एसजीपीसी अमृतसर का बड़ा फैसला, गुरुओं के साथ नहीं लगा सकते अपनी तस्वीर

 हरविंदर जमशेदपुरी के पत्र के आलोक में शरोमणि गुरुद्वारा कमिटी की सख्त हिदायत

नगर कीर्तन में होर्डिंग पर गुरुओं की तस्वीरें लगाने से होती है बेअदबी – जमशेदपुरी

आदेश के बारे में सुना है, प्रति प्राप्त होने जाने पर करेंगे लागु – भगवान सिंह

जमशेदपुर : शरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी (एसजीपीसी) अमृतसर ने एक बड़ा और कड़ा फैसला लेते हुए होर्डिंग पर गुरुओं की तस्वीर के साथ किसी भी व्यक्ति की तस्वीर लगाने पर पाबंदी लगा दी है। शहर के युवा प्रचारक हरविंदर सिंह जमशेदपुरी की शिकायत पर फैसला लेते हुए एसजीपीसी ने एक पत्र जमशेदपुरी को भेजा है। जिसमें लिखा है कि किसी भी तरह से गुरुओं और गुरबाणी के साथ किसी व्यक्ति की तस्वीर नहीं लगाई जा सकती है और ऐसा करने पर दोषी व्यक्ति के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई भी की जाएगी। वहीं सेंट्रल गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी (सीजीपीसी) के प्रधान भगवान सिंह ने कहा है कि उन्हें विभिन्न सूत्रों के माध्यम से पता चला है कि शरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी द्वारा आदेश पारित किया गया है। सीजीपीसी को जैसे ही आदेश की प्रति प्राप्त होगी, उसे सबके सहयोग से अक्षरशः लागु करवाया जाएगा। इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए प्रचारक हरविंदर सिंह जमशेदपुरी ने कहा कि एसजीपीसी का वे धन्यवाद और स्वागत करते हैं, जिन्होंने यह न्याय संगत फैसला किया है। उम्मीद करते है कि शहर के गुरुद्वारा प्रबंधक इस फैसले को गंभीरता से लेते हुए ठोस कदम उठाएंगे। उन्होंने बताया कि उन्हें इस आदेश के प्रति प्राप्त हुई है। जिसमें उनके द्वारा उठाये गए गंभीर सवालों पर सटीक मता पास किया गया है। बताते चलें कि प्रचारक हरविंदर सिंह जमशेदपुरी ने सीजीपीसी के माध्यम से शरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी में पत्र लिखकर मांग की थी कि नगर कीर्तन के दौरान अनुचित रूप से किसी को भी सिरोपा देने और होर्डिंग में गुरुओं की तस्वीर लगाने पर पूर्णता रोक लगाई जाय। जिसपर संज्ञान लेते हुए कमिटी ने होर्डिंग पर गुरुओं के तस्वीर के साथ किसी व्यक्ति की तस्वीर लगाने पर रोक लगा दी है। वहीं उनका इस पर तर्क है कि होर्डिंग में तस्वीर नगर कीर्तन वाले दिन तो ठीक लगती है। मगर अगले दिन होर्डिंग उतारे जाने के बाद गुरुओं की तस्वीरों वाला होर्डिंग पर लोगों के पैर पड़ने के साथ साथ कई अन्य तरह की बेअदबी होती है और जिसपर कार्रवाई करना अत्यंत आवश्यक था।

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