– अधीक्षक और उपाधीक्षक की ली जमकर क्लास, कहा एक सप्ताह के अंदर ठीक करें व्यवस्था, नहीं तो कारवाई के लिए रहें तैयार
जमशेदपुर : झारखंड सरकार स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव अजय कुमार सिंह ने मंगलवार साकची स्थित महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज अस्पताल का निरीक्षण किया। इस दौरान सबसे पहले उन्होंने इमरजेंसी विभाग का निरीक्षण किया। जहां मरीजों की भीड़ देख उन्होंने कहा कि यह इमरजेंसी है या फिर वेटिंग हॉल है। ऐसी इमरजेंसी होती है क्या। यहां मरीज ठीक न होकर और बीमार पड़ जाएंगे। साथ ही उन्होंने इमरजेंसी विभाग के बंद कमरे को खोलकर देखा तो उसमें कई महंगे उपकरण जंग खाते पड़े मिले। जिसपर उन्होंने कहा कि जब उपयोग ही नहीं करना था तो खरीदा क्यों। इसके बाद सचिव आईसीयू पहुंचे और वहां की स्थिति देखकर अधीक्षक डॉ रवींद्र कुमार और उपाधीक्षक डॉ नकुल प्रसाद चौधरी पर भड़क उठे। साथ ही उन्होंने कहा कि क्या करें आप दोनों के साथ, सस्पेंड कर दें। इसपर अधीक्षक ने कहा कि सर मुझे यहां से हटा दीजिए। यह बात सुनकर हर कोई चकित रह गया और सोचने भी लगा कि ये कैसे अधीक्षक हैं और जो खुद ही कह रहे हटाने के लिए। इसके बाद सचिव ने उपाधीक्षक को बुलाया और उनसे पूछा कि कितने सालों से आप यहां पर है। इसपर उपाधीक्षक ने कहा-श कि एमजीएम के अलावा सरायकेला सदर अस्पताल के उपाधीक्षक पद पर भी वे कार्यरत हैं। जिसे सुनकर सचिव ने कहा कि यह कैसे हो गया। इस दौरान उन्होंने तत्काल संयुक्त सचिव को फोन लगाकर इस मामले को देखने को कहा। मौके पर सिविल सर्जन डॉ जुझार माझी समेत अन्य चिकित्सक भी मौजूद थे। वहीं इमरजेंसी के बाद सचिव सीधे आयुष्मान सेंटर और रेडियोलॉजी विभाग पहुंचे। वहां से वे सीधे दवाइयां रखने वाले स्टोर रूम गए। उन्होंने पूरे स्टोर रूम को देखकर पूछा कि कोई एक्सपायरी दवा तो नहीं। वहीं खराब उपकरण देखकर कहा इसकी नीलामी क्यों नहीं करते। इसपर अधीक्षक ने कहा कि सर टेंडर निकाला गया है। इसके बाद वे बरामदे में पहुंचे तो देखा कि एक के ऊपर एक कार्टून भारी संख्या में रखी हुई है। जिसपर सचिव ने पूछा कि यह क्या है। कर्मियों ने कहा ग्लव्स रखा गया है। फिर सचिव ने कहा कि एक साथ इतना ग्लव्स खरीदने का क्या मतलब है। पूरे ऑफिस को ही स्टोर रूम बनाकर रखे हो। उन्होंने कहा कि जितनी खपत हो उतना ही ग्लव्स खरीदे जाएं। ताकि उसकी बर्बादी न हो। यहां से निकलने के बाद सचिव पीजी भवन पहुंचे। जिसके निचले तल पर शिशु रोग विभाग का ओपीडी संचालित होता है। यहां घुसते ही पानी का जमाव और गंदगी देखकर सचिव ने भड़कते हुए कहा कि ऐसा प्रवेश द्वार होता है।इसके बाद वे अंदर गए तो देखा कि एक कमरे में ओपीडी संचालित हो रहा है। जबकि बाकी के कमरों में ताला लगा हुआ है। जिसपर सचिव ने पूछा कि ये कमरे बंद क्यों है।श और इसे खोलकर दिखाएं। वहीं जब कमरे को खोला गया तो उसमें कई महंगी मशीनें जंग खाती हुई नजर आई। जिसे देखकर सचिव ने अफसोस जताते हुए कहा कि कुछ आप लोग भी सोचिए। क्या आप अपने घर को इसी तरह रखते हैं। अगर नहीं तो फिर यहां क्यों ऐसी स्थिति है। ऐसा लग रहा है कि किसी को कोई मतलब ही नहीं है। उन्होंने बंद कमरे को खोलकर उसका उपयोग करने को कहा। इमरजेंसी के मरीजों को यहां शिफ्ट करने को भी कहा। इसके बाद वे एनआइसीयू-पीआइसीयू पहुंचे। वहां महिलाएं फर्श पर बैठकर स्तनपान करा रही थी। इसे देख सचिव ने कहा कि क्या हाल बना रखा है स्तनपान कक्ष का। इसके बाद उसके बगल के एक वार्ड में गए तो देखा कि पूरा खाली है। जिसे देखकर उन्होंने कहा कि जगह आपके पास पर्याप्त है। इसका उपयोग सही ढंग से करने की जरूरत है।वहीं निरीक्षण के दौरान प्रधान सचिव ने मीडिया से बातचीत में कहा कि एमजीएम में बहुत ज्यादा सुधार की जरूरत है। चिकित्सकों की कमी दूर कर दी गई है। साथ ही अस्पताल को 5 करोड़ रुपए भी दिए जा रहे हैं। अलग से दवा व उपकरण भी दिए जा रहे हैं। अब समस्या स्थानीय स्तर की है। इमरजेंसी में बहुत सारे मरीज है। जबकि कई कमरे बंद पड़े हुए है। इसका मैनेजमेंट करने की जरूरत है। लेकिन नहीं हो रहा। एक सप्ताह के अंदर अगर स्थिति में सुधार नहीं हुई तो विभागीय कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि अधीक्षक व उपाधीक्षक के साथ-साथ विभागाध्यक्ष भी जिम्मेदार होंगे। सारे सिस्टम को बदलने की जरूरत है। जो अच्छा कार्य करेंगे उनको जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। सचिव ने कहा कि अस्पताल जैसा संचालित होना चाहिए वह नहीं हो रहा है। जिसके कारण मरीजों को परेशानियों का सामना भी करना पड़ रहा है।