हजारीबाग: लोकतंत्र के इतिहास में अब तक हजारीबाग लोकसभा सीट पर कुल 17 बार चुनाव हुए। इस सीट पर किसी भी पार्टी का कभी दबदबा नहीं रहा। हमेशा बदलाव का दौरा चला लेकिन सबसे ज्यादा यहां से भाजपा ने जीत दर्ज की। वर्ष 1952 से 2019 तक सात बार भाजपा, दो बार भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, तीन बार भारतीय कांग्रेस पार्टी, दो बार छोटा नागपुर संथाल परगना जनता पार्टी, एक बार जनता पार्टी, एक बार भारतीय लोकदल और एक बार निर्दलीय ने जीत हासिल की है। हजारीबाग लोकसभा सीट ने देश को वित्त और विदेश मंत्री भी दिया है।
1952 में दोबारा हुए चुनाव
1952 में हुए पहले लोकसभा चुनाव में इस लोकसभा सीट का नाम हजारीबाग वेस्ट था। यहां से रामनारायण सिंह छोटा नागपुर संथाल परगना जनता पार्टी से जीत हासिल की थी। वर्ष 1952 के लोकसभा चुनाव में रामनारायण सिंह को कुल 57 फीसदी वोट मिले थे। दूसरे नंबर पर झानी राम थे, जो भारतीय कांग्रेस से चुनाव लड़े थे। इन्हें कुल 35.5 फीसदी वोट मिले थे। सोशलिस्ट पार्टी के शिव मंगल प्रसाद को 7.5 फीसदी वोट मिले थे।
1952 में ही यहां दोबारा लोकसभा चुनाव हुए। इस चुनाव में इस लोकसभा सीट का नाम पलामू कम हजारीबाग कम रांची लोकसभा सीट रखा गया। इस बार यहां से कांग्रेस पार्टी ने जीत दर्ज की। यहां से जीतन खरवार ने जीत दर्ज की। कांग्रेस को कुल 38 फीसदी वोट मिले जबकि जनता पार्टी को 15.2, झारखंड पार्टी को 15 फीसदी और छोटा नागपुर संथाल परगना जनता पार्टी को 11 फीसदी वोट मिले।
ललिता रजिया लक्ष्मी ने 1957 में दर्ज की जीत
1957 के लोकसभा चुनाव में हजारीबाग सीट से एक बार फिर छोटा नागपुर संथाल परगना जनता पार्टी की ललिता रजिया लक्ष्मी ने जीत दर्ज की। 1957 के चुनाव में छोटानागपुर संथाल परगना जनता पार्टी को 78 हजार वोट के साथ लगभग 67.7 फीसदी जबकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को 24.01 फीसदी और झारखंड पार्टी को 8.2 फीसदी वोट मिले। 1967 के लोकसभा चुनाव में यहां से इंडिपेंडेंस प्रत्याशी बी सिंह ने दिए दर्ज की।इन्हें कुल 41.6 फीसदी वोट मिले। इंडियन नेशनल कांग्रेस के डी पांडे को 31.8 फीसदी वोट मिले। भारतीय जनसंघ के खाते में 13.1 फीसदी वोट आए थे जबकि कांग्रेस पार्टी ऑफ इंडिया को 6.6 फीसदी वोट मिले।
कांग्रेस के दामोदर पांडे को 1971 में मिली जीत
1971 के चुनाव में हजारीबाग से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के दामोदर पांडे विजयी हुए। इन्हें कुल 31.9 फीसदी वोट मिले। जनता पार्टी यहां दूसरे स्थान पर रही। इन्हें 25.7 फीसदी वोट मिले। भारतीय जनसंघ 17.3 फीसदी वोट के साथ तीसरे स्थान पर थी। 1977 के लोकसभा चुनाव में यह सीट भारतीय लोकदल के खाते में चली गई, जहां पर कुमार बसंत नारायण सिंह ने इस सीट पर जीत दर्ज की थी। इन्हें कुल 63 फीसदी वोट मिले थे जबकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के दामोदर पांडे को महज 15.02 फीसदी और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया को 12.1 फीसदी वोट मिले थे।
1980 के लोकसभा चुनाव में यह सीट जनता पार्टी के हिस्से चली गई। कुंवर बसंत नारायण सिंह लोकदल से जनता पार्टी के हिस्सा बन गए। इन्हें कुल 34.2 फीसदी वोट मिले, जबकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के खाते में 23.7 फीसदी वोट मिले थे। कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया को 18.5 फीसदी वोट मिले जबकि जनता पार्टी को कुल 10 फीसदी वोट मिले थे।
कांग्रेस के दामोदर पांडे विजय ने 1984 में दर्ज की जीत
1984 के लोकसभा चुनाव में यह सीट कांग्रेस के खाते में चली गई। यहां से दामोदर पांडे विजय हुए। इन्हें कुल 46.4 फीसदी वोट मिले जबकि दूसरे नंबर पर कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया रही, जिसे कुल 30.6 फीसदी वोट मिले। इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने भी अपना उम्मीदवार उतारा था लेकिन उन्हें सिर्फ 6.9 फीसदी वोट भारतीय जनता पार्टी को मिले थे जबकि 4.8 फीसदी बोर्ड झारखंड मुक्ति मोर्चा को मिले थे।
भाजपा ने 1989 में सीट जीती
