जमशेदपुर : पूर्वी के विधायक सरयू राय ने मंगलवार सदन पटल पर स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता के वायरल हुए अश्लील वीडियो के संबंध में भ्रामक उत्तर देने का सवाल उठाया। इस तरह उन्होंने कहा कि सरकार ने उनके उपर्युक्त विषयक अल्पसूचित प्रश्न संख्या – 25 का सदन में भ्रामक उत्तर देते हुए महत्वपूर्ण तथ्य छुपाया है। जिसकी प्रति संलग्न है। प्रश्न की कंडिका – 2 का उत्तर सरकार ने आधा-अधूरा दिया है। वहीं उन्होंने कहा कि सरकार ने यह तो बताया है कि जब अश्लील वीडियो क्लिप पेन ड्राइव को माननीय न्यायालय ने एफएसएल रांची भेज कर यह जांच करने का निर्देश दिया कि उसमें भेजा गया अश्लील वीडियो क्लिप मॉर्फेड है या फिर ओरिजिनल है। परन्तु सरकार ने सदन को यह नहीं बताया कि माननीय न्यायालय ने एफएसएल रांची को यह पता करने का निर्देश भी दिया कि पेन ड्राइव में भेजे गये वीडियो क्लिप का ओरिजिनल सोर्स क्या है? सरकार ने यह तथ्य अपने उत्तर में छुपाकर सदन को गुमराह किया है। वहीं प्रश्न की कंडिका 2 में उन्होंने सरकार से यह भी जानना चाहा है कि अनुसंधानकर्ता ने न्यायालय में जो अश्लील विडियो क्लिप जमा किया है, उसमें ओरिजनल ट्वीटकर्ता का विडियो क्लिप न्यायालय के समक्ष प्रदर्श में क्यों नहीं रखा गया है। उसकी जगह 14 वें एवं 15 वें स्थान पर ओरिजिनल ट्वीट के दो रिट्वीट कर्ताओं का विडियो क्लिप इन्होंने न्यायालय में जमा किया है। इसमें एक रिट्वीट उनका भी है। जिससे यह संदेह उत्पन्न होता है कि पेन ड्राइव में भेजा गया अश्लील वीडियो का ओरिजनल सोर्स का पता करने में अनुसंधानकर्ता की रूचि नहीं है और अनुसंधान की दिशा सही नहीं है। साथ ही प्रश्न की कंडिका-3 में उन्होंने जानना चाहा है कि क्या एफएसएल रांची ने वीडियो क्लिप की जांच करने से मना करते हुए कहा है कि जांच करने वाला उसका सॉफ्टवेयर खराब है। तदुपरांत माननीय न्यायाधीश ने 16 नवंबर 2023 को अनुसंधानकर्ता को आदेश दिया है कि अश्लील वीडियो क्लिप की जांच अन्यत्र से कराई जाए। मगर सरकार ने यह तथ्य सदन के समक्ष नहीं रखा और इसपर मौन साध लिया है। माननीय न्यायाधीश का यह निर्देश हुए एक माह से अधिक हो गया। परन्तु सरकार ने सदन को यह नहीं बताया कि अश्लील वीडियो क्लिप को जांच के लिए कहीं अन्यत्र भेजा गया है या नहीं? यदि अन्यत्र भेजा गया है तो कहां भेजा गया है? इससे स्पष्ट होता है कि अनुसंधान को सही दिशा में ले जाने के प्रति अनुसंधानकर्ता गंभीर नहीं हैं। वस्तुतः इस अश्लील वीडियो कांड के बारे में राज्य सरकार के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने 23 अप्रैल 2023 को बिस्टुपुर स्थित साईबर थाने में आईपीसी की धारा 469 ए, 500 और आईटी एक्ट की धारा 66 सीए, 66 ईए व 67 में अज्ञात के विरूद्ध प्राथमिकी संख्या – 25/2023 दर्ज कराया है। ये सभी धाराएं जमानती हैं। मगर बाद में अनुसंधानकर्ता ने न्यायालय में आवेदन देकर इसमें एक गैर जमानतीय धारा (67ए) जुड़वाया है। जिससे संदेह होता है कि अनुसंधानकर्ता ने ऐसा राजनीतिक दबाव में आकर किया है और इससे अनुसंधान का मूल भाव भी प्रभावित हुआ है।