एमजीएम वार्ड बना कैदियों के लिए आरामगाह, बिना अनुमति के परिचित मिल रहे बेझिझक

करवा रहे फोन पर बात, जिला पुलिस बनी मूकदर्शक

जमशेदपुर : जेल एक ऐसी जगह है, जहां अपराध करने के बाद कैदियों को रखा जाता है। ताकि उन्हें अपने किए गए गलती का एहसास हो। उन्होंने जो जुर्म किया है उसकी सजा कैसी होती है, यह उन्हें पता चले। जिससे वे दोबारा जुर्म के रास्ते में जाने से पहले एक बार जरूर सोचें। मगर जमशेदपुर शहर में ऐसा नहीं है। वहीं परसुडीह स्थित घाघीडीह सेंट्रल जेल में भी जुर्म करने वाले कैदियों को सजा देने के लिए रखा जाता है। कहते हैं ना कि जिसकी जेब में पैसा हो उसके लिए अंदर क्या और बाहर क्या। कुछ ऐसा ही नजारा शुक्रवार की दोपहर एमजीएम अस्पताल के कैदी वार्ड में देखने को मिला। जहां करोड़ों रुपए के जीएसटी घोटाले में गिरफ्तार आरोपी बबलू जायसवाल उर्फ ज्ञानचंद जायसवाल से उसके तीन परिचित बिना रोक-टोक के वहां तैनात सिपाही के सामने ही मुलाकात कर रहे थे। इस दौरान परिचित बबलू जयसवाल को किसी से मोबाइल पर बात भी करवा रहे थे। साथ ही परिचित दोपहर 3:30 बजे पुनः बात कराने की बात भी कह रहे थे। बबलू जयसवाल एक माह पहले ही जेल से इलाज के लिए एमजीएम अस्पताल के कैदी वार्ड में लाया गया है। मगर वार्ड में कुछ ऐसे कैदी भी हैं जो महिनों से वहां जमे हुए हैं। जिसमें मानगो हत्याकांड के आरोपी बिल्डर दीपक चौधरी को 17 फरवरी को चेस्ट पेन और कफ होने की शिकायत पर कैदी वार्ड में भर्ती कराया गया था। जहां पिछले 6 महिनों से वे इलाजरत है। इसी तरह साकची गोलीकांड का आरोपी मनोज जायसवाल भी बीते डेढ़ माह से कैदी वार्ड में ही पड़ा है। सूत्रों से पता चला है कि शुक्रवार को ही उसकी जमानत भी हो गई है और शनिवार को वह कैदी वार्ड से ही छुट जाएगा।

इसके अलावा सरायकेला जेल से छोटूराम नामक कैदी को भी लाया गया है। वहीं शुक्रवार को बबलू जयसवाल से उनके परिचित मिलने के लिए पहुंचे थे तो इसी बीच एक पत्रकार की नजर उनपर पड़ गई। इसी बीच पत्रकार ने जब उन्हें अपने मोबाइल पर कैद करने की कोशिश की तो सभी वहां से भाग खड़े हुए। इस दौरान एक सिपाही पत्रकार से उलझ गया और उनके आई कार्ड की फोटो भी खींच ली। वहीं जब पत्रकार ने उनसे बबलू जयसवाल से मिलने की अनुमति दिखाने को कही तो वे नहीं दिखा सके। साथ ही सिपाही ने पत्रकार की शिकायत उच्च अधिकारियों से कहने की बात भी कही। अब सवाल यह उठता है कि इन्हें ऐसी कौन सी गंभीर बीमारी हुई है, जिसके कारण इन्हें महिनों तक कैदी वार्ड में रखा जा रहा है? क्या जिला पुलिस इनकी बीमारी को लेकर अस्पताल के डॉक्टरों से संपर्क नहीं करती है? क्या इनसे मिलने आने वाले परिचित किसी से मिलने के लिए अनुमति लेते हैं? क्या कैदी वार्ड में मौजूद सिपाही इनसे मिलने वालों का डाटा अपने पास रखती है? ऐसे कई सवालों के जवाब है, जो जनता जिले की पुलिस से जानना चाहती है। इस संबंध में जेल सुपरिटेंडेंट अजय प्रजापति ने कहा कि सीविल सर्जन के नेतृत्व में मेडिकल बोर्ड का गठन कर कैदियों को इलाज के लिए एमजीएम कैदी वार्ड में भर्ती कराया जाता है। इस समय चार कैदी वहां भर्ती हैं। हमारी हद सिर्फ जेल की चारदीवारी तक है। उसके बाहर जिला पुलिस को देखना है।

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