1989 के लोकसभा चुनाव में हजारीबाग सीट से भाजपा ने जीत दर्ज की। भाजपा को कुल 42.8 फीसदी वोट मिले। कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया को 34.8 फीसदी और इंडियन नेशनल कांग्रेस को 11.3 फीसदी वोट मिले। 1991 के लोकसभा चुनाव में एक बार फिर यह सीट कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया के खाते में चली गई। कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया को यहां 33.7 फीसदी वोट मिले जबकि भाजपा 28.5 की वोट पाकर दूसरे स्थान पर रही।
इसके अलावा 12.7 फीसदी वोट हासिल कर निर्दलीय प्रत्याशी टेकलाल महतो तीसरे स्थान पर थे जबकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस चौथे स्थान पर चली गई। 1991 के लोकसभा उप चुनाव में हजारीबाग की सीट फिर कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया के खाते में चली गई। 33.7 फीसदी वोट लेकर के इस सीट को कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया ने जीता था जबकि भारतीय जनता पार्टी को 28.8 फीसदी वोट मिले थे।
भाजपा ने 1996 में जीत दर्ज की
1996 की लोकसभा चुनाव में हजारीबाग की सीट भाजपा के महावीर लाल विश्वकर्मा ने जीते। इन्हें 27.7 फीसदी वोट मिले जबकि कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया के भुवनेश्वर प्रसाद मेहता को 26.4 फीसदी वोट और झामुमो को 15.6 फीसदी वोट मिले। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस चौथे स्थान पर चली गई। उसे सिर्फ 8.9 फीसदी वोट मिले।
भाजपा से यशवंत सिन्हा ने 1998-1999 में दर्ज की जीत
1998 में हुए लोकसभा चुनाव में यहां से फिर 1998 में भाजपा ने जीत दर्ज की। भाजपा के यशवंत सिन्हा ने इस इस सीट पर जीत दर्ज की थी। कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया दूसरे स्थान पर रही। इन्हें कुल 22.7 फीसदी वोट मिले थे। झारखंड मुक्ति मोर्चा मरांडी ग्रुप को 19.5 फीसदी वोट मिले जबकि कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया और झारखंड मुक्ति मोर्चा इकाई के प्रतिशत में आ गए। 1999 में हुए फिर लोकसभा चुनाव में भाजपा के यशवंत सिन्हा ने फिर से इस सीट पर जीत दर्ज की। यशवंत सिंह को कुल 47.3 फीसदी वोट मिले थे जबकि राष्ट्रीय जनता दल 16.2 फीसदी वोट मिले थे। झामुमो 11.9 फीसदी वोट के साथ तीसरे स्थान पर रही जबकि कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया 9.3 फीसदी मत प्राप्त कर सकी।
झारखंड बंटवारे के बाद सीपीआई ने सीट पर जमाया कब्जा
2004 में हुआ लोकसभा चुनाव झारखंड बंटवारे के बाद हजारीबाग सीट का पहला चुनाव था, जिसमें हजारीबाग झारखंड राज्य का लोकसभा सीट बन गया था। 2004 में हुए लोकसभा चुनाव में कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया ने यहां जीत दर्ज की। कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया को 50.5 फीसदी वोट मिले थे जबकि भाजपा के यशवंत सिन्हा को 35.5 फीसदी वोट मिले थे।
भाजपा 2009-2014-2019 में भी जीती
2009 हजारीबाग लोकसभा चुनाव झारखंड बंटवारे के बाद का दूसरा लोकसभा चुनाव था। इस बार यहां से भाजपा के यशवंत सिन्हा विजय हुए। भाजपा को कुल 31.8 फीसदी जबकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को 26 फीसदी वोट मिले थे। आजसू को 12.6 फीसदी और झामुमो को 7.8 फीसदी वोट प्राप्त हुए। 2014 का लोकसभा चुनाव मोदी लहर के असर पर लड़ा गया था और इस बार हजारीबाग लोकसभा सीट से 2009 के सांसद रहे यशवंत सिन्हा के बेटे जयंत सिन्हा चुनाव लड़े।
जयंत सिंह को 2014 के लोकसभा चुनाव में कुल 42.5 फीसदी वोट मिले थे जबकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस यहां दूसरे स्थान पर थी। 25.6 फीसदी वोट कांग्रेस को मिले थे। तीसरे स्थान पर 16.01 फीसदी वोट लेकर के आजसू पार्टी थी। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार जयंत सिन्हा ने जीत दर्ज की थी, जिन्हें 67.4 फीसदी वोट मिले थे। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस यहां दूसरे स्थान पर थी। कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया तीसरे स्थान पर थी। हालांकि, इस बार टिकट बंटवारे के पहले ही जयंत सिन्हा ने सक्रिय राजनीति से संन्यास ले लिया। भाजपा ने इस बार मनीष जायसवाल को उतारा है।