उन्होंने कहा कि सरकार के मंत्री बन्ना गुप्ता और एक महिला के बीच हुए अश्लील वार्तालाप का यह वीडियो क्लिप सर्वप्रथम एक माननीय सांसद के ट्वीटर हैंडल से प्रसारित हुआ। जिसके बाद चौदह व्यक्तियों ने इसे रिट्वीट भी किया। जबकि उन्होंने 16 वें व्यक्ति के रूप में यह टिप्पणी अंकित करते हुए इस ट्वीट को रिट्वीट किया कि कांग्रेस के झारखण्ड प्रभारी अविनाश पांडेय का कहना है कि @HemantSorenJMM सरकार के सभी कांग्रेसी मंत्री अच्छा काम कर रहे हैं। अच्छे काम की झांकी है यह ! हो सकता है पूरा पिक्चर बाकी हो। प्रश्न उठता है कि सांसद के ओरिजिनल ट्वीट का वीडियो क्लिप पुलिस ने एफएसएल जांच के लिए न्यायालय में क्यों नहीं जमा कराया? इसकी जगह 15 लोगों के बाद किए गए उनके रिट्वीट का पेन ड्राइव जांच के लिए न्यायालय में क्यों जमा कराया? क्या इसके पीछे कोई राजनीतिक साजिश है और जो अनुसंधान को प्रभावित कर रही है? बताते चलें कि अनुसंधानकर्ता द्वारा जमा किए गए उनके रिट्वीट वाले वीडियो क्लिप का पेन ड्राइव ही न्यायालय ने एफएसएलए रांची को उपर्युक्त निर्देश के साथ भेजा है और ओरिजिनल ट्वीट को नहीं। क्या इसमें और प्राथमिकी के बाद में एक गैर जमानतीय धारा जोड़ने के बीच कोई संबंध है? आश्चर्य की बात तो यह है कि जिस दिन विडियो क्लिप ट्वीटर पर वायरल हुआ था, उसी दिन 24 अप्रैल 2023 की रात्रि मंत्री बन्ना गुप्ता द्वारा साईबर थाना में प्राथमिकी दर्ज करायी गई। परन्तु इसमें प्रस्तुत जब्ती सूची साईबर थाना द्वारा 2 जुलाई 2023 को न्यायालय में प्रस्तुत किया गया। अनुसंधानकर्ता द्वारा न्यायालय में दाखिल दस्तावेज के अनुसार अश्लील वीडियो क्लिप के प्रस्तुतकर्ता प्राथमिकी दर्ज करने वाले मंत्री जी नहीं है। बल्कि मानगो जवाहर नगर निवासी प्रेस सलाहकार बेलाल गुफरानी हैं। क्या ये मंत्री के प्रेस सलाहकार हैं? इससे प्रश्न उठता है कि 23 अप्रैल से 2 जुलाई 2023 के बीच दो माह 9 दिन तक अश्लील वीडियो क्लिप की जप्ती के लिए अनुसंधानकर्ता ने क्या किया? अनुसंधानकर्ता ने अश्लील वीडियो क्लिप न्यायालय में प्रस्तुत करने में इतना समय क्यों लगाया? सवाल यह भी है कि अनुसंधानकर्ता को अश्लील वीडियो का पेन ड्राइव दो माह नौ दिन बाद मंत्री के प्रेस सलाहकार से क्यों एवं कैसे मिला?