सृजनात्मकता विकास के लिए साहित्य जरूरी: मेरी ग्रेस

डाॅ मयंक मुरारी को मिला सिद्धनाथ कुमार स्मृति सम्मान
 नंदा पांडेय, अंकिता सिन्हा व मनोज कपरदार को स्पेनिन सम्मान

Ranchi : सृजनात्मकता के लिए साहित्य जरूरी है। साहित्य से बच्चों के ज्ञान में विविधता आती है। ज्ञान के साथ विकास के लिए जीवन में साहित्य का संबंध जरूरी है। उक्त बातें उर्सुलाइन इंटर काॅलेज की प्राचार्या डाॅ मेरी ग्रेस ने कहीं। वह आज काॅलेज के सभागार में आयोजित सिद्धानाथ कुमार स्मृति सम्मान समारोह में मुख्या अतिथि के तौर पर बोल रही थीं। इस अवसर पर ज्ञारखंड के चिंतक और लेखक डाॅ मयंक मुरारी को सिद्धनाथ कुमार स्मृति सम्मान प्रदान किया गया। इसके अलावा नंदा पांडेय, अंकिता सिन्हा और मनोज कपरदार को स्पेनिन गौरव सम्मान दिया गया।

साहित्यकार डाॅ अशोक प्रियदर्शी ने कहा कि ुसाहित्य सम्मान से युवाओं में रचनात्मक लेखन का विकास होता है। युवा इससे प्रेरित होते हैं और उनमें कुछ बेहतर करने का विश्वास आता है। झारखंड में सिद्धनाथ कुमार का योगदान अविस्मरणीय है, जिसे बेहतर साहित्य समाज के निर्माण में सहयोग मिलता है। मुख्य वक्ता डाॅ कमल कुमार बोस ने कहा कि सिद्धानाथ कुमार देश के विशिष्ट साहित्यकार थे। उन्होंने अपना पुरा जीवन नाटक के विविध शिल्प और उसके पहलुओं के अध्ययन पर व्यतीत किया। साहित्य के किसी एक विधा में जितना उन्होंने काम किया, वह अनुकरणीय है। डाॅ माया प्रसाद ने कहा कि साहित्य के विकास में स्पेनिन का यह प्रयास काफी सराहनीय है। इससे युवा साहित्यकारों को प्रेरणा मिलती है।

स्पेनिन के डायरेक्टर डाॅ कुमार संजय ने कहा कि इस सम्मान के माध्यम से झारखंड के उत्कृष्ट साहित्यकार एवं सृजनधर्मी व्यक्तित्व को समाज के समक्ष लाया जाता है। पिछले 18 साल से यह प्रयास चल रहा है और यह आगे भी जारी रहेगा। इस अवसर पर मंच संचालन निर्मला मुंडा, संजना भटटाचार्या ने किया और धन्यवाद ज्ञापन डाॅ शेफालिका सिन्हा ने किया। कार्यक्रम के संयोजन में प्रमिला, सरोज, कुलदीप और मनीष आदि का सहयोग रहा। इस अवसर पर पीके झा, राकेश रमण, मुक्ति शाहदेव, वीणा श्रीवास्तव, पंकज पुष्कर के अलावा में काॅलेज की छात्राएं उपस्थित थीं। कॉलेज की छात्राओं ने मंगलाचरण, मराठी और राजस्थानी नृत्य प्रस्तुत कर कार्यक्रम को और मनमोहक बना दिया.

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