शारदीय नवरात्रि की तैयारी जोरों पर 15 अक्टूबर को होगी कलश स्थापना

22 अक्टूबर को होगी महाअष्टमी और महागौरी की पूजा

पाकुड़ : हिंदू धर्म में शारदीय नवरात्रि का विशेष महत्व होता है। अधिकांश का लोग व्रत उपवास एवं अनुष्ठान करते हैं। ऐसी मान्यता है कि देवी दुर्गा ने अश्वनी मास में महिषासुर से 9 दिनों तक घोर युद्ध किया था। दसवे दिन उसका वध किया था। इसलिए शक्ति की आराधना देवी मां दुर्गा की 9 दिनों तक पूजा की जाती है। इसे नवरात्रि के नाम से जाना जाता है। शक्ति स्वरूपा देवी की भक्ति जनों में निर्भरता आत्मविश्वास लाती है । यह बुराइयों पर अच्छाइयों का विजय प्रतीक पर्व है।भारतीय पंचांग के अनुसार इस वर्ष अश्वनी मास के शुक्ल पक्ष के प्रतिपदा तिथि से अर्थात 15 अक्टूबर से शारदीय नवरात्रि की प्रारंभ होगी । जो 9 दिनों तक चलेगी। इन 9 दिनों में मां दुर्गा शक्ति स्वरूपा की नौ रूपों की पूजा होगी । भक्त माता रानी के लिए व्रत रखते हैं और 9 दिनों तक विधिपूर्वक पूजा अर्चना करते हैं।प्रथम दिवस 15 अक्टूबर को कलश की स्थापना होगी।इस बार मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आ रही है । जो बेहद फलदाई है। देश की सुख समृद्धि की प्रतीक है। दुर्गा अष्टमी की तिथि 22 अक्टूबर को हो रही है । महा अष्टमी के दिन ही महागौरी की पूजा होगी । घरों के देवी की स्वरूप कन्याओं को जिमाया जाएगा।

कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त

यदि पंचांग की सुने तो पहली तिथि 14 अक्टूबर शनिवार को रात की 11:24 से नवरात्रि प्रारंभ होगी । सूर्य उदय तिथि के अनुसार शारदीय नवरात्रि 15 अक्टूबर रविवार को शुरू होगी।
इस वर्ष कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त 15 अक्टूबर के अपराह्न 11:24 से 12:32 दोपहर तक है।

स्थान शुद्धिकरण के साथ करें पूजा
पूजन स्थल को गोबर मिट्टी से लेपकर पूजन स्थल को शुद्ध करें एवं मिट्टी जो कलवा , मिट्टीया तांबे का कलश , दूर्वा गंगाजल ,पुष्प सिंदूर, अवीर ,इलाइची पान सुपारी ,अक्षत ,चंदन ,अशोक के पत्ते , कपड़ा ,नारियल ,कुमकुम अबीर हल्दी , बेलपत्र, दूब गंगाजल नैवेद्य धूप दीप से नहा धोआ कर स्वच्छ वस्त्र पहनकर पूजन करें।

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