विधायक सरयू राय ने घाटशिला वन क्षेत्र का दौरा कर हाथियों की हुई मौत की ली जानकारी, दिए आवश्यक दिशा निर्देश 

जमशेदपुर : घाटशिला वन क्षेत्र के ऊपर बांधा जंगल में विगत 21 नवंबर को हाथियों की मौत बिजली का करंट लगने से हो गयी थी। जिसको लेकर शनिवार विधायक सरयू राय ने स्थानीय नागरिकों, पत्रकारों, स्वयंसेवियों, एचसीएल के अधिकारियों से वहां जाकर वार्ता की। उससे पूर्व झारखंड के चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डेन (मुख्य प्रतिपालक वन्यजीव) से बात भी की। भारत सरकार के पूर्व महानिदेशक वन्यजीव एवं कतिपय वन्यजीव विशेषज्ञों से भी दूरभाष पर बात की। घटना स्थल को देखने तथा स्थानीय नागरिकों एवं राष्ट्रीय ख्याती के वन्यजीव विशेषज्ञों से वार्ता करने के बाद वे इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि झारखंड में वन विभाग का सिस्टम पूरी तरह से फेल है और सब कुछ भगवान भरोसे चल रहा है। इस संबंध में निम्नांकित बिंदुओं को आम जन के सामने रखने की बात भी उन्होंने कही।

जो निम्न हैं :-

1. वनों की रक्षा के साथ साथ वन्य जीवों की रक्षा करने, उनका अभिवर्द्धन करने के लिए भारत और झारखंड सरकार तथा विभिन्न राज्यों द्वारा कई कानून बनाए गए हैं। उन कानूनों पर स्पष्ट निर्देश दिया गया है कि प्रासंगिक संदर्भ में किसमें क्या करना है। ऊपर बांध जंगल के उस स्थान पर जहां हाथियों की मौत हुई है, जाने पर ऐसा लगा कि नियम कानून केवल कागजों तक ही सिमट कर रह गए हैं। इनका क्रियान्वयन शुन्य है। उदाहरण के लिए वन जीवों के स्थल एवं भ्रमण क्षेत्र में बिजली के तारों की ऊंचाई सतह से 9 मीटर से अधिक होनी चाहिए। मगर घटना स्थल पर वैसा नहीं दिखा। एक तो तार काफी नीचे है और दूसरा पौधा रक्षण के लिए खाई खोदकर ऊपर मिट्टी का टीला बना दिया गया है। जिससे सतह से तार की ऊंचाई कम हो गई। यह टीला कई वर्ष पहले बना हुआ है। इस ओर वन विभाग के अधिकारियों और कर्मियों का ध्यान नहीं गया और जो हादसा का मुख्य कारण है।

 

2. वन और बिजली विभाग एक दूसरे हादसा पर मढ़ रहे हैं। साथ ही बचकाना ब्यान भी दे रहे हैं। झारखंड सरकार ने हाथियों के भ्रमण का पर्यवेक्षण सिस्टम 7-8 साल पहले विकसित हुआ है। वन विभाग को बताना चाहिए कि इस सिस्टम में समय समय पर कितनी जानकारियां डाली गई हैं। कितने निर्देश दिए गए हैं और क्या क्या कारवाई की गयी है?

 

3. राज्य के मुख्यमंत्री, राज्य वन्य जीव बोर्ड के अध्यक्ष होते हैं। वन संरक्षण अधिनियम की कंडिका 8 के अनुसार वन्यजीव बोर्ड को वन्यजीवों पर संरक्षण के बारे में राज्य सरकार को सलाह देने का दायित्व है। इस बोर्ड ने विगत 10 वर्षों में वन्यजीवों के संरक्षण के लिए क्या क्या सलाह दिया है। यह बात भी सामने आनी चाहिए। उनकी जानकारी के अनुसार वन्यजीव बोर्ड की भूमिका वन क्षेत्रों में क्रियान्वयन और निर्माण की योजनाओं की स्वीकृति देने तक हो गयी है। जिसका नतीजा है कि टूटोरियल फोरेस्ट क्षेत्रों और रिजर्व फोरेस्ट दोनों में ही वन्य जीव के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है।