अनुसंधानकर्ता ने ओरिजिनल ट्वीटकर्ता के वायरल ट्वीट का पेन ड्राइव क्यों नहीं बनाया? ऐसी स्थिति में स्वाभाविक ही संदेह उत्पन्न होता है कि दो माह नौ दिन की अवधि के बीच क्या इस वीडियो क्लिप से प्रस्तुतकर्ता ने छेड़छाड़ की? क्या इसलिए अनुसंधानकर्ता ने ओरिजिनल ट्वीटकर्ता का वीडियो न्यायालय में प्रस्तुत नहीं किया। सिर्फ इतना ही नहीं इस प्रसंग में एक गंभीर वाकया यह भी है कि मंत्री जी का अश्लील वीडियो वायरल होने के तुरंत बाद एक महिला का वीडियो वक्तव्य सामने आया। जिसमें वह कह रही है कि मंत्री जी के साथ अश्लील वार्ता का जो वीडियो क्लिप जारी हुआ है, उसमें दिखने वाली महिला वही है। मगर यह वार्तालाप वह अपने पति के साथ कर रही थी। उल्लेखनीय है कि इस महिला का यह वीडियो वक्तव्य स्वास्थ्य मंत्री के कार्यालय के ट्वीटर हैंडल से प्रसारित किया गया। साथ ही जानबूझकर महिला की पहचान जाहिर की गई। परन्तु अनुसंधानकर्ता ने अब तक उस महिला और उसके पति का बयान नहीं लिया है। उन्होंने यह पता करने की कोशिश भी नहीं की है कि वह महिला अपने किस मोबाईल फोन नम्बर से अपने पति के किस मोबाईल फोन नम्बर पर यह अश्लील वार्तालाप कर रही थी? इस महिला का वीडियो बयान मंत्री के कार्यालय तक कैसे पंहुचा? मंत्री जी के ऑफिसियल हैंडल से यह वक्तव्य कैसे प्रसारित किया गया? इसके साथ ही अनुसंधानकर्ता ने इस बारे में मंत्री से अब तक पूछताछ नहीं किया है। इस संबंध में मंत्री जी का बयान अब तक न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया गया है। ताकि यह साबित हो सके कि वह महिला तो उसके कथनानुसार अश्लील वार्ता अपने पति से कर रही थी। परन्तु मंत्री जी अपने किस मोबाईल फोन नम्बर से किससे वायरल वीडियो में वार्तालाप कर रहे थे? प्रश्न उठता है कि उस महिला और उसके पति का मोबाइल फोन जब्त कर जांच करने की आवश्यकता अनुसंधानकर्ता ने क्यों नहीं महसूस की? मंत्री जी का मोबाइल जब्त कर उसकी जांच क्यों नहीं की? क्या यह राजनीतिक दबाव में हुआ है? क्या यह अनुसंधान को प्रभावित करने का प्रयत्न नहीं है? उपर्युक्त प्रश्न वे पूरक के रूप में सभा पटल पर पूछना चाहते थे। विषय सूची में उनका प्रश्न 5 वें नम्बर पर था। दो प्रश्नों का उत्तर हो चुका था। परन्तु सदन अव्यवस्थित हो जाने के कारण भवदीय द्वारा सदन को स्थगित कर दिया गया। जिस कारण वे अपना पूरक प्रश्न पूछकर इसके माध्यम से सरकार से मामले की असलियत नहीं जान सके। उनका यह प्रश्न अनागत हो गया। इसलिए इस पत्र के माध्यम से उनका भवदीय से निवेदन है कि उपर्युक्त विवरण के आलोक में उनके प्रश्न को सदन की अनागत समिति में भेजकर अथवा किसी अन्य माध्यम से उनके प्रश्न का सही उत्तर सरकार से दिलवाने की कृपा करना चाहेंगे। सदन से तथ्य छुपाने की जिम्मेदारी सुनिश्चित करना चाहेंगे। साथ ही सरकार को स्पष्ट निर्देश देना चाहेंगे कि अनुसंधान को प्रभावित करने की साजिश के मद्देनजर इस मामले की जांच विशेष टास्क फोर्स बनाकर करें।
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