एडीएम ने संभाल रखी थी एमजीएम अस्पताल की व्यवस्था, जाने के बाद हुई जस की तस

– डॉक्टर से लेकर हर कोई करने लगा हैं अपनी मनमानी

कालीचरण

जमशेदपुर : एमजीएम अस्पताल की व्यवस्था में सुधार कब आएगा, यह किसी की भी समझ में नहीं आ रहा है। वहीं अगर कोई इसे सुधारने की कोशिश भी करता है तो उसके जाने के बाद व्यवस्था फिर से जस की तस हो जाती है। जिसका खामियाजा मरीज और उसके परिजनों समेत सभी को भुगतना पड़ रहा है। हम बात कर रहे हैं अस्पताल के पूर्व प्रशासनिक अधिकारी एडीएम नंदकिशोर लाल की। उन्होंने अपने प्रशासनिक अधिकारी रहते हुए अस्पताल में काफी सुधार ला दिया था। डॉक्टर तो डॉक्टर कर्मचारी भी उनके नाम से कांपने लगते थे। उनके लिए अस्पताल को सुधारने के लिए बने नियम कानून ही सर्वोपरि थे। जिसका वे खुद तो पालन करते ही थे। साथ ही दूसरों को भी इसका पालन करने की सख्त हिदायत देते थे। उन्होंने अपने रहते हुए अस्पताल में मरीजों की सुविधा के लिए कई निमार्ण भी करवाए। जिनमें से अतिरिक्त इमरजेंसी वार्ड का निर्माण भी शामिल है। इसके अलावा उन्होंने अस्पताल में कल्याण के लिए कई कार्य भी किए हैं। वे कभी भी निरीक्षण करने के लिए अस्पताल में पहुंच जाते थे। इस दौरान खामियों को देखकर वे इसके जिम्मेदारों को खरी खोटी सुनाते भी थे। जिसके कारण अस्पताल में उनका एक अलग ही कद था। उन्होंने कभी भी खामियों से समझौता नहीं किया। बल्कि उसे सुधारने पर बल दिया। उनके रहते अस्पताल परिसर के अंदर सभी वाहन व्यवस्थित ढंग से लगती थी। जिससे सभी को सहूलियत भी होती थी। वहीं इमरजेंसी विभाग के पास उन्होंने वाहनों के खड़े होने पर पूरी तरह पाबंदी लगा दी थी। इसके अलावा अन्य कामों में भी पूरी तरह ध्यान दिया जाता था। उनके सख्त रवैए के कारण अस्पताल के कई लोग उनसे खफा भी थे। मगर उनके जाने के बाद अस्पताल की व्यवस्था फिर से जस की तस हो गई है और सभी अपनी मनमानी करने पर उतर आए हैं। इमरजेंसी विभाग के पास हमेशा डॉक्टरों और राहगीरों के वाहनों का जमावड़ा लगा रहता है। जिससे मरीज लेकर आने वाले एंबुलेंस चालकों को परेशानियों का सामना भी करना पड़ता है। इसी तरह प्रशासनिक भवन के पीछे प्राइवेट चालकों का अड्डा बन चुका है और यहां बिना किसी से अनुमति लिए ही भाड़ा कमाने के लिए अवैध रूप से एंबुलेंस को खड़ा किया जाता है। मगर किसी ने भी इन्हें रोकने की कोशिश नहीं की। वहीं एडीएम नंदकिशोर लाल के समय प्राइवेट एंबुलेंस लेकर चालकों को अस्पताल परिसर में घुसने के लिए सोचना पड़ता था। साथ ही चालक अपने एंबुलेंस को अस्पताल परिसर के बाहर ही खड़ा करते थे। उनके समय में गेट के बाहर मरीजों के लिए बनी पार्किंग में दुकानदारों ने फिर से कब्जा करना शुरू कर दिया है। जब अस्पताल के डॉक्टर और कर्मचारी ही व्यवस्था में सुधार लाने को तैयार नहीं है तो फिर दूसरों को क्या कहना। पूर्व एडीएम लॉ एंड ऑर्डर नंदकिशोर लाल ने अकेले ही अस्पताल में काफी हद तक सुधार ला दिया था। साथ ही वे बहुत कुछ करने वाले भी थे। इसी बीच उनका स्थानांतरण दूसरी जगह पर हो गया। जबकि उनकी जरुरत अभी अस्पताल को थी। उनके जाने के बाद अस्पताल के कई लोगों ने राहत की सांस ली। वर्तमान में एसडीएम धालभूम पीयूष सिन्हा अस्पताल के प्रशासनिक अधिकारी के पद पर हैं। बावजूद इसके अस्पताल में उनके जैसा सुधार देखने को नहीं मिल रहा है।

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