 

4. कुछ वर्ष पहले बंगाल सरकार ने अपनी सीमा पर गहरी खाई खोद दी थी। जिससे हाथियों के बंगाल क्षेत्र में भ्रमण बाधित हो गया। हवा, पानी, पक्षी, जानवर इन सबों के बारे में किसी राज्य या देश की सीमा नहीं होती है। राज्य सरकार को बताना चाहिए कि बंगाल सरकार द्वारा हाथियों के भ्रमण में बाधा उत्पन्न करने का कितना विरोध झारखंड सरकार ने किया है। भारत सरकार के प्रोजेक्ट एलीफेंट में किनी शिकायतें दर्ज करवाई गई है और इसका क्या फलाफल निकला है?

वहीं विधायक सरयू राय ने मांग की है कि इस विषय में भारत सरकार का पर्यावरण और वन विभाग तथा झारखंड और बंगाल के वन पर्यावरण विभाग के बीच मंत्री स्तर की वार्ता होनी चाहिए और बंगाल द्वारा हाथियों का भ्रमण बाधित करने की समस्या का समाधान करना चाहिए।

 

5. वन विभाग के एक जिम्मेदार पदाधिकारी का ब्यान है कि वे अंडा का खोल में मिर्ची डालकर और इसे जलाकर हाथियों का इस क्षेत्र से बाहर कर रहे हैं। विडंबना यह है कि एक डीएफओ के क्षेत्र से दूसरे डीएफओ के क्षेत्र में भगाना ही हाथियों का समस्या का समाधान मान लेगा तो हाथियों के प्राकृतिक स्थल और भ्रमण करने से हाथियों की स्वतंत्रता ही समाप्त हो जाएगी। यह समस्या का कतई समाधान नहीं है। भारत सरकार के एडीजी फाॅरेस्ट (वन्यजीव), प्रोजेक्ट एलीफैंट के सामने इस हादसे का झारखंड सरकार के वन विभाग ने कोई प्रतिवेदन भेजा है तो भारत सरकार की संस्था को इसकी जांच करनी चाहिए। साथ ही इसके लिए एक सक्षम दल का जीवों के संरक्षण की जांच करने के लिए भेजे।

 

6. चुंकि बिजली की लाइन एचसीएल के लिए बनाई गई है और यह 1980 में वन संरक्षण अधिनियम बनने के बाद बनाये गए हैं इसलिए इनपर अधिनियम के प्रावधान लागु नहीं होते हैं। परंतु इस संदर्भ में सेन्ट्रल अथोरिटी का निर्देश नहीं होना इस हादसा का मुख्य कारण है। इसका समाधान केवल दो ही है, एक वन क्षेत्रों में बिजली के तारों को भूमिगत करना और दूसरा कि ऐसे बिजली के तारों को केबलिंग कर खंबों पर इंसुलेटर तार लगाना। इसपर होने वाले भारी खर्च की व्यवस्था वन्य जीवों के संरक्षण के हित में झारखंड सरकार और भारत सरकार मिलकर करे।

 

7. झारखंड सरकार का मुख्य उद्देश्य भारत सरकार प्रोजेक्ट एलीफैंट के सामने अधिक से अधिक कार्य योजना प्रस्तुत कर अधिक से अधिक फंड लेने में है। भारत सरकार का प्रोजेक्ट एलीफैंट के पास वैधानिक अधिकार नहीं है। इसलिए इस बारे में वन संरक्षण अधिनियम और वन्य-जीव संरक्षण अधिनियम के अनुरूप कानूनी कारवाई की जानी चाहिए।

 

8. घाटशिला में करंट लगने से पांच हाथियों की मौत कुछ दिन पहले इसी क्षेत्र में दो हाथियों की मौत, कल गिरीडीह में एक हाथी का मरना ऐसी घटनाएं हैं, जिसके लिए दोषियों को चिन्हित कर उनके विरूद्ध आईपीसी की सुसंगत धराओं के तहत मुकदमा दर्ज कर कारवाई होनी चाहिए।

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