बड़कागॉव के गॉवों में जोगीरा सरा र र र …शुरू

गॉवों में लगने लगी है होलियानी चौपाल

संजय सागर
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बड़कागांव :रंगों का त्योहार होली के आगमन की सुगबुगाहट होते ही लोगों पर इसका खुमार छाने लगा है. सुबह से लेकर शाम तक जगह-जगह होली के गीत गूंजने लगे हैं. लेकिन वर्तमान समय में होली के पुराने गीतों पर अब भोजपुरी गानों की आड़ में काफी अश्लीलता हावी हो गया है. प्रखंड क्षेत्र के ग्रामीण इलाके में जहां होली पर आधारित जोगीरा की धुन अब भोजपुरी में सुनाई पड़ने लगी है.स्थानीय लोगों का मानना है कि बसंत पंचमी के बाद से ही होली की सुगंध जहां फिजाओं में तैरने लगती है. वहीं उस समय से ही होली के गीत गूंजने की परंपरा युग-युगांतर से चली आ रही है. वर्तमान समय पर हावी आधुनिकता के आगे पुरानी होली की हुड़दंगता अब गांवों में भी जहां नही के बराबर देखी जा रही है. वहीं होली के पुराने गीतों पर अश्लीलता हावी हो चुकी है.होली पर्व पर ग्रामीण इलाके के चौक-चौराहों पर होली की ग्रामीण गीत के साथ ढोल की थाप व झाल की आवाज अब सुनाई नहीं दे रही है.

इन गॉवों में आज भी लगती है चौपाल
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इन दिनों बड़कागॉव के रामजानकी मंदिर, राधेश्याम मंदिर, सूर्य मंदिर ,अम्बेडकर मोहल्ला, कुम्हार मोहल्ला,बरवाडीह समेत अन्य गॉवों में हर शाम में चौपाल लगता हैं, जहां12 बजे रात्री तक लोग होलियानी गीत पर झूमते व नाचते रहते हैं.यहां जोगिरा स र र र ररर गांव के युवाओं की टोली करते नजर आते हैं.जगह-जगह बज रहे होली की गीत से जहां त्योहार की समां अभी से बंधने लगी है. वहीं चहुंओर उमंग के बीच रंगों के त्योहार का माहौल भी बनता जा रहा है.

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