग में दूसरे लोगों की बात सुनना किसी महान कार्य से कम नहीं है। कोई व्यवसाय केवल ग्राहकों, कर्मचारियों और हितधारकों की बात सुनकर ही आगे बढ़ सकता है। जबकि दूसरा मंत्र है समस्या से प्यार करना। हर कोई समाधान देने को उत्सुक है। मगर समस्या से प्यार कर हम मुद्दे के प्रत्येक पहलू का आकलन कर चुनौती से निपटने के लिए अंतर्दृष्टि के साथ आ सकते हैं। वहीं दूसरे दिन टीमों में काम करने वाले छात्रों ने कृषि, महिला सशक्तिकरण और शिक्षा के क्षेत्र में अपने समस्या-समाधान कौशल का प्रदर्शन भी किया।

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