धनबाद गोल्फ ग्राउंड में जनसभा का होगा आयोजन. दिग्गज स्टार व नेता होंगे शामिल
धनबाद : भाजपा प्रत्याशी ढुल्लू महतो 30 अप्रैल को यानि आज उपायुक्त कार्यालय में नामांकन करेंगे।इसके ठीक दूसरे दिन मजदूर दिवस के दिन 01 मई को कांग्रेस प्रत्याशी अनुपमा सिंह यहां नामांकन करेंगी। दोनो ही पार्टी जुलूस के साथ धनबाद में नामांकन करने पहुंचेगी वही गोल्फ ग्राउंड में जनसभा करने की तैयारी है.
एक तरफ धनबाद लोकसभा क्षेत्र के भाजपा प्रत्याशी ढुल्लू महतो व कांग्रेस प्रत्याशी अनुपमा सिंह नामांकन दाखिल करने के बहाने अपनी शक्ति प्रदर्शन करेंगे। दोनों के नामांकन में उनकी पार्टियों के स्टार प्रचारक व दिग्गज नेता मौजूद रहेंगे..
बीजेपी प्रत्याशी ढुल्लू के नामांकन में राजस्थान के मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा व प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी मुख्य रूप से शामिल होंगे। इस सभा में पूरे लोकसभा क्षेत्र के हजारों समर्थक शामिल होंगे।
वहीं कांग्रेस प्रत्याशी अनुपमा सिंह के नामांकन के बाद वह गोल्फ ग्राउंड में जनसभा को संबोधित करेंगी। इस जनसभा को उनके पति व बेरमो के विधायक कुमार जयमंगल सिंह समेत प्रदेश कांग्रेस प्रभारी गुलाम अहमद मीर ,प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर ,पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की धर्मपत्नी कल्पना सोरेन समेत इंडिया गठबंधन के कई दिग्गज नेता संबोधित करेंगे। इस सभा में कांग्रेस व इंटक के हजारों समर्थक शामिल होंगे।
बीजेपी बनाम कांग्रेस में सीधा चुनावी टक्कर
धनबाद लोकसभा से भाजपा के प्रत्याशी बाघमारा विधायक ढुल्लू महतो हैं तो कांग्रेस से अनुपमा सिंह चुनाव लड़ रही है . अनुपमा सिंह सवर्ण राजपूत जाति से आती है तो ढुल्लू महतो तेली समाज (ओबीसी) से आते है. धनबाद संसदीय क्षेत्र में अब तक सवर्ण जातियों का दबदबा रहा है लेकिन इस बार भाजपा ने ओबीसी कार्ड खेलते हुए बाघमारा विधायक ढुल्लू महतो को उम्मीदवार बनाया है. धनबाद लोकसभा क्षेत्र में शहरी (किसी भी केटेगरी के ) वोटर निर्णायक फैक्टर होते है. वैसे यहां निरसा , सिंदरी और चंदनकियारी में ग्रामीण वोटर भी कम नहीं है. 2019 के लोकसभा चुनाव में धनबाद विधानसभा में 55.3% वोटिंग हुई थी, जबकि झरिया में 50. 4% मत पड़े थे. इसी प्रकार बोकारो में 53.3 प्रतिशत मत पड़े थे ,जबकि चंदन कियारी विधानसभा क्षेत्र में 73.73 प्रतिशत, निरसा विधानसभा क्षेत्र में 67.79 प्रतिशत और सिंदरी विधानसभा क्षेत्र में 71. 49 प्रतिशत वोट पड़े थे. वैसे धनबाद लोकसभा क्षेत्र में कुल 60.37 प्रतिशत वोटिंग हुई थी. धनबाद लोकसभा क्षेत्र में आते हैं झरिया, चंदन कियारी, निरसा,धनबाद,बोकारो और सिंदरी. निरसा,सिंदरी और चंदन कियारी ग्रामीण क्षेत्र में चिन्हित है.
धनबाद लोकसभा पर रहा है सवर्ण जातियों का दबदबा कोयला मजदूरों की भी होती है भूमिका
1971 के बाद धनबाद लोकसभा क्षेत्र से जितने भी उम्मीदवार विजय हुए हैं सभी सवर्ण जाति से आते है. राम नारायण शर्मा हो, शंकर दयाल सिंह हो, एके राय हो, रीता वर्मा हो, ददई दुबे हो या पशुपतिनाथ सिंह हो सभी चुने गए 10 सांसद सवर्ण वर्ग से रहें हैं लेकिन इस बार भाजपा ने ओबीसी कार्ड खेला है और ढुल्लू महतो को उम्मीदवार बनाया है. यह अलग बात है कि धनबाद लोकसभा क्षेत्र में शहरी वोटर महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है.जबकि ग्रामीण वोटर यहां बड़ी संख्या में है.. भाजपा प्रत्याशी भी कोयला मजदूर संगठन एटक से जुड़े हुए हैं तो कांग्रेस प्रत्याशी अनुपमा सिंह के पति अनूप सिंह भी कोयला मजदूर संगठन इंटक से जुड़े हुए है. कोल इंडिया की इकाई बीसीसीएल और सीसीएल की कोलियरियों में दोनों की जबरदस्त पकड़ है. ऐसे में बिहारी ,बंगाली ,गुजराती, माड़वाड़ी ,और बिहार के जमाने से पीछले 50 वर्षो में बाहर से आ कर धनबाद में बसे शहरी मतदाता किस ओर झुकेंगे, इस पर बहुत कुछ निर्भर करेगा. यह अलग बात है कि धनबाद लोकसभा क्षेत्र में कोयला मजदूरों की भी भूमिका होती है. कोयला मजदूर अगर एक तरफा किसी के तरफ चले जाएं तो जीत हो सकती है, लेकिन राष्ट्रीयकरण के बाद कोयला मजदूरों की संख्या में लगातार कमी होती आई है. मजदूर संगठन भी अब इतने ताकतवर नहीं रह गए है. वैसे ,1971 और 1977 में धनबाद लोकसभा में जिस ढंग का चुनाव प्रचार हुआ,वह इतिहास बन गया. ऐसा उसके बाद कभी नहीं हुआ और आगे भी होने की संभावना बिल्कुल नहीं है. अब तो सब कुछ बदल गया है. 1971 में जहां एक निर्दलीय प्रत्याशी ने धनबल का उपयोग किया, वही 1977 के चुनाव में धन बल गौण हो गया. उसका कोई महत्व ही नहीं रह गया. जेल में बंद एके राय चुनाव जीत गए. 1971 और 1977 का चुनाव आज भी लोगों को रोमांचित करता है.