आदिवासी जनजीवन में रची-बसी करमा-धरमा की कहानी
खूंटी : झारखंड के जानजातीय समाज और सदानों द्वारा कई तरह के पर्व त्योहार मनाये जाते हैं, पर इनमें दो पर्व करमा और जीतिया या जीवित्पुत्रिका सदानों और आदिवासियों द्वारा समान श्रद्धा और विश्वास के साथ मनाये जाते हैं। अंतर सिर्फ इतना है कि करमा पर्व में आदिवसाी समाज में पूजा-पाठ पाहनों द्वारा कराया जाता है, वहीं मूलवासियों (गैर आदिवासियों) में यह काम पंडित-पुरोहित कराते हैं। करमा पर्व जनजातीय समुदाय का सरहुल के बाद दूसरा सबसे बड़ा त्योहार है। करमा का त्योहार मुंडा, हो, खड़िया, उरांव सहित अन्य जनजातियों द्वारा … Continue reading आदिवासी जनजीवन में रची-बसी करमा-धरमा की कहानी
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