ब्यूरो रिपोर्ट
नई दिल्ली: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने अखिल भारतीय न्यायिक सेवा के गठन की बात कही है। अखिल भारतीय न्यायिक सेवा की जरूरत को ध्यान में रखते हुए पहले भी सुझाव आते रहे हैं। विधि आयोग 1958 और 1978 में दो अलग-अलग संस्तुतियों के माध्यम से इसके लिए सुझाव दे चुका है। सर्वोच्च न्यायालय ने भी कई मौकों पर इस संबंध में सुझाव और निर्देश दिए हैं।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने हाल में न्यायिक सुधारों की दिशा में एक अत्यंत महत्वपूर्ण सुझाव दिया। उन्होंने अखिल भारतीय न्यायिक सेवा के गठन की बात कही है। संविधान दिवस पर आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि देश की युवा-शक्ति को न्यायपालिका में उसी तरह के करियर का मौका मिलना चाहिए, जैसा अन्य अखिल भारतीय सेवाओं के मामलों में है। उन्होंने न्यायपालिका के विशेष स्थान को रेखांकित करते हुए कहा कि अपनी विविधता का सदुपयोग करते हुए हमें ऐसी प्रणाली विकसित करने की आवश्यकता है, जिसमें योग्यता आधारित प्रतिस्पर्धी और पारदर्शी प्रक्रिया से विभिन्न पृष्ठभूमि से आने वाले न्यायाधीशों की भर्ती की जा सके।