एमजीएम अस्पताल में पड़े पड़े लाखों की दवा हो गई एक्सपायरी, मरीज को नहीं मिला लाभ

सफाईकर्मियों के माध्यम से दवाओं को लगाया जा रहा है ठिकाने, पुराने चिमनी रूम में किया जा रहा है भंडारण

– जमीं जमाई व्यवस्था चला रहा है प्रबंधन, बाहरी मेडिकल स्टोर पर मेहरबान है अस्पताल के डॉक्टर          

कालीचरण

जमशेदपुर : कोल्हान के एक मात्र सरकारी अस्पताल एमजीएम में लाख कोशिशों के बाद भी व्यवस्था में सुधार होने का कोई नाम नहीं ले रहा है। बल्कि अस्पताल में वर्षों से जमीं जमाई व्यवस्था ही चल रही है। जिसका खामियाजा गरीब मरीजों के साथ-साथ राज्य सरकार को उठाना पड़ रहा है। ऐसा ही एक मामला बुधवार को प्रकाश में आया है। जिसके तहत अस्पताल में पड़े पड़े ही लाखों की दवाएं एक्सपायरी हो चुकी है और जिन्हें ठिकाना लगाने के लिए सफाईकर्मियों की मदद भी ली जा रही है। वहीं अस्पताल परिसर के ऑर्थो विभाग स्थित सफाई कर्मियों के कार्यालय के बगल के कमरे में एक्सपायरी दावों का भंडार लगा हुआ है। हालांकि कुछ दवाओं के एक्सपायरी होने में अभी समय है। जबकि कुछ दवाएं जनवरी माह में ही एक्सपायर होने वाली है। इसी तरह कई दवाएं तो एक्सपायरी भी हो चुकी है। जिसे सफाईकर्मी डब्बों से निकालकर नीले रंग के प्लास्टिक की थैली में भरने के बाद स्ट्रेचर में लादकर कोविड वार्ड की तरफ से होते हुए शौचालय के बगल में स्थित पुराने इंसुलेटर रूम में ले जाकर इसका भंडारण कर रहे हैं। जिससे वहां प्लास्टिक की थैलियों में भर भर कर रखे एक्सपायरी दवाओं का भंडार लग गया है। जिसमें कैलशियम ग्लूकोनेट इंजेक्शन, एंटीसेप्टिक बिटाडिन लोशन, मलेरिया की क्लोरो क्वीन इंजेक्शन, एनएस स्लाइन, पेंटा प्रोजोलोन गैस्टिक इंजेक्शन समेत अन्य दवाएं शामिल हैं। उक्त सभी दवाएं इंसुलेटर रूम में हजारों की तादाद में फेंके हुए हैं और जिसकी कीमत संभवतः लाखों में होगी। सिर्फ यही नहीं दवाओं के एक्सपायरी होने में अस्पताल में कार्यरत डॉक्टरों का भी बड़ा हाथ है। यहां कार्यरत अस्पताल के सभी विभागों के डॉक्टर इलाज कराने आने वाले मरीजों को ज्यादातर दवाएं बाहर की मेडिकल स्टोरों के लिखते हैं। खासकर अस्पताल परिसर से सटे महतो मेडिकल पर डॉक्टरों की ज्यादा मेहरबानी है। जहां पर रोजाना सैकड़ों की संख्या में मरीज अस्पताल की पर्ची लेकर दवा खरीदने के लिए पहुंचते भी है। जिसके कारण महतो मेडिकल का संचालक मालामाल होता जा रहा है। मगर इसका खामियाजा गरीब मरीजों को भुगतना पड़ रहा है। यह व्यवस्था आज से नहीं बल्कि वर्षों से चली आ रही है। जिसे आज तक किसी ने भी रोकने की कोशिश नहीं की। बल्कि जो भी आता है वह उसी के साथ ही जुड़ जाता है। वहीं दूसरी तरफ महतो मेडिकल का संचालक भी अस्पताल के लोगों की सेवा करन से पीछे नहीं हटता। जबकि सफाई कर्मियों ने कहा कि वे मुंशी के कहने पर एक्सपायरी दवाओं को डब्बे से निकलकर प्लास्टिक की थैलियों में भर भर कर इंसुलेटर रूम तक पहुंचा रहे हैं। यह काम पिछले चार-पांच दिनों से जारी है। विश्वसनीय सूत्रों से तो यह भी पता चला है कि अस्पताल प्रबंधन ने बीते 6 जनवरी को एक पत्र भी निकला है। जिसमें अस्पताल के सभी विभागाध्यक्षों जैसे औषधि विभाग और भण्डारपाल से एक्सपायरी सामान एकत्रित करने की बात भी कही गई है। इन एक्सपायरी दवाओं में अक्टूबर 2006 से लेकर सितंबर 2008 की इंजेक्शन, 2009 से 2011 की बीटाडिन लोशन, सितंबर 2006 से अगस्त 2008 की इंजेक्शन, अगस्त 2015 से जनवरी 2017 की पेंटा प्रोजोलोन गैस्टिक इंजेक्शन समेत अन्य है। वहीं लाखों के दवाओं के एक्सपायरी होने से राज्य सरकार को भारी राजस्व का नुकसान भी हो रहा है। साथ ही इसकी पूरी जवाबदेही अस्पताल प्रबंधन की है। जबकि अस्पताल अधीक्षक के बयानों से ऐसा प्रतीत हो रहा है कि कोरोना काल की आड़ में पुराने एक्सपायरी दावों को भी डिस्पोजल करने की कोशिश कर रहे हैं। अगर मामले की सही तरीके से जांच हो जाए तो कईयों के गर्दन फंसने की पूरी संभावना है।

बयान :-
कोरोना काल के दौरान दवाओं को रांची स्थित नामकुम से मंगवाया गया था और जो एक्सपायरी हो गई है। जिसे डिस्पोजल करने के लिए कहा गया है। दवाएं पुरानी नहीं है और अभी तो स्टॉक जल्द ही खत्म हो जाता है। जिसके बाद दो-तीन माह में ही मंगवानी पड़ती है।

– डॉ रविंद्र कुमार, अधीक्षक, एमजीएम अस्पताल

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