बिना फायर एनओसी के एमजीएम अस्पताल पीजी बिल्डिंग को ले लिया था हैंडओवर, अब भी है कई खामियां 

जमशेदपुर : देश की राजधानी दिल्ली के अस्पतालों में बीते दिनों हुए आगजनी की घटना में बच्चों समेत कई की जिंदगी भी हताहत हुई। जिसके बाद पूरे देश में बिना फायर एनओसी के अस्पताल खोलने पर रोक लगा दी गई। साथ ही फायर एनओसी को अस्पताल खोलने के लिए अनिवार्य भी कर दिया गया। वहीं अगर हम कोल्हान के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल एमजीएम की बात करें तो इसके पांच तल्ला पीजी बिल्डिंग को प्रबंधन ने बिना फायर एनओसी के ही हैंडओवर ले लिया था और जो आज तक नहीं मिला। इस बिल्डिंग का निर्माण भवन निर्माण निगम द्वारा करोड़ों की लागत से कराया गया था और जिसका ठेका घाटशिला के सूरज अग्रवाल की ठेका कंपनी को दिया गया था। पूरी तरह बनकर तैयार हो जाने के बाद पीजी बिल्डिंग को ठेका कंपनी द्वारा 2017 में बिना फायर एनओसी के ही अस्पताल प्रबंधन को हैंडओवर कर दिया गया था। उस समय डॉ भारतेंदु भूषण अस्पताल अधीक्षक के पद पर आसीन थे। उनका कार्यकाल 1 जुलाई 2017 से 21 मई 2018 तक रहा। सूत्रों से पता चला है कि पीजी बिल्डिंग में एनओसी के अलावा और भी बहुत सारी खामियां थी। पूरी बिल्डिंग तो बनी। मगर उसमें शौचालय नहीं बनाया गया था। जिसे बाद में बनाया गया। इसी तरह हैंडओवर लेते समय बिल्डिंग में लगे दोनों लिफ्ट पर भी ध्यान नहीं दिया गया। जिसका खामियाजा वर्तमान में कर्मचारियों के साथ-साथ मरीजों व उनके परिजनों को भी भुगतना पड़ रहा है। साल में छह से आठ माह लिफ्ट खराब ही रहती है। बताते चलें कि बीते 3 माह से लिफ्ट खराब थी और इसे बनवाने में प्रबंधन ने कोई रुचि नहीं दिखाई। मगर जब प्रबंधन को झारखंड सरकार स्वास्थ्य विभाग के मुख्य सचिव द्वारा बीते सोमवार को अस्पताल निरीक्षण की बात पता चली तो उससे दो दिन पहले शनिवार को ही आनन-फानन में जैसे तैसे लिफ्ट को बना दिया गया। मगर अब तक चालू नहीं किया गया। इसी तरह बिल्डिंग के दो फ्लोर में पीडिया और बर्न विभाग संचालित हो रहा है। जबकि ऊपर के तीन फ्लोर पर कर्मचारियों और मजदूरों ने कब्जा जमा लिया है। अस्पताल में बन रहे 500 बेड के नए अस्पताल में कार्यरत कर्मचारी भी इसी बिल्डिंग में आकर अवैध रूप से रह रहे हैं। सिर्फ यही नहीं अस्पताल में बिजली से संबंधित कर्मचारियों ने भी कमरे को कब्जा रखा है और जिसमें वे बिजली का सामान भी रखते हैं। ऐसे ही अन्य लोगों ने भी कमरा कब्जा कर रखा है। कई कमरे तो खराब पड़े सामानों के गोदाम बने हुए हैं। वहीं कोरोना महामारी के दौरान पीजी बिल्डिंग को कोरोना वार्ड बनाया गया था। जिसके बाद से सभी खाली है। बिल्डिंग का तीसरा फ्लोर बाइक और साइकिल के लिए पार्किंग स्टैंड बना हुआ है। पीजी बिल्डिंग में इतना गोलमाल है। मगर इससे किसी को कोई लेना-देना नहीं है। इससे ऐसा भी लगता है कि इस बिल्डिंग को किसी के दबाव में आकर अस्पताल प्रबंधन ने हैंडओवर ले लिया था। मगर आजतक इसका फायर एनओसी ही नहीं मिला।

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