मदर्स डे पर विशेष 

 कई माताओ ने माता और पिता के रूप में बच्चों को सवारी है जिंदगी

संजय सागर

बड़कागांव: बच्चों के परवरिश कराने में पिता का तो हाथ होता ही है. लेकिन माता का सबसे बड़ी भूमिका रहती है. क्योंकि मां जन्म से अपने बच्चों को शिक्षा दीक्षा देते रहती है. मां बच्चों को शैशवावस्था से युवावस्था तक हर रूप में शिक्षा दीक्षा देने का काम करती है. ऐसे में ही हजारीबाग जिले के बड़कागांव में कई ऐसे माताएं हैं, जो अपने बच्चों को आगे बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. आइए मिलिए इन माताओं से बड़कागांव अस्पताल रोड स्थित दाता बाबा के पास ए एन एम मंजू कुमारी रहती है. 1992 से लेकर अब तक एएनएम का काम कर रही है. इनकी पहली पोस्टिंग बड़कागांव के अंबाजीत में 1992 के अक्टूबर महीने में हुई थी. उन्होंने अम्बाजीत में 2011 तक सेवा देने काम की. इसके बाद 2012 से लेकर अब तक हरली स्वास्थ्य केंद्र में एएनएम के रूप में कार्य कर रही है. इन्होंने बताया कि मेरे पिता मौला राम कुशवाहा ड्रेसर थे.उन्होंने मुझे पढ़ा लिखा कर एएनएम बनाये .तो मेरी भी इच्छा हुई कि मैं अपनी पुत्री को डॉक्टर बनाऊ. इसलिए मैं अपनी बेटी डॉ अनामिका दीप को डॉक्टर बनने के लिए हर प्रयास करते रही. मेरी पुत्री अनामिका दीप एन एम सी एच बिहार से की है. 2020 में एमबीबीएस कंप्लीट हुआ . 2023 में जेपीएससी पास कर अनामिकादीप डॉक्टर बन गई और फिलहाल बड़कागांव अस्पताल में सेवा दे रही है. बड़कागांव अंबेडकर मोहल्ला की मो सोमरी देवी कारू राम का मृत्यु के बाद मजदूरी करके अपने बच्चों को पढ़ा लिखा कर शिक्षक बने. इनके दो पुत्र शिक्षक हैं. बड़कागांव मुख्य चौक स्थित किरण गुप्ता पति जेठू गुप्ता को करने के बाद खुद होटल चला कर अपने बच्चों कुंदन गुप्ता एवं राशन गुप्ता को बिजनेसमैन बनाई. आंगनबाड़ी सेविका मालती कुमारी अपनी पुत्री आकांक्षा कुमारी को पढ़ाकर कोल माइंस का इंजीनियर बनाई.आज आकांक्षा कुमारी भारत की प्रथम कोल माइंस इंजीनियर के रूप में जाने जाती है